कोविड-19 के सम्बन्ध में अपेक्षित सावधानियों, कन्टेनमेन्ट जोन एवं निगरानी (सर्विलांस) के विषय में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी


 

 दिशा-निर्देश 01 दिसम्बर, 2020 से अग्रिम आदेशों तक लागू रहेंगे-राजेन्द्र कुमार तिवारी




दिनांक: 30 नवम्बर, 2020

 


लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कोविड-19 के सम्बन्ध में अपेक्षित सावधानियों, कन्टेनमेन्ट जोन एवं निगरानी (सर्विलांस) के विषय में समस्त मण्डलायुक्तों अपर पुलिस महानिदेशक, पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस उप महानिरीक्षक रेंज, पुलिस आयुक्त, जिलाधिकारी एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को विस्तृत दिशा-निर्देश निर्गत किये गये हैं। 

उक्त जानकारी देते हुये मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी ने बताया कि कोविड-19 के विरुद्ध कार्यवाही किये जाने में राज्य को महत्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त हुई है, जिसके परिणामस्वरूप कोविड-19 के सक्रिय केस में निरन्तर कमी आ रही है। विगत कुछ सप्ताह में राज्य के कतिपय क्षेत्रों में सक्रिय केस में कतिपय वृद्धि होने के भी संकेत मिले हैं। वर्तमान में त्योहार सीजन, शीतकाल के आगमन तथा कतिपय क्षेत्रों में कोविड-19 विषयक प्रोटोकाल व निर्गत दिशा-निर्देशों के अनुपालन में बरती जा रही किंचित लापरवाही के दृष्टिगत इस महामारी के पुनः प्रसार होने की सम्भावना हो सकती है। ऐसे में पूर्ण सावधानी बरते जाने, कन्टेनमेन्ट कार्य योजना को और सख्ती से लागू किये जाने, कन्टेनमेन्ट जोन की निरन्तर निगरानी किए जाने तथा पूर्व में भारत सरकार व राज्य सरकार द्वारा निर्गत दिशा-निर्देशों का और सख्ती से अनुपालन किये जाने की आवश्यकता है। इसके लिए स्थानीय जिला प्रशासन, पुलिस व नगरीय निकाय प्रशासन को स्थानीय परिस्थितियों का आकलन करते हुये कोविड-19 के प्रसार को नियंत्रित करने के उद्देश्य से कन्टेनमेन्ट मानदण्डों का सख्ती से अनुपालन कराये जाने तथा स्थानीय स्तर पर कतिपय प्रतिबन्ध लगाने हेतु भी उत्तरदायित्व दिए जाने की आवश्यकता है। 

उन्होंने बताया कि विगत कुछ माह में आर्थिक एवं अन्य गतिविधियाँ चरणबद्ध रूप से प्रारम्भ कर दी गयी हैं तथा इनके संचालन हेतु कार्यात्मक मानक (एस0ओ0पी0) तय किये गये हैं। कोविड-19 के लिए निर्धारित प्रोटोकाल तथा अपेक्षित सावधानियाँ बरतने के साथ-साथ इन आर्थिक एवं अन्य गतिविधियों को जनहित में जारी रखा जाना आवश्यक है। अतः कोविड-19 से सम्बन्धित अपेक्षित आचरण/कार्यवाही को प्रोत्साहित करने हेतु तथा मास्क पहनने, हाथों की स्वच्छता व सामाजिक दूरी के मानकों का सख्ती से पालन हेतु आवश्यक उपाय किए जाए। मास्क पहनने की अनिवार्यता के दृष्टिगत सार्वजनिक एवं कार्यस्थलों पर मास्क न पहनने वाले व्यक्तियों पर अपेक्षित अर्थदण्ड लगाने एवं अन्य प्रशासनिक कार्यवाही भी की जाए। भीड़-भाड़ वाले स्थलों, यथा मार्केट, साप्ताहिक बाजार, सार्वजनिक परिवहन आदि में सामाजिक दूरी का अनुपालन सुनिश्चित किए जाने हेतु उचित एस0ओ0पी0 अपनायी जाए। वायुयान, टेªन व मेट्रो रेल द्वारा यात्राओं को नियंत्रित करने के उद्देश्य से पूर्व में निर्गत एस0ओ0पी0 का सख्ती से अनुपालन किया जाए। बस, नाव अथवा यातायात के अन्य साधनों के विषय में भी कोविड प्रोटोकाल का सख्ती से अनुपालन कराया जाए। 

