बर्फी-रसगुल्ला-गोलगप्पा

बर्फी बोली  मैं मूल्यवान, लोग चावै  से खायें
स्वाद सबसे गजब, खाने वाला खाता ही जावैं 
मै शुद्ध  मावै की  बनी हुई नहीं कोई मिलावट 
बर्फी दंभ  में फूल कर  कुप्पा सी होती जावै 


रसगुल्ला मै रसखान सबको पसंद हूँ आता
बालक, युवा, बुजुर्ग सब बड़े  चाव से खाता
गुलाब जामुन मेरा ही नाम हूँ शानदार मिठाई 
अमीर-गरीब दोनों के बजट में,  हूँ मैं समाता


बर्फी व रसगुल्ले की सुन गोलगप्पे थे मुस्काये 
तुम बेकार में फूल रहे, दोनों ही शुगर बढायें
एक-दो से ज्यादा खाना तुम्हें पसंद नहीं करते
सबसे कदम खुशी से मेरी ओर ही बड़ते जाये 


मै ख्याल रखता हूँ चाहे अमीर हो या गरीब 
सब कटोरी ले खड़े होते, मेरे कितने करीब
मंहगाई के दौर में भी दस रुपये में हूँ आता
कोई शुगर व बीमारी नहीं आती है मेरे करीब


मै छोटा हूँ पर बड़ी सी बात कह रहा हूँ 
आज सबकी पसंद मैं ही,  बनता जा रहा हूँ 
बर्फी और रसगुल्ले दोनों ही कुछ बोल न पाये 
गोलगप्पे की सुन पाठक के मुंह पानी आए


गोलगप्पा बोला जब अपनों से ही कट जाए
मूल्यवान बर्फी पर गोलगप्पे भारी पड़ जाये 
गोलगप्पे की सुन बर्फी व रसगुल्ले थे परेशान 
डाॅ सतीश कहे गोलगप्पे की बात में है जान
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डाॅ सतीश चंदाना


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