प्रदेश के समस्त ग्रामों में निर्विवाद उत्तराधिकार को खतौनियों में दर्ज कराये जाने हेतु दिनांक 15 दिसम्बर, 2020 से 15 फरवरी, 2021 तक दो माह का विशेष अभियान चलाये जाने के सम्बन्ध में समय-सारिणी एवं विस्तृत दिशा निर्देश जारी

जिलाधिकारी द्वारा जिला स्तर पर व मण्डलायुक्त द्वारा मण्डल स्तर पर नियमित पाक्षिक समीक्षा की जायेगी समस्त मण्डलायुक्तों एवं जिलाधिकारियों से निर्धारित समय सारिणी एवं दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्यवाही सुनिश्चित कराने के निर्देश दिनांक: 11 दिसम्बर, 2020 लखनऊ: प्रदेश के समस्त ग्रामों में निर्विवाद उत्तराधिकार को खतौनियों में दर्ज कराये जाने हेतु 15 दिसम्बर, 2020 से 15 फरवरी, 2021 तक दो माह के विशेष अभियान कार्यक्रम के सम्बन्ध में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं। उक्त जानकारी देते हुए मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी ने बताया कि भू-अभिलेखों को अद्यतन रखना राजस्व विभाग का एक महत्वपूर्ण कार्य है। समय-समय पर वरासत आदि को राजस्व अभिलेखों में अद्यतन करते रहना राजस्व विभाग का दायित्व है। वरासत के प्रकरणों में समय से कार्यवाही ने होने से न केवल विधिक उत्तराधिकारी अपने अधिकार से वंचित रह जाते हैं, अपितु अनावश्यक विवाद भी उत्पन्न होते हैं परिणाम स्वरूप असामाजिक तत्वों/भू-माफियाओं द्वारा भूमि पर अवैध कब्जे का प्रयास किया जाता है, जिससे कभी-कभी कानून व्यवस्था की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है। इसके अतिरिक्त राजस्व संहिता अधिनियम 2006 की धारा-31 के अनुसार कलेक्टर का यह दायित्व है कि वह राजस्व संहिता नियमावली में विहित रीति से प्रत्येक ग्राम के अधिकार अभिलेख (खतौनी) रखेगा। कलेक्टर के नियंत्रण के अधीन रहते हुए उप जिलाधिकारी, तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक, अधिकार अभिलेख, खतौनी, खसरा व मानचित्र में समस्त परिवर्तन जो घटित होंगे और ऐसे अन्य समस्त संव्यवहारों को, जिनका किन्हीं अभिलिखित अधिकारों या हितों पर प्रभाव पड़े, अभिलिखित करेंगे। अतः राजस्व अभिलेखों को अद्यतन रखने के दृष्टिगत शासन द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि राजस्व प्रशासन के द्वारा निर्विवाद उत्तराधिकारियों के नाम खतौनियों के दर्ज करने हेतु दिनांक 15 दिसम्बर, 2020 से 15 फरवरी, 2021 तक दो माह का विशेष अभियान चलाया जाये। निर्विवाद उत्तराधिकार/वरासत हेतु आवेदन पत्रों के निस्तारण हेतु उ0प्र0 राजस्व संहिता नियमावली, 2016 के नियम-29 व परिषदादेश दिनांक 14 अगस्त, 2017 के निर्धारित प्रक्रिया का अनुपालन किया जाये, परन्तु आवेदन पत्रों के अग्रसारण व उस पर की जा रही जांच आख्या आदि के अंकित करने की आॅनलाइन कार्यवाही परिषदादेश दिनांक 29 अक्टूबर, 2018 में दी गयी आॅनलाइन प्रक्रिया के अनुसार ही की जायेगी। राजस्व अनुभाग-2 के शासनादेश दिनांक 22.02.2018 द्वारा उ0प्र0 राजस्व संहिता में उल्लिखित प्राविधानों के