प्ंाचायत चुनाव और 2022 के लिए सभी दल चले गांव की ओर गाय व किसानों के नाम पर बहा रहे घड़ियालाी आंसू

मृत्युंजय दीक्षित प्रदेश मेें आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों और 2022 के विधानसभा चुनावों के लिए सभी दलों ने अपनी तैयारियां तेज करनी षुरू कर दी है। पंचायत चुनावों और आगामी विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा ने भी अपनी रणनीति बनानी षुरू कर दी है । वहीं सभी विरोधी दल व अन्य छोटे दल भी अपनी ताकत को इन पंचायत चुनवों के माध्यम से आजमाना चाह रहे हैं। अभी फिलहाल पंचायतोेें पर प्रषासनिक अधिकारियों की नियुक्ति हुई है जिसका विरोध भी राजनैतिक दलोें की ओर से किया गया लेकिन यह दल भूल गये कि जब इन दलों की सरकारेें आती -जाती रहती थी तब इन दलों ने पंचायतांे का क्या हाल बना दिया था। कोई भी दल ऐसा नहीं है जिसने ग्रामीण व्यवस्था की सरकारों में सरकारी मषीनरी का हस्तक्षेप न किया हो। पंचायतों के अध्यक्षांे को अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से जिस प्रकार से हटाने का खेल खेला जाता था वह पूरा प्रदेश व सभी राजनैतिक विष्लेषक अच्छी तरह से जानते हैं। समाजवादी पार्टी के कार्यकाल में पंचायती राज व्यवस्था पूरी तरह से लूट का अडडा बन चुकी थीं और यही हाल बसपा षासन में भी रहता था। यही कारण है कि आज हमारे प्रदेष के गांव, गरीब और किसान पूरी तरह से ठगे गये हैं व पिडडे़पन का षिकार हो गये हैं। सपा और बसपा के षासनकाल में पंचायत राज केवल परिवारवाद , जातिवाद और दबंगई का अडडा बनकर रह गयी थी। पंचायतें तो थी लेकिन गांवों के विकास के लिए जो धन आवंटित किया जाता था वह पूरी तरह से लूट लिया जाता था। अगर पिछली सरकारों की पंचायतों ने ठीक से विकास कार्यों को अंजाम दिया होता तो आज इन दलों की और प्रदेष के गांवों की हालत बदहाल नहीं होती। इस बार के पंचायत चुनावों का स्वरूप कुछ बदला हुआ होगा । अभी कई पंचायतों का पुर्नगठन किया जा रहा है। कई गावोें का परसिमीन हो रहा है तथा कुछ का सीमा विस्तार आदि हो रहा है। अभी हाल ही में अयोध्या में कई गांव षामिल किये गये हैं । यह अभियान पूरे प्रदेषभर मंे चलाया जा रहा है जिसके कारण सभी राजनैतिक दलों के समीकरण गड़बड़ा सकते हैं। पंचायत वुनावों में पहली बार संभव है कोई अंगूठा ठेक अनपढ़ उम्मीदवार चुनाव मैदान मेें नहीं उतर पाये। पंचायत चुनावों में सभी दल अपना भाग्य आजमाना चाह रहे हैं। आम आदमी पार्टी, षिवसेना व असवुददीन ओवैसी की पार्टी अपना दमखम दिखने के लिए चुनावी मैदान में उतरने जा रही हैं। एक प्रकार से पंचायत चुनाव के माध्यम से सभी दल 2022 के विधानसभा चुनावों के लिए अपनी ताकत को आजमाना चाह रहे हैं तथा अपने सभी अभियान और आंदोलन चलो गांव की ओर कर दिये हैं। सभी राजनैतिक दल अचानक से गाय, गरीब और किसान के हितैषी बन गये हैं। प्रदेष के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व प्रदेष भाजपा संगठन भी गावों के चुनावों की तैयारी में जुट गये हैं। प्रदेष के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों काी समस्याआंेे और उनके त्वरित समाधान के लिए सभी अधिकारियों को मैदान में उतार दिया । धान और गन्ना खरीद गो आश्रय स्थलोें की सही स्थिति का पता लगाने के लिए 75 वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी गावों में किसानों की समस्याएं सुन रहे हैं। अधिकारी वर्ग जिलों में जाकर गौ आश्रय व धान और गन्ना खरीद का निरीक्षण कर रहे है। किसानों की समस्याएं सुन रहे हंै। कई जिलों में अधिकारियों को अपने बीच पाकर प्रदेष के किसान खुष दिखे व मुख्यमंत्री योगी आइित्यनाथ के इस पहल का स्वागत किया है। मुख्यमंत्री इस अभियान का अधिकारियों से फीडबैक भी लेेेंगे व ले रहे हैं। मुख्यमंत्री ने जिला अधिकारियों को जिला भ्रमण के दौरान सिंचाई व्यवस्था, नहरों में पानी की उपलब्धता, विद्युत आपूर्ति व्यवस्था तथा वरासत अभियान की भी समीक्षा करने का आदेष जारी किया है। एक प्रकार से भारतीय जनता पार्टी व प्रदेष सरकार गांव , गरीब व किसानों के विकास के लिए व उनकी आय दोगुनी करने के लिए लगातार काम कर रही है उस समय यह तथाकथित विरोधी दल अपनी ओछी विकृत मानसिकता के बल पर गांव व आगामी 2022 के लिए अपनी जमीन को तैयार करने का सपना देख रहे हैं। दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में प्रदेष के सभी राजनैतिक दल अपनेे आपको किसानों का परम हितैषी बताने का असफल झूठ बोलने का अभियान चला रहे हैं। वहीं दूसरी ओर सभी दल किसानांें के नाम पर अपनी एकजुटता को दिखाने का प्रयास भी कर रहे हैं। जिसमें सभी दल अपनी ओर से कोई न कोई ऐसा काम कर जाते हैं जिसके कारण वह स्वं बेनकाब हो रहे हैं। जिसमें सबसे पहले कांग्रेस का नंबर आता है वह आजकल अचानक से गायांे की बड़ी हितैषी बनकर यात्रा निकाल रही है यही उसका सबसे बड़ दोहरापन है।जब केरल में व कुछ विष्वविद्यालयों में कम्युनिस्टों और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की ओर से गोमांस भक्षण पार्टी का आयोजन किया गया था तब यह दल कहां था ? अभी कर्नाटक विधानसभा में जब गौहत्या पर रोकथाम करने वाला विधेयक विधान परिषद में रखा जा रहा था उस समय कांग्रेस के ही विधयाकों ने जोरदार ढंग से हंगामा किया । आज अगर पूरे देषभर में गाय की दुर्दषा है तो उसके लिए कांग्रस व मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले दल ही हैं। गोवध व गो तस्करी को सबसे अधिक संरक्षण व बढ़ावा कांग्रेस व समाजवादी विचारधारा वाले दलों के कारण ही हुआ है। अभी जब प्रदेष में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने विधानसभा में गोवध व तस्करी पर नियंत्रण के लिए बेहद कड़ा कानून विधानसभा में लाये थे उस समय इन्हीं दलों ने इस कानून का पुरजोर विरोध किया था । अवैध बूचड़खाने बंद होने के बाद गायों को स्कूलों व खुले मैदान में बंधवाने का काम जिन दलों के नेताओं ने किया था उस समय भी यह दल थे। गोतस्करी मेें जो आरोपी पकड़े जाते हैं। वह इन्हीं दलों कार्यकर्ता होते हंै। जब पूरे देषभर में गोवध पर पाबंदी की बात उठती है तो यही दल हंगामा षुरू कर देते हैं और प्रलाप करने लग जाते हैं तथा कहने लग जाते हैै कि कौन क्या खाये और क्या नहीं यह अभिव्यक्ति की आजादी है। यह बात अटल सत्य है कि आज गायों व समस्त गोवंष की दुर्दषा की जिम्मेदार कांग्रेस व सेकुलर दल हैं। गायों की तस्कर व उनके वध को मुस्लिम तुष्टिकरण के नाम पर कांग्रेस ने ही बढ़ावा दिया। वहीं कांग्रेस आज प्रदेष में गायांे की मौत के नाम पर हिंदुओं को ठगने के