संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की 65 वीं एवं स्वर्गीय दीवान रघुनाथ सिंह जी की 19वी पुण्यतिथि मनाई गई

संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की 65 वीं एवं स्वर्गीय दीवान रघुनाथ सिंह जी की 19वी पुण्यतिथि मनाई गई


* सरस्वती मन्दिर इंटर कॉलेज में आयोजित हुआ कार्यक्रम


ललितपुर।
कस्बे के सरस्वती मन्दिर इंटर कॉलेज एवं सरस्वती मंडी मड़ावरा में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की 65 वीं एवं स्वर्गीय दीवान रघुनाथ सिंह जी की 19वी पुण्यतिथि मनाई गई। कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती मन्दिर इण्टर कॉलेज के प्रधानाचार्य रामसजीवन प्रजापति ने संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर एवं स्वर्गीय दीवान रघुनाथ सिंह के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर किया।


सरस्वती मन्दिर इण्टर कॉलेज के प्रधानाचार्य रामसजीवन प्रजापति ने कहा कि उतर-प्रदेश के मड़ावरा सहित जनपद की जनता को शिक्षा के क्षेत्र में किये गए अविस्मरणीय योगदान के लिए स्व. दीवान रघुनाथ सिंह का नाम सदैव आदर पूर्वक लिया जाता रहेगा। कहा कि उनके अमूल्य योगदान से आंका जा सकता है कि स्वतंत्र भारत के उपरांत पूरे उत्तर-प्रदेश में पहला शिशु मंदिर जनपद के अति पिछड़े इलाके मदनपुर में सन 1952 ई. को खोलकर शिक्षा का दीप प्रज्वलित किया, जिसके प्रकाश से पूरा क्षेत्र प्रकाशमय है।


उन्होंने कहा कि स्व. दीवान रघुनाथ सिंह  जी का जन्म सन 1922 ई0 को मदनपुर में हुआ। उन्होंने शिक्षा क्षेत्र के अलावा इस इलाके से पिछड़ापन एवं गरीवी दूर हटाने की बात हमेशा बेवाकी, निर्भीकता, साहसीपन के साथ हर एक मंच पर रखी। उनका पूरा जीवन ईमानदारी, कर्मठता, लग्नता से भरा रहा। अपने जीवन मे उन्होंने क्षेत्र के बिकाश व उत्थान के लिए कभी न भूलने बाले प्रयास किये और इन्हीं प्रयासों के चलते जनपद से इस दिव्य आत्मा का निधन 06 दिसंबर 2002 को हो गया, जिनका नाम जनपद के इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में सदा के लिए दर्ज रहेगा।


विद्यालय के सहायक अध्यापक एवं कार्यक्रम के संचालक संतोष कुमार त्रिपाठी ने डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए उनके कार्यों का पूर्णता वर्णन किया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार से तीनों गोलमेज सम्मेलन में डॉ आंबेडकर जी शामिल हुए कम्युनल अवार्ड का समर्थन करते हुए गांधी जी के साथ पूना पैक्ट (1932) 1936 में स्वतंत्र लेबर पार्टी की स्थापना से लेकर चुनाव लड़ने एवं गवर्नर कार्यकारिणी में श्रम मंत्री से लेकर के संविधान निर्माण तक की परिचर्चा में अंबेडकर जी के योगदान1956 तक उन्होंने कैसे हिंदू धर्म को छोड़ बौद्ध धर्म को अपनाया बोधिसत्व का सम्मान प्राप्त किया और 1990 में मरणोपरांत भारत रत्न प्राप्त करने का भी अपने व्याख्यान में वर्णन किया और बताया कि विद्यालय के संस्थापक एवं संविधान निर्मात्री के अध्यक्ष जी के विचार आज भी हम सभी के बीच प्रसांगिक बने हुए हैं।
कार्यक्रम में विद्यालय के अंशकालिक शिक्षक घूमन सिंह लोधी, ध्रुव प्रसाद विश्वकर्मा, राहुल झा, प्रेम कुमार,  जगदीश सिंह तथा शिक्षणोत्तर कर्मचारी चुन्नीलाल, हरीराम, शंकर इत्यादि मौजूद रहे। 


 


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