उन्होंने कहा कि कोविड-19 के लिए संवेदनशील (Vulnerable) एवं उच्च सम्भावना वाले क्षेत्रों (High incidence areas) में कोविड वायरस की श्रृंखला को समाप्त करने एवं इसके प्रसार को नियंत्रित करने के लिए कन्टेनमेन्ट जोन का प्रभावी ढंग से चिन्हांकन किया जाना सबसे महत्वपूर्ण कार्य है। शासन स्तर से इस विषय पर निर्गत शासनादेश में निर्दिष्ट दिशा-निर्देशों को दृष्टिगत रखते हुये जिला प्रशासन द्वारा माइक्रो लेवल पर कन्टेनमेन्ट जोन का सावधानीपूर्वक निर्धारण किया जाय। कन्टेनमेन्ट जोन की सूची जिलाधिकारी द्वारा राज्य की वेबसाइट पर अंकित/प्रसारित भी की जाए तथा भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को भी उपलब्ध कराई जाए। 

कन्टेनमेन्ट जोन के भीतर की गतिविधियों के सम्बन्ध में उन्होंने कहा कि कन्टेनमेन्ट जोन के अन्दर अतिआवश्यक गतिविधियां ही अनुमन्य की जायें। कन्टेनमेन्ट जोन के भीतर एवं बाहर चिकित्सकीय आपातकालीन सुविधाओं तथा आवश्यक वस्तुओं व सेवाओं की आपूर्ति के अतिरिक्त अन्य किसी प्रकार के आवागमन को नियंत्रित करने हेतु सख्त मानक अपनाये जाए। इस उद्देश्य हेतु गठित सर्विलांस टीम द्वारा प्रत्येक मकान (House to House) की सघन निगरानी की जाय। निर्धारित प्रोटोकाल के अनुसार कोविड-19 की टेस्टिंग की जाये। कोविड-19 पाॅजिटिव पाये गये व्यक्तियों के सम्पर्क में आये सभी व्यक्तियों की सूची (कान्ट्रैक्ट ट्रेसिंग) तैयार की जाये तथा इनके चिन्हांकन, ट्रैसिंग, क्वारन्टाईन तथा 14 दिनों तक निरन्तर अनुश्रवण की कार्यवाही की जाये। यथा संभव पाॅजिटिव पाये जाने के 72 घण्टे के अन्दर ही 80 प्रतिशत सम्पर्क चिन्हित कर लिये जाये। 

इसके अतिरिक्त कोविड-19 मरीजों को तत्काल आइसोलेट किया जाये, यदि वो होम आइसोलेशन की शर्ते पूर्ण करते हैं तो होम आइसोलेट करते हुये चिकित्सकीय उपचार प्रारम्भ कर दिया जाये। आवश्यकतानुसार हाॅस्पिटल में भर्ती कर उपचार किया जाये तथा उपचार की सतत निगरानी की जाये। आई0एल0आई0/एस0ए0आर0आई0 के प्रकरण में निरन्तर निगरानी रखते हुये स्वास्थ्य सुविधायें उपलब्ध करायी जाये। बफर जोन में फीवर क्लीनिक अथवा मोबाईल चिकित्सा यूनिट को सक्रिय किये जाने पर विचार किया जाये। कोविड-19 से सम्बन्धित अनुमन्य गतिविधियों (आचरण) (Appropriate Behaviour) विषय में आम समुदाय को निरन्तर जागरूक किया जाये। कन्टेनमेन्ट जोन के निर्धारित मानदण्डों का सख्ती से अनुपालन कराये जाने का उत्तरदायित्व जिला प्रशासन, पुलिस व स्थानीय निकाय के अधिकारियों का होगा। 

कन्टेनमेन्ट जोन के बाहर अनुमन्य गतिविधियों के सम्बन्ध में उन्होंने कहा कि किसी भी बन्द स्थान यथा हाॅल/कमरे की निर्धारित क्षमता का 50 प्रतिशत किन्तु एक समय में अधिकतम 100 व्यक्तियों तक ही फेस माॅस्क, सोशल डिस्टेंसिंग, थर्मल स्केनिंग व सेनेटाइजर एवं हैण्ड वाॅस की उपलब्धता की अनिवार्यता के साथ अनुमन्य की जायेगी। खुले स्थान/मैदान पर ऐसे स्थानों के क्षेत्रफल की 40 प्रतिशत से कम क्षमता तक ही व्यक्तियों को फेस माॅस्क, सोशल डिस्टेंसिंग, थर्मल स्केनिंग व सेनेटाइजर एवं हैण्ड वाॅश की उपलब्धता के साथ अधिकतम अनुमन्य होगा। 

उन्होंने स्थानीय प्रतिबन्ध के सम्बन्ध में कहा है कि कन्टेनमेन्ट जोन के बाहर किसी भी राज्य अथवा अन्य जिला/सब डिवीजन/नगर प्रशासन द्वारा भारत सरकार की पूर्वानुमति के बिना स्थानीय स्तर पर किसी भी प्रकार का लाॅकडाउन नहीं लगाया जा सकेगा। यद्यपि कि कोविड-19 के प्रसार को नियंत्रित करने के उद्देश्य से परिस्थितियों का आकलन करते हुये स्थानीय प्रतिबन्ध (यथा रात्रि कफ्र्यू आदि) लागू किया जा सकता है। कार्यालयों में भी सामाजिक दूरी के मानकों का अनुपालन किया जाना आवश्यक होगा। ऐसे शहरों में जहां कोविड-19 पाॅजिटिविटी दर 10 प्रतिशत से अधिक है, वहां एक ही समय पर उपस्थित कार्मिकों की संख्या को कम रखने के उद्देश्य से राज्य प्रशासन विखण्डित कार्यालय समय प्रबन्धन (Staggered Office Timing) अथवा अन्य समुचित प्रबन्धन पर विचार कर निर्णय लेगा। 

