महामारी से बचना है तो छोड़ें मांसाहार

आदि काल में मनुष्य का भोजन पशुओं को मार के या कन्द मूल फल खाकर पेट भरता था ।समय के साथ मनुष्य का विकास होता गया और भरण पोषण के लिए तमाम चीजों की उपज की परंतु मानव विकास के साथ 19-20वीं शताब्दी में तो मनुष्य ने अपनी हिंसा की सारी हदें पार कर दी और उसके लिए हर प्रकार के पशुओं का वध करके उसे भोजन करने में अत्यधिक आनंद आने लगा ।पशुओं के प्रति इस हिंसात्मक व प्राकृतिक संरक्षण की बात को लेकर एक नहीं अनेक महापुरुषों ने 25 नवंबर को पशुओं के प्रति अहिंसा का व्यवहार अपनाने की ना केवल अपील की बल्कि अपने जन्मदिन को अहिंसा का संदेश देते हुए पशु मांसाहार निषेध के रूप में भी मनाने लगे ।समाजिक संस्थाओं ने 25 नवंबर को मांसाहारी निषेध दिवस मनाने के लिए के अहिंसा विषय में अनेक गोष्ठी ,चित्र प्रतियोगिता ,रेली आदि आयोजित करने लगे ।पशु पालन निदेशालय ने पशुओं की घटती हुई संख्या और उसका पर्यावरण पर बढ़ते हुआ विपरीत प्रभाव को देखते हुए पशु क्रूरता निवारण अधिनियम लाया गया| विभाग द्वारा 25 नवंबर को पूरे देश में मांसाहार निषेध दिवस बनाया ताकि पशुओं की रक्षा करके संख्या को बढ़ाया जा सके ।विश्व की सभी डॉक्टरों का कहना है कि अगर मांस के सेवन से आदमी के स्वास्थ्य  पर अनेक प्रकार से विपरीत प्रभाव पड़ता है, जैसे गैस की समस्या ,अपच ,लीवर की समस्या ,ब्लड प्रेशर दिल व दिमाग़ की रफ्तार धीमी होना और सबसे बड़ी बात है आदमी में हिंसकआत्मक विचारों का जन्म होता है ।आज मांसाहार की पूर्ति के लिए अनेक पूरक पदार्थ हैं जैसे  राजमा ,दाल के साथ  अनेक प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन कर इनकी पूर्ति की जा सकती है । डॉक्टरों का एक और कहना है मांसाहारी होने से अनेक रोगों से पीड़ित लोगों की संख्या का पता नहीं चलता है| आमतौर पर मांस की बिक्री ज्यादातर खुले में होती है और वहां साफ-सफाई का भी ध्यान नहीं रहता है| ऐसे में अनेक प्रकार के रोगों से व्यक्ति पीड़ित हो जाता है करोनो महामारी 19 भी इसका सबसे बड़ा जीता जागता उदाहरण है| आज हमें महर्षि दयानंद जी व  अन्य महापुरुषों की बात को मानते हुए अपने विचारों को सकारात्मक करने के लिए व पर्यावरण को बचाने के लिए मांसाहार के सेवन को त्यागना चाहिए |  वेदों में भी कहा गया है अहिंसा व प्यार ही धर्म है और पशुओं के प्रति दयालुता का भाव प्रगट करने से आप अपने इष्ट की ना केवल पूजा करेंगे बल्कि ईश्वर द्वारा प्रदत्त पशुओं की रक्षा करेंगे ऑर ईश्वर के धन्यवाद के पात्र बनेंगे साथ ही साथ पर्यावरण को नुकसान नहीं होने से हम आने वाली अपनी पीढी को एक स्वस्थ और स्वच्छ वातावरण प्रस्तुत करेंगे| अतः हम सबको आज यह निर्णय लेना चाहिए किसी पशु को मारकर खाने से बेहतर है अपने द्वारा उगाए हुए अन्न का सेवन करके किसान को रोजगार दें और पर्यावरण को स्वस्थ बनाऐगे|


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