अनुसार संक्रमणीय भूमिधरी अधिकार व अविवादित वरासत दर्ज कराये जाने के सम्बन्ध में विशेष अभियान चलाये जाने के दिशा-निर्देश उल्लिखित किये गये हैं। आवेदन की प्रक्रिया के सम्बन्ध में उन्होंने बताया कि आवेदक द्वारा प्रार्थना पत्र/रिपोर्ट दिये जाने की स्थिति में आवेदक स्वयं आॅनलाइन अथवा जनसेवा केन्द्र पर प्रार्थना पत्र भरने के लिए राजस्व परिषद की वेबसाइट bor.up.nic.in के मुखपृष्ठ पर दिये गये राजस्व न्यायालय कम्प्यूटरीकृत प्रबन्धन प्रणाली लिंक पर उपलब्ध उत्तराधिकार/वरासत हेतु आवेदन (प्रपत्र आर0सी0 09 पूर्व में ‘‘प क-11 क’’) लिंक पर जाकर अपना मोबाइल नम्बर अंकित करेगा, तत्पश्चात् मोबाइल पर प्राप्त ओ0टी0पी को भरकर अपना एक बार पंजीकरण करेगा तथा वांछित सूचनाएं पोर्टल पर भरेगा। लेखपाल द्वारा रिपोर्ट दिये जाने की स्थिति में लेखपाल द्वारा अपनी लाॅगिन आई0डी0 से उत्तराधिकार/वरासत सम्बन्धी विवरण भरा जा सकेगा। आवेदन तथा लेखपाल द्वारा प्रार्थना पत्र भरे जाने के पश्चात् सबमिट करते ही आवेदन क्रमांक स्वतः जनरेट हो जायेगा तथा सम्बन्धित राजस्व ग्राम के हल्का लेखपाल और सम्बन्धित राजस्व निरीक्षक के लाॅगिन आई0डी0 पर स्वतः प्रेषित हो जायेगा। उक्त प्रार्थना पत्र/रिपोर्ट/लेखपाल द्वारा सत्यापन के आधार पर मृतक/विवाहित/पुनर्विवाहिता की वरासत दर्ज किये जाने हेतु निर्धारित कार्यक्रमानुसार निर्विवाद उत्तराधिकार को खतौनियों में दर्ज कराये जाने हेतु अभियान समय सारिणी के अनुसार संचालित किया जायेगा। अभियान कार्यक्रम के सम्बन्ध में उन्होंने बताया कि राजस्व/तहसील अधिकारियों द्वारा भ्रमण कर राजस्व ग्रामों में प्रचार-प्रसार तथा खतौनियों का पढ़ा जाना तथा लेखपाल द्वारा वरासत हेतु प्रार्थना-पत्र प्राप्त कर उन्हें आॅनलाइन भरे जाने हेतु दिनांक 15.12.2020 से 30.12.2020 तक का समय निर्धारित किया गया है। क्षेत्रीय लेखपाल द्वारा परिषदादेश दिनांक 29 अक्टूबर, 2018 में दी गयी व्यवस्था लेखपाल द्वारा आॅनलाइन जांच की प्रक्रिया के अनुसार कार्यवाही किये जाने के लिए दिनांक 31.12.2020 से 15.01.2021 तक का समय निश्चित किया गया है। राजस्व निरीक्षकों द्वारा परिषदादेश दिनांक 29 अक्टूबर, 2018 में दी गयी व्यवस्था राजस्व निरीक्षक जांच एवं आदेश पारित करने की प्रक्रिया के अनुसार कार्यवाही किये जाने हेतु दिनांक 16.01.2021 से 31.01.2021 तक का समय निर्धारित किया गया है। राजस्व निरीक्षक (कार्यालय) द्वारा राजस्व निरीक्षक के नामान्तरण आदेश को आर-6 में दर्ज करने के पश्चात् खतौनी की प्रविष्टियों को भूलेख साॅफ्टवेयर में अद्यावधिक करने के लिए दिनांक 16.01.2021 से 31.01.2021 तक का समय तय किया गया है। जिलाधिकारी द्वारा प्रत्येक लेखपाल, राजस्व निरीक्षक, तहसीलदार तथा उप जिलाधिकारी से इस आशय का प्रमाण पत्र प्राप्त किया जायेगा कि उनके क्षेत्र के अन्तर्गत स्थित राजस्व ग्रामों में निर्विविवाद उत्तराधिकार का कोई भी प्रकरण दर्ज होने से अवशेष नहीं है के लिये दिनांक 01 फरवरी, 2021 