विश्व युद्ध : दूसरे चरण की ओर

ज़ैविक युद्ध के बीच विश्व युद्ध अब अपने पहले चरण में है जब दुनिया में जगह जगह अनपेक्षित सैन्य तैयारियों के बीच बहुत से देशों की सेनायें आमने सामने हैं व छोटे छोटे संघर्ष कर रही हैं। चाहे मध्य एशिया में बढ़ता तनाव हो या नगानो कार्राबाक की लड़ाई या फिर आतंकी हमलों के बीच फ़्रान्स व तुर्की में बढ़ी तनातनी या फिर कोरोना महाआपदा से तमतमाए विश्व की चीन को सबक़ सिखाने की आतुरता  से उपजे तनाव। फिर चीन व पाकिस्तान की चुनोतियों का सामना करता तेज़ी से सैन्य तैयारियों में लगा भारत या दक्षिण व पूर्वी चीन सागर में चीन की दादागिरी से उपजी भीषण युद्ध की संभावनाएँ। अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों के परिणामो के बाद अंतरराष्ट्रीय शक्ति व सेन्य संतुलन व समीकरण बहुत तेज़ी से बदलेंगे। अभी तक जो भी कुछ वेश्विक स्तर पर दिख रहा है उसके केंद्र में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव ही हैं। हर महाशक्ति अमेरिका में अपने पक्ष की सरकार बनते देखना चाहती है। ऐसे में ये बदलाव चाहे ट्रम्प जीतें या बीडेने मगर वेश्विक शांति के लिए अच्छे नहीं होने वाले। इन चुनावों के बाद विश्व युद्ध का दूसरा चरण शुरू हो जाएगा।ऐसे में दुनिया के कई हिस्सों में आमने - सामने की जंग छिड़ना तय है। चाहे वो कोरोना की दूसरी लहर के नाम पर हो , सीमा विवाद के नाम पर हो , धर्म के नाम पर हो , संसाधनो पर क़ब्ज़े के नाम पर हो या आंतरिक ग्रहयुद्ध के नाम पर हस्तक्षेप के नाम पर हो।प्रारम्भ में यह छोटे छोटे राष्ट्रों को भिड़ाने के रूप में सामने आएगी। अगर उससे भी शक्ति संतुलन स्थापित नहीं हुआ तो परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्र भी मैदान में उतरेंगे और परंपरागत युद्ध से बात नहीं बनती दिखी तो अपने परमाणु हथियारों का प्रयोग भी कर सकते हैं यानि विश युद्ध का निर्णायक चरण।भारत की कूटनीति व सामरिक नीति की असली परीक्षा इन परिस्थितियों में ही होगी और उम्मीद है कि जिस रणनीति से अभी तक मोदी सरकार ने सभी चुनौतियों को पार पाया है इस महासंकट से भी देश को निकाल ले जाएगी।


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