लघु कथा -दोस्ती

दोस्ती


राजेश अपने मित्र महेश के साध रोजी रोटी की तलाश      में दो तीन माह पूर्व ही गाँव से शहर आया था । महेश पहले ही एक कपडे की मील मे काम करता था ।अत: राजेश क़ो भी उसी मील मे आसानी से काम मिल गया । वह हाटगंज में चौधरी के मकान में किराये पर एक कमरा लेकर रहने लगा ।चौधरी के मकान में एक बिल्ली कही से नियमित आने लगी ।राजेश चाय-वाय के लिये दूध लाता तो कुछ दुध शाम के लिए बचा कर रख देता ।लेकिन बिल्ली चुपचाप पी जाती ।उसे बहुत गुस्सा आता पर उसने बिल्ली को मारकर भगाने की कोशिश नहीं की ।उसे लगता वह अपने भाग्य का पी रही है ।धीरे-धीरे उसे बिल्ली से आत्मीयता हो गयी और वह बिल्ली के लिए अलग से एक कटोरी में दू ध निकाल कर रख देता

         एक दिन किसी सिरफिरे की करतूत से शहर में दंगा भड़क गया ।देखते- देखते दंगा हिसंक हो गया । प्रशासन ने शहर में कर्फ्यू की घोषणा कर दी ।पुलिस प्रशासन मुस्तैदी से दंगा नियन्त्रण करने में लग गया । कर्फ्यू क्ई दिनों तक चला । राजेश के पास खाने पीने का सामान खतम हो चुका था ।बीच में एक दो घंटे के लिए कर्फ्यू में एक दो घंटे के लिए ढील भी दी गयी पर रुपये पैसे न होने से वह बाजार से कुछ खरीद नहीं पाया ।

     बिल्ली प्रतिदिन राजेश के कमरे में आती इधर उधर ताक झाँक कर मायूस होकर चली जाती ।राजेश के पास खाने के लिए कुछ भी नहीं बचा था ।एक दो दिन तो उसने पानी पीकर शरीर को संभाले रखा ।लेकिन धीरे -धीरे शरीर जबाब देने लगा और वह निढाल होकर फर्श पर गिर पड़ा ।

        इसी समय प्रतिदिन की तरह बिल्ली राजेश के कमरे में आयी ।राजेश की यह दशा देखकर वह धीरे कदमों से वापस चली गयी ।थोडी देर बाद बिल्ली आसपास की किसी दुकान से एक ब्रेड का पैकैट मुख में दबाकर छत-छत होती हुई राजेश के कमरे में आई उसके हाथ में ब्रेड का पैकेट रख दिया ।बिल्ली के शरीर से खून वह रहा था क्योंकि दुकानदार ने बिल्ली को ब्रेड ले जाते देखकर डंडा फेंक कर मारा था जिससे उसकी टॉग टूट गयी थी ।वह पस्त होकर वहीं गिर गई ।ब्रेड खाकर राजेश के शरीर में चेतना आई ।उसने देखा बिल्ली उसकी ओर निहार रही है ।वह पास जाकर उसे सहलाने लगा उसकी आँखों में दोस्ती के आँसू थे ।

  आदित्य कुमार गुप्ता कोटा

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