औषधीय गुणों से भरपूर मूली

औषधीय गुणों से भरपूर मूली



औषधीय प्रकृति ने हमें विभिन्न प्रकार के फल-फूल, सब्जियां एवं कंदमूल प्रदान किये हैं, इन्हीं में से पौष्टिक तत्वों से भरपूर मूली भी एक सब्जी है जो सम्पूर्णभारतवर्ष में बहुतायत मात्रा में उगायी जाती है जिससे सभी आमजन परिचित हैं, परंतु इसके दिव्य औषधीय गुणों के बारे में नहीं जानते हैं। मूली का वैज्ञानिक नाम रैफेनस सैटाइवस है जो ब्रेसीकेसी कुल से आती है। मूली का प्रयोग आमतौर पर खाने में सलाद के रूप में एवं विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाने मेंकिया जाता हैमली के बीजों से तेल भी निकाला जाता है जो रंगहीन होता है। मूली में विभिन्न औषधीय गुण पाये जाते हैं जो विभिन्न रोगों में लाभदायक होने के साथ-साथ शरीर की आंतरिक प्रक्रिया को ठीक रखते हैं


प्रतिएक सौ ग्राम मूली में विटामिन सी लगभग 15 मिग्रा, कैल्शियम 25 मिग्रा, सोडियम 39 मिग्रा, पौटेशियम 233 मिग्रा, मैग्नीशियम 10 मिग्रा, फास्फोरस 22 मिग्रा, खाद्य फाइबर 1.6 ग्राम, आयरन2-3 मिग्रा एवं अन्य विभिन्न पोषक तत्व और विटामिंस प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। आमतौर पर शीत ऋतु में आने वाली मूली अधिक फायदेमंद होती है। सुबह के समय मूली का सेवन स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से बेहद फायदेमंद होता है। मूली के जड़ के साथ-साथ उसके पत्ते भी बहुत उपयोगी होते हैं जिनका प्रयोग औषधीय रूप में तथा सब्जी एवं पराठे बनाने में होता है। मूली में विभिन्न लाभदायक तत्व पाये जाते हैं जो हमारे शरीर को विभिन्न प्रकार के रोगों से बचाते हैं।


• मूली में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, यदि हमखाने में मूली का सेवन करते हैं तो हड्डियां एवं दांत मजबूत हो जाते हैं। •मूली में काफी मात्रा में आयरन पाया जाता है जो हमारे शरीर के खून को साफ करता है तथा मूली के रस में बराबर मात्रा में अनार का रस मिलाकर पीने से हीमोग्लोबिन बढ़ जाता है और खून की कमी को दूर हो जाती है। .मुली में सोडियम एवं क्लोरीन तत्व पाये जाते हैं जो पेट को साफ रखने में सहायक सिद्ध होते हैं तथा पाचन क्रिया को नियमित करते है एवं सोडियम तत्व चर्मरोगों से शरीर की रक्षा करते हैं। • मूली उच्च रक्तचाप एवं बावासीर में लाभकारी होती है। मूली के सेवन से मूत्ररोगों में लाभ मिलता है तथा ताजी मूली का नियमित सेवन पीलिया रोग में लाभकारी है। मूली के रस में नमक तथा नींबू मिलाकर नियमित सेवन करने से मोटापा जैसे भयानक रोग में लाभ होता है। •यदि सिर में जूंलगातार पड़ती हैं तो मूली के रस को पानी में मिलाकर सिर धोयें लाभ होगा। • मूली में काला नमक व नीबूं लगाकर नियमित सुबह खाने से कब्ज जैसा भयानक रोग दूर हो जाता है। • यदि पेट में दर्द हो रहा है तो मूली के रसको नीबू के रस में बराबर मात्रा में मिलाकर पियें आराम मिलेगा। • यदि मुंह से बदबू आती है तो सुबहसुबह मूली के पत्तों में सेंधा नमक लगाकर नियमित सेवन करें दुर्गंध नष्ट हो जायेगी। • मूली के लगातार सेवन से चेहरे में चमक आती है एवं झाईयां दूर होती है तथा चेहरे पर मुहांसे नहीं होते हैं। यदि चेहरे पर मुहांसे निकल आयें हैं तो मूली का एक होने वाले स्वास्थ्य लाभ गोल टुकड़ा काटकर मुहासों पर लगायें तथा सूखने पर ठंडे पानी से धो लें काफी आराम मिलेगा। • मूली शरीर से हानिकारक कार्बन डाइऑक्साइड निकालकर ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाती है। • मूली में विटामिन एपाया जाता है जो आंखों की रोशनी बढ़ाता है तथा नियमित मूली खाने से चश्मे का नंबर कम हो जाता है तथा चश्मा उतर भी जाता है। • मूली के सेवन करने से शरीर का सूखापन नष्ट होता है तथा भूख बढ़ती है•मूली के सेवन से मुंह के छाले दूर हो जाते हैं। •मूली मासिक-धर्म और वीर्य पुष्टि वर्धक है तथा श्वेतप्रदर रोगों में लाभकारी •जोड़ों के दर्द एवं जकड़न में मूली का सेवन लाभप्रद है। • शरीर में सूजन आने पर मूली के रस को गुनगुना करके लगाने पर आराम मिलता है। •मूली के नियमित सेवन से पेशाबसम्बंधी बीमारियां जैसे जलन, रुक-रुक कर पेशाब आना एवं गुर्दे बीमारी आदि रोगदूर हो जाते हैं। • डायबिटीज के रोगी यदि लगातार मूली का सेवन करते हैं तो लाभ होता है तथा रोग की तीव्रता कम होती है। •यदि कान के सुनने की शक्ति कमजोर हो गई है तो मूली के रस में नींबू का रस मिलाकर गुनगुना करके कान में डालें तथा कान नीचे की तरफ करके लेट जाएं इससे कान की गंदगी बाहर आ जायेगी तथा सुनने की शक्ति बढ़ेगी।(22) कान में दर्द होने पर मूली के पत्तों को सरसों के तेल में उबाल लें तथा 2-2 बूंद कान में डाल लेंदर्द में आराम मिलेगा। • मूली को उबालकर खाने से गर्भ विकार दूर होते हैं तथा स्थिरता आती है एवं गर्भपात नहीं होता है। . मुली को करेला एवं संतरा के साथ नहीं खाना चाहिए तथा मूली खाने के बाद दूध और पानी पीने से बचना चाहिए।


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