विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता का मतलब मनमानी नहीं होता है-राज्यपाल


लखनऊ: 5 नवम्बर, 2020 



उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में आज राजभवन में प्रदेश के कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालयों एवं पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय की समस्याओं के संबंध में हुई बैठक में राज्यपाल ने कहा कि इस बैठक का मुख्य उद्देश्य कुलपति एवं शासन के उच्च अधिकारियों को आमने-सामने एक साथ बैठाकर समस्याओं का निराकरण कराना था, क्योंकि अलग-अलग बैठक करने पर समस्याओं के संबंध में पूरी तस्वीर सामने नहीं आती है। उन्होंने कहा कि सभी कुलपति विश्वविद्यालय में नियमित रूप से बैठें तथा छात्र-छात्राओं से नियमित रूप से मिलकर उनकी समस्याओं का समाधान निकालें। छात्रों के बीच कुलपति को अपनी ऐसी आभा बनानी चाहिए, जिससे छात्रों को लगे कि कुलपति छात्रों एवं विश्वविद्यालय के हित में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज की बैठक के बारे में दिये गये दिशा निर्देशों के क्रम में विश्वविद्यालय में 3 माह के अन्दर क्या-क्या कार्य किए गये हैं, उसकी प्रगति रिपोर्ट कुलपति भेजेंगे।
श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालयों में रिक्त पदों पर केन्द्र व राज्य सरकार के दिशा निर्देशों के अनुरूप पूरी पारदर्शिता के साथ स्वीकृत पदों पर नियमित नियुक्ति करें। नियुक्ति के संबंध में राजभवन को कोई भी शिकायत प्राप्त नहीं होनी चाहिए। उन्होंने निर्देश दिये कि सभी कुलपति नियुक्ति संबंधी साक्षात्कार की पूरी रिकार्डिंग करायंेगे और उसे सुरक्षित रखेंगे। रिक्त नियमित पदों एवं सेवानिवृत्ति से रिक्त होने वाले पदों पर राज्य सरकार द्वारा भती पर कोई रोक नहीं है। राज्यपाल ने स्पष्ट कहा कि स्वायत्तता का मतलब मनमानी नहीं होता है, ऐसी स्थिति में कोई कुलपति ऐसा कोई कार्य न करे जो नियमों की परिधि के बाहर हो। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में चल रहे निर्माण कार्यों को समय सीमा के अन्तर्गत पूरा करें, जिससे उसकी लागत में वृद्धि न हो।
बैठक में प्रदेश के कृषि एवं कृषि शिक्षा मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही ने राज्यपाल को अवगत कराया कि प्रदेश के सभी कृषि महाविद्यालयों को राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के साथ उनके परिक्षेत्र के आधार पर सम्बद्ध किये जाने का मामला नीतिगत है तथा इस पर शीघ्र ही मुख्यमंत्री जी के साथ बैठक कर निर्णय लिया जायेगा। उन्होंने कहा कि कृषि विश्वविद्यालयों में भी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग विनियम 2018 अंगीकृत कर यथाशीघ्र लागू किया जायेगा। इसी तरह कृषि विश्वविद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों एवं कर्मचारियों को भी चिकित्सा, ग्रेच्युटी और अवकाश नकदीकरण की सुविधा देने पर राज्य सरकार विचार कर यथा शीघ्र निर्णय लेगी। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय अधिनियम 1958 के कुछ परिनियम अप्रासंगिक हैं, जिनके संशोधन के लिए कुलपति, सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय मेरठ की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है, जो अपनी रिपोर्ट एक माह में देगी। इस समिति में देश के सभी कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को भी रखा गया है।
बैठक में राज्यपाल ने चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में कार्यरत वैज्ञानिकों द्वारा तैयार पुस्तक ‘जैविक खेती के आयाम’ का विमोचन भी किया। 
इस अवसर पर पशुधन मंत्री श्री लक्ष्मी नारायण चैधरी, कृषि राज्य मंत्री श्री लाखन सिंह राजपूत, मुख्य सचिव श्री आर0के0 तिवारी, अपर मुख्य सचिव राज्यपाल श्री महेश कुमार गुप्ता, अपर मुख्य सचिव कृषि श्री देवेश चतुर्वेदी, अपर मुख्य सचिव वित्त श्रीमती राधा एस0 चैहान, प्रमुख सचिव पशुधन श्री भुवनेश कुमार, राज्यपाल के विशेष कार्याधिकारी शिक्षा श्री केयूर सम्पत के साथ ही बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, बांदा के कुलपति डा0 यू0एस0 गौतम, सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय मेरठ के कुलपति डा0 राजेश कुमार मित्तल, आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या के कुलपति डा0 बिजेन्द्र सिंह, चन्द्र शेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति प्रो0 डी0आर0 सिंह तथा पं0 दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गो अनुसंधान संस्थान मथुरा के कुलपति प्रो0 जी0के0 सिंह भी उपस्थित थे।


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