महारानी लक्ष्मीबाई के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में विश्व धरोहर सप्ताह का शुभारम्भ

महारानी लक्ष्मीबाई के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में विश्व धरोहर सप्ताह का शुभारम्भ -


रानी लक्ष्मीबाई का सुशासन आज के लिए पथ प्रदर्शक है।



वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई के जन्म दिन से उ0प्र0 संस्कृति विभाग के अंतर्गत राजकीय संग्रहालय एवं क्षेत्रीय पुरातत्व इकाई-झॉसी, इन्टैक झॉसी तथा ललितपुर चैप्टर एवं बुन्देलखण्ड इतिहास, पुरातत्व एवं संस्कृति शोध समिति के संयुक्त तत्वावधान में विश्व धरोहर सप्ताह का शुभारम्भ दिनांक 19 नवम्बर, 2020 को प्रातः 11 बजे राजकीय संग्रहालय, झांसी में फोटो प्रदर्शनी के आयोजन से किया गया। शुभाराभ राज्य मंत्री श्री हरगोविन्द कुशवाहा द्वारा महारानी लक्ष्मीबाई के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर कियाइस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य वक्ता पूर्व आई.ए.एस. डॉ0 प्रमोद अग्रवाल ने बताया कि उन्होंने 300 पृष्ठों की एक शोधपरक पुस्तक रानी लक्ष्मीबाई के बारे में लिखा है। उन्हेंने बताया कि रानीलक्ष्मी बाई का प्रशासन और अंग्रेजों को भगाने की दूरदर्शी नीति अद्भुत थी। उन्होंने ने विस्तार से रानी के प्रशासन, सर्वधर्म समभाव, कूटनीति, राजनीति, धर्म आदि के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला। मुख्य अतिथि राज्य मंत्री श्री कुशवाहा ने लक्ष्मीबाई के जीवन से सीख लेने एवं महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बताया। इस अवसर पर इंटैक झांसी के संयोजक राजीव शर्मा, पुरातत्व अधिकारी डा0एस.के. दुबे, एवं संग्रहालय प्रभारी डॉ. उमा पाराशर ने अपने विचार व्यक्त किये।


प्रदर्शनी में रानी लक्ष्मीबाई एवं उनके पति गंगाधर राव के द्वारा निर्मित स्मारकों को भी दर्शाया गया है। इसके अतिरिक्त प्रदर्शनी में झांसी जनपद में स्थित ठकुरपुरा की गढ़ी, चिरगांव के पास स्थित रमपुरा गाँव में निर्मित रामजानकी मन्दिर की दीवारों पर बने दुर्लभ चित्र, एरच एवं वहाँ से प्राप्त तीन हजार वर्ष पुराना ताम्र निर्मित औजार, राजा गंगाधर राव द्वारा बनाये गये बालाबेहट किला, तालबेहट का मिला, धसान नदी के बीहड़ क्षेत्र में स्थित चन्देलकालीन मन्दिर, पाण्डुवन में स्थित पांडवों के प्रतीक के रूप में मान्य दुर्लभ शिवलिंग, दूधई का चौंसठ योगिनी मन्दिर, गंगाधरराव की समाधि, रोरा के जंगल में स्थित पिसनारी दायी का मठ आदि के दुर्लभ चित्र प्रदर्शित किये गये हैं। प्रदर्शनी में रानी लक्ष्मीबाई के विभिन्न अवसरों से सम्बन्धित पवन वर्मा द्वारा बनाये गये चित्र तथा टोड़ी के राजा प्रताप भानु सिंह द्वारा प्रदर्शित रानी से सम्बन्धित दस्तावेज आकर्षण का विषय रहे हैं। प्रदर्शनी दिनांक 25 नवम्बर, 2020 तक दर्शकों के लिए निःशुल्क खुली रहेगी।


कार्यक्रम में मोहन नेपाली रामकृश्ण वर्मा गनगोहन गन् प्रदीप तिवारी राहल मिश्रा. रामप्रकाष गुप्ता, नफासत उल्ला खॉ, प्रीति करण, राजकुगार गानवेन्द्र सिंह, मुकेश रायकवार, श्यामजी श्रीवास्तव, रिंकी श्रीवास्तव, दिव्या प्रजापति, ओम प्रकाश, अरविन्द, संजय चौरसिया, मनीष आदि उपस्थित थे।


इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सबसे बड़ा वेद कौन-सा है ?

कर्नाटक में विगत दिनों हुयी जघन्य जैन आचार्य हत्या पर,देश के नेताओं से आव्हान,