लिए गावों की ओर निकल पड़ी है। कांग्रेस अध्यक्ष अजय सिंह ”लल्लू“ गायों की मौत के नाम पर अपने वोट की जुगाड़ करने के लिए झूठ पर आधारित यात्रा निकाल रहे हैं ऊपर से प्रदेष में अघोषित इमरजेंसी का अरोप लगा रहे हैं। वह मुख्यमंत्री से पूछ रहे हैं कि क्या प्रदेष में गाय माता को बचाने के लिए अभियान चलाना या किसानांे की बात करना गुनाह है ? क्या हमारा कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है? उन्होेंने ललितपुर में मरी एक गाय का अस्थिकलष हाथ में लेकर कहा कि यह अस्थि कलष गाय माता की है । इसमें ललितपुर से उस मिटटी को भरा गया है, जहां गाय माता ने दम तोड़ा था। इस अस्थि कलष को वे चित्रकूट में पवित्र मंदाकिनी नदी में विसर्जित करना चाहते हैं। सरकार बताये कि वह इस अस्थि कलष को वे यहां से कब ले जाकर विसर्जित कर सकते हैं ? यह कांग्रेस की ओर से अब तक की सबसे ओछी विकृत राजनीति है। प्रदेष के मुख्यमंत्री गौभक्त हैं तथा उन्हीं के कारण प्रदेष मंे गोवंष की स्थिति मेें काफी सुधार हुआ है। अगर कांग्रेस की नियत इतनी ही साफ है तो उसने 70 सालों तक गायों पर इतने अधिक अत्याचार किये हैं कि उन सभी के लिये वह लिखित माफी मांगे। पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय जवाहर लाल नेहरू ने अपने षासनकाल में गौभक्त संतों पर गोलियां चलवा दी थीं जिसमेेेें कई निर्दोष संत मारे गये थे वहीं कांग्रेस आज गाय माता के लिये घड़ियाली आंसू बहाने निकल पड़ी है। गाय और किसानों के नाम पर दिखावटी पदयात्रा निकाल रही है। यही हाल सपा, बसपा व अन्य छोटे दला का है। सभी दल किसान आंदांेलन की आढ़ में व पंचायत चुनाव जीतने के लिए भाजपा व सरकार पर मनगढ़ंत आरोप लगा रहे है। समाजवादी नेता अखिलेष यादव भी झूठे आरोप लगाकर किसानों के बड़े हितैषी बनने का काम कर रहे हंै। जिस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 करोड़ गरीब किसानों के खाते में दो हजार रूपये टंªासफर किये और किसानों के साथ संवाद किया उस दिन समाजवादियों ने गावों में किसानांे को भड़काने के लिये चैपाल लगा ली। सपा अध्यक्ष अखिलेष यादव लगातार यही कह रहे हंै कि भाजपा किसानों का अपमान कर रही है। जबकि वास्तविकता यह है कि किसानों का सर्वाधिक अपमान सपा ,बसपा ओैर कांग्रेस की सरकारों में ही हुआ है और इन दलों ने ठीक ढंग सेे किसनों पर नजरें डाली होती तो आज यह हालत किसानों की न होती। आज कोई भी दल ऐसा नहीं बचा है जो किसानों के लिए पदयात्रा न निकाल रहा हो या फिर सत्याग्रह, धरना -प्रदर्षन व बयानबाजी न कर रहा हो। यही कारण है कि एक बार फिर सभी लोग कह रहे हैं कि चलो गांव की ओर । भाजपा विरोधी सभी दल बेनकाब हो रहे है तथा दोमुहेपन की राजनीति उजागर हो रही है तथा यह भी पता चल रहा है कि यह दल वोटबैंक बनाने के चक्कर में किस सीमा तक जा सकते हैं। कांग्रेस तो इतना अधिक गिर चुकी है कि वह एक गाय की मौत पर अपने नकली आंसू बहाने के लिये पदयात्रा निकाल कर अपने पुराने पाप धोने का असफल प्रयास कर रही है। विरोधी दलों को पंचायत चुनावोां में ही उनका हाल पताचल जायेगा। जनमानस इन दलों के झूठ व दोहरेपन को समझ रहा है। यह सभी दल किसानों के वोट के बटाईदार बन गये हैं और कुछ नहीं।

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