मुख्य सचिव की अध्यक्षता में स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण फेज-2 के अंतर्गत ‘गोबर-धन 2020-वेस्ट टू वेल्थ’ योजना के क्रियान्वयन के सम्बन्ध में बैठक आयोजित





लखनऊ: स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण फेज-2 के अन्तर्गत ‘गोबर-धन 2020-वेस्ट टू वेल्थ’ योजना के सम्बन्ध में मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी की अध्यक्षता में बैठक सम्पन्न हुई, जिसमें पंचायतीराज, कृषि, पशुपालन, नगर विकास, औद्योगिक विकास, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा, ग्राम्य विकास, दुग्धशाला विकास आदि विभागों के अधिकारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।

बैठक में बताया गया कि योजना का उद्देश्य ग्रामों के ओडीएफ की स्थिति को बनाये रखने, ग्रामों में ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन गतिविधियों के माध्यम से स्वच्छता के स्तर में सुधार करना तथा ग्रामों को ओडीएफ प्लस का स्तर प्राप्त करना है। योजना के क्रियान्वयन की अवधि वर्ष, 2020-21 से वर्ष, 2024-25 रखी गई है। योजना के लिये वित्तीय व्यवस्था केन्द्र एवं राज्य सरकारों की विभिन्न योजनाओं के वित्त पोषण और विभिन्न योजनाओं के बीच कन्वर्जेन्स से की जायेगी। इस योजना के अंतर्गत चालू वित्तीय वर्ष के लिये मण्डल मुख्यालय पर 18 माॅडल सामुदायिक बायोगैस प्लाण्ट स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। योजना देश के 11 राज्यों में शुरू की गई है, जिसमें उत्तर प्रदेश भी सम्मिलित है।

बैठक में यह भी बताया गया कि इस योजना के क्रियान्वयन के लिये जनपद स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गोबर धन सेल समिति के गठन का प्रस्ताव है, जिसमें सीडीओ, बीएसए, सीएमओ, पीडी डीआरडीए, डीपीआरओ, जिला समाज कल्याण अधिकारी, जिला कार्यक्रम अधिकारी, अधिशासी अभियन्ता जल निगम, सूचना, जिला पंचायत सदस्य एक, ब्लाक प्रमुख दो, ग्राम प्रधान तीन, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी, परियोजना अधिकारी नेडा को सदस्य के रूप में नामित किया जायेगा। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय समिति का गठन किया गया है, जिसमें पंचायतीराज, कृषि, पशुपालन, नगर विकास, औद्योगिक विकास, नवीन एवं नवीकरण ऊर्जा, वित्त एवं ग्राम्य विकास को सदस्य नामित किया गया है। मुख्य सचिव ने इस समिति में दुग्ध विकास विभाग को भी शामिल करने के निर्देश दिये। 

बैठक में यह भी बताया गया कि योजना नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के वेस्ट टू एनर्जी कार्यक्रम के तहत 12000 घनमीटर बायोगैस प्लाण्ट हेतु 04 करोड़ रुपये तक के अनुदान की व्यवस्था है। मिनिस्ट्री आफ पेट्रोलियम एण्ड नेचुरल गैस की ईंधन नीति के तहत संचालित SATAT कार्यक्रम के अंतर्गत बायो-सीएनजी के विपणन हेतु मार्केट व्यवस्था, पशुपालन मिनिस्ट्री की एनडीडीबी द्वारा संचालित सहकारी योजनायें, कृषि मंत्रालय द्वारा संचालित एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फण्ड स्कीम के अंतर्गत 3 प्रतिशत ब्याज की दर से 2 करोड़ रुपये तक के लोन की व्यवस्था तथा पेयजल एवं स्वच्छता विभाग जल शक्ति मंत्रालय द्वारा संचालित गोबर धन योजना के तहत 50 लाख रुपये प्रति जनपद की व्यवस्था है। इसी प्रकार व्यक्तिगत बायोगैस संयंत्र हेतु अनुमानित लागत 24 हजार रुपये में 50 प्रतिशत एसबीएमजी फण्ड से तथा शेष 50 पेयजल एवं स्वच्छता विभाग जल शक्ति मंत्रालय द्वारा संचालित गोबर धन योजना से किया जाना प्रस्तावित है। इसी प्रकार व्यवसायिक माॅडल हेतु भारत सरकार की योजनाओं से उपलब्ध वित्तीय सहायता के लाभ से उद्यमी के माध्यम से कराया जाना प्रस्तावित है। 

बैठक में यह भी बताया गया कि व्यक्ति माॅडल हेतु जैव ऊर्जा विकास बोर्ड के माध्यम से ‘कचरा लाओ, बायोगैस ले जाओ’ कार्यक्रम का सफल संचालन किया जा रहा है, जिसमें व्यक्तिगत बायोगैस प्लाण्ट स्थापित किये जा रहे हैं। व्यवसायिक उद्यमी माॅडल हेतु यूपीनेडा तथा को-आॅपरेटिव बेस्ड क्लस्टर माॅडल हेतु दुग्धशाला विकास विभाग के अंतर्गत पीसीडीएफ को प्रस्तावित किया गया है। भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर एनडीडीबी को इस माॅडल के लिये टेक्निकल पार्टनर के रूप में चयनित किया गया है। 

प्रथम चरण में प्रदेश के 05 जनपदों को पायलेट प्रोजेक्ट के तहत को-आपरेटिव माॅडल बायोगैस प्लाण्ट किये जाने हेतु चयनित करने का प्रस्ताव है। चयनित जनपदों में को-आॅपरेटिव माॅडल हेतु संचालित गौशालाओं के 5-10 किमी की परिधि में आने वाले गांव को क्लस्टर अप्रोच के रूप में चिन्हित किया जायेगा।

मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी ने अपने सम्बोधन में राज्य स्तरीय समिति में विषय विशेषज्ञों को नामित करने तथा योजना के क्रियान्वयन से पूर्व इस व्यवसाय से जुड़े एन्टरप्रन्योर्स के साथ बैठक कर उनका फीडबैक भी प्राप्त करने के भी निर्देश दिये।

बैठक में सम्बन्धित विभागों के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारीगण आदि उपस्थित थे। बैठक का संचालन निदेशक पंचायतीराज सुश्री किंजल सिंह द्वारा किया गया। 

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