से 07 फरवरी, 2021 तक का समय निर्धारित किया गया है। अभियान के अंत में प्रत्येक जिलाधिकारी द्वारा जनपद की प्रत्येक तहसील के दस प्रतिशत राजस्व ग्रामों को रैण्डमली चिन्हित करते हुये उनमें अपर जिलाधिकारियों, उप जिलाधिकारियों व अन्य जनपद स्तरीय अधिकारियों द्वारा इस तथ्य की जांच करायी जायेगी कि निर्विवाद उत्तराधिकार का कोई प्रकरण दर्ज होने से बचा नहीं के लिये दिनांक 08 फरवरी, 2021 से 15 फरवरी, 2021 तक का समय निर्धारित किया गया है। जनपद की प्रगति रिपोर्ट निर्धारित प्रारूप में परिषद की वेबसाइट पर फीड करने हेतु क्रमशः दिनांक 31 दिसम्बर, 2020, दिनांक 17 जनवरी, 2021, दिनांक 02 फरवरी, 2021 की तिथि तय की गई है। जनपदों द्वारा परिषद को निर्धारित प्रारूप पर प्रमाण पत्र उपलब्ध कराये जाने की समय-सीमा दिनांक 20 फरवरी, 2021 निर्धारित की गई है। उक्त अभियान को सफलतापूर्वक सम्पादित करने हेतु राजस्व प्रशासन के विभिन्न प्राधिकारियों द्वारा निर्दिष्ट दायित्वों का निर्वहन किया जायेगा, जिसमें सभी मण्डलायुक्तों के द्वारा इस अभियान का पर्यवेक्षण किया जायेगा तथा राजस्व ग्रामों में खतौनियों के पढ़े जाने तथा अविवादित उत्तराधिकारियों की वरासतों को दर्ज किये जाने की कार्यवाहियों का समय-समय पर स्थलीय निरीक्षण भी किया जायेगा। जनपद स्तर पर इस अभियान के सफल संचालन का दायित्व सम्बन्धित जिलाधिकारी का होगा। जिलाधिकारी के द्वारा इस कार्यक्रम के व्यापक प्रचार-प्रसार हेतु अधीनस्थ अधिकारियों/कर्मचारियों, जन प्रतिनिधियों, प्रिण्ट व इलेक्ट्राॅनिक मीडिया के लोगों के साथ बैठकें की जाये। सम्पूर्ण समाधान दिवसों में भी अभियान का प्रचार-प्रसार किया जाये। अभियान को गति प्रदान करने के उद्देश्य से प्रत्येक जिलाधिकारी/अपर जिलाधिकारी के द्वारा नियत तिथि पर राजस्व ग्रामों का निरीक्षण किया जायेगा। उप जिलाधिकारी और तहसीलदार का दायित्व होगा कि प्रत्येक राजस्व ग्राम के लिये उपरोक्तानुसार भ्रमण कार्यक्रम तैयार करते हुये उसे सभी सम्बन्धित राजस्व निरीक्षकों/लेखपालों को सूचित करें। जिन ग्रामों के अधिकतर काश्तकार अन्य स्थानों पर निवास करते हों उन ग्रामों पर विशेष ध्यान दिये जाने की आवश्यकता होगी। उप जिलाधिकारी के द्वारा भ्रमण कार्यक्रम की प्रति जिला पंचायत राज अधिकारी, खण्ड विकास अधिकारी व अन्य शासकीय विभागों को भी सूचनार्थ एवं यथावांछित सहयोग हेतु प्रेषित की जाये। पंचायती राज विभाग एवं नगर विकास विभाग के अधिकारियों को विशेष रूप से निर्देशित किया जाये कि वे राजस्व निरीक्षक द्वारा आयोजित ग्राम राजस्व समिति की बैठक में परिवार रजिस्टर, जन्म-मृत्यु रजिस्टर व अन्य सम्बन्धित अभिलेखों के साथ उपस्थित रहें ताकि राजस्व अभिलेखों, पंचायती राज विभाग एवं नगर विकास विभाग के अभिलेखों में एकरूपता रहे और तीनों विभागों द्वारा रक्षित अभिलेखों को एक ही साथ अद्यावधिक किया जा सके। इसके अलावा उप जिलाधिकारी/तहसीलदार यह भी सुनिश्चित करेंगे कि राजस्व निरीक्षकों द्वारा प्राप्त कराये