अन्तर्राज्यीय (Inter-state) एवं राज्य के अन्दर (Intra-state) आवागमन के सम्बन्ध में उन्होंने कहा कि अन्तर्राज्यीय एवं राज्य के अन्दर व्यक्तियों एवं माल आदि के आवागमन पर कोई प्रतिबन्ध नहीं होगा। पड़ोसी देशों के साथ की गयी संधियों की शर्ताें के अनुरूप सीमा-पार परिवहन की अनुमति होगी। इस हेतु पृथक से किसी भी प्रकार की अनुमति/अनुमोदन/ई-परमिट की आवश्यकता नहीं होगी। उन्होंने कहा कि समय-समय पर विभिन्न गतिविधियों हेतु शासन स्तर से एस0ओ0पी0/मार्ग निर्देश निर्गत किये गये हैं, जिनमें मुख्यतः यात्री ट्रेनों से आवागमन, घरेलू हवाई यात्राएं, मेट्रो रेल, स्कूल, उच्च शैक्षणिक संस्थायें, होटल एवं रेस्टोरेंट्स, शाॅपिंग माॅल, मल्टीप्लेक्स, मनोरंजन पाक्र्स, योगा केन्द्र व जिम तथा सभा एवं सभागम आदि हैं। सम्बन्धित अधिकारियों, जो इसके पर्यवेक्षण हेतु उत्तरदायी हैं, के द्वारा इनका सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित कराया जाये। 

जारी दिशा-निर्देशों में संक्रमण के खतरे के प्रति संवेदनशील (vulnerable) व्यक्तियों की सुरक्षा के संदर्भ में उन्होंने कहा कि 65 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति, सह-रूगणता (co-morbidity) अर्थात एक से अधिक अन्य बीमारियों से ग्रसित व्यक्ति, गर्भवती स्त्रियां और 10 वर्ष की आयु से नीचे के बच्चें, सिवाय ऐसी परिस्थितियों के जिनमें स्वास्थ्य सम्बन्धी आवश्यकताओं हेतु बाहर निकलना जरूरी हो, घरों के अन्दर ही रहेंगे।

उन्होंने कहा कि आरोग्य-सेतु ऐप शुरूआती संक्रमण के खतरे को पहचानने और संक्रमण के विरुद्ध व्यक्ति एवं समुदाय को सुरक्षा प्रदान करता है। कार्यालयों एवं कार्यस्थलों पर समस्त कर्मचारियों/कार्मिकों को संक्रमण से बचाव हेतु अपने मोबाइल फोन में आरोग्य सेतु एप डाउनलोड कर लेना चाहिये। जिला-प्रशासन/प्राधिकारी प्रत्येक व्यक्ति को अपने मोबाइल फोन में आरोग्य-सेतु एप एवं आयुष कवच कोविड एप को डाउनलोड करने के लिये प्रोत्साहित करने का प्रयास करें, जिससे कि उसका स्वास्थ्य सम्बन्धी स्टेटस ऐप पर अपडेट होता रहे। इससे खतरों के प्रति संवेदनशील व्यक्तियों को समय रहते चिकित्सकीय सहायता प्रदान की जा सकेगी। 50 या उससे अधिक कर्मचारियों वाले संगठनों और व्यावसायिक संस्थाओं को Aarogya Setu OpenAPI सेवा प्रोत्साहित करेगी। यह व्यवस्था संगठनों और कर्मचारियों को कोविड-19 के जोखिममुक्त वातावरण में काम पर लौटने की सुविधा प्रदान करेगी। 

  मुख्य सचिव ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि जारी दिशा-निर्देशों का आपदा प्रबन्धन अधिनियम, 2005 के अनुसार कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराया जाये। सोशल-डिस्टेन्सिंग का कड़ाई से अनुपालन कराने हेतु धारा-144 सी0आर0पी0सी0-1973 का आवश्यकतानुसार प्रयोग किया जाये। किसी व्यक्ति द्वारा दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने पर आपदा-प्रबन्धन अधिनियम, 2005 की सुसंगत धाराओं एवं दिये गये प्रावधानों के अन्तर्गत कार्यवाही की जाये। उपरोक्त दिशा-निर्देश दिनांक 01 दिसम्बर, 2020 से अग्रिम आदेशों तक लागू रहेंगे। 

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