गये समस्त प्रपत्रों के अनुसार राजस्व निरीक्षक (कार्यालय)/सदर कानूनगो द्वारा यथाशीघ्र कम्प्यूटरीकृत खतौनी में निर्विवादित उत्तराधिकारियों के नामों की प्रविष्टि कराते हुये ‘भूलेख’ साफ्टवेयर अद्यावधिक कर दिया जाये व तद्नुसार अद्यावधिक खतौनी की नकलें निर्गत की जायें। अभियान के दौरान उप जिलाधिकारी/तहसीलदार व नायब तहसीलदारों के द्वारा अपने क्षेत्रों में व्यापक भ्रमण किया जाये। ऐसे काश्तकारों के लिये जो सामान्यतः ग्रामों में निवास नहीं कर रहे हैं या जिनका निर्धारित दिवस पर राजस्व ग्रामों में पहुंचना सम्भव न हों, उनके लिये प्रत्येक तहसील में एक काउण्टर खोलते हुये अविवादित वरासतों को दर्ज करने हेतु प्रार्थना पत्र प्राप्त किये जायें। उनकी सहायता के लिये हेल्प-लाईन तथा जन सुविधा केन्द्रों का भी उपयोग किया जाये। इसका व्यापक प्रचार-प्रसार भी सुनिश्चित कराया जाये। इसके अतिरिक्त अभियान से सम्बन्धित आवश्यक सूचना राजस्व परिषद की वेबसाइट पर निर्धारित प्रारूप पर समयान्तर्गत अनिवार्य रूप से फीड की जायेगी और इन्हीें सूचनाओं के आधार पर प्रगति की समीक्षा की जायेगी। अभियान की समाप्ति पर जिलाधिकारी द्वारा प्रत्येक लेखपाल, राजस्व निरीक्षक, तहसीलदार तथा उप जिलाधिकारी से इस आशय का प्रमाण पत्र प्राप्त किया जायेगा कि उनके क्षेत्र के अन्तर्गत स्थित राजस्व ग्रामों में निर्विवाद उत्तराधिकार का कोई भी प्रकरण दर्ज होने से अवशेष नहीं है। अभियान के अन्त में प्रत्येक जिलाधिकारी द्वारा जनपद की प्रत्येक तहसील के दस प्रतिशत राजस्व ग्रामों को रैण्डमली चिन्हित करते हुये उनमें अपर जिलाधिकारियों, उप जिलाधिकारियों व अन्य जनपद स्तरीय अधिकारियों द्वारा इस तथ्य की जांच करायी जायेगी कि निर्विवाद उत्तराधिकार का कोई प्रकरण दर्ज होने से बचा नहीं है। यदि जांच में यह पाया जाता है कि किसी ग्राम में सम्बन्धित लेखपाल राजस्व निरीक्षक के द्वारा अविवादित वरासत बिना किसी समुचित कारण के दर्ज नहीं की गयी है तो उनके विरुद्ध नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्यवाही भी की जाये। साथ ही उत्कृष्ट कार्य करने वाले कर्मियों को प्रोत्साहित भी किया जाये। जिलाधिकारी द्वारा जिला स्तर पर व मण्डलायुक्त द्वारा मण्डल स्तर पर नियमित पाक्षिक समीक्षा की जायेगी। उन्होंने समस्त मण्डलायुक्तों एवं जिलाधिकारियों को निर्देशित किया है कि निर्विवादित उत्तराधिकारियों के नाम खतौनियों में दर्ज कराने हेतु चलाये जा रहे इस अभियान में व्यक्तिगत रुचि लेते हुये उपर्युक्त निर्देशों के अनुसार कार्यवाही सुनिश्चित करायें तथा कृत कार्यवाही से राजस्व परिषद एवं शासन को अवगत करायें। उन्होंने अपर मुख्य सचिव पंचायती राज विभाग, अपर मुख्य सचिव नगर विकास विभाग तथा अपर मुख्य सचिव ग्राम्य विकास विभाग से भी इस अभियान में वांछित सहयोग प्रदान किये जाने हेतु अपने स्तर से भी आवश्यक निर्देश निर्गत करने का अनुरोध किया है। ------------

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