सराहनीय और साहसिक कदमों का बेवजह विरोध बना फैशन
यूपी विधि विरूद्ध धर्मपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश- 2020 के कानून को राजभवन की अनुमति मिल गयी है और अब यह कानून विधानमंडल के अगले सत्र में पारित करवाने के लिए विधानमंडल के पटल पर रखा जायेगा। मध्य प्रदेष सहित कई और भाजपा सरकारें इस विषय पर कानून लाने का प्रस्ताव तैयार कर रही हैं। इस नये कानून पर देष के मुस्लिम संगठनों ने बहुत ही सतर्कता पूर्वक अपने विचार रखे तो हैं लेकिन परोक्ष रूप से विरोध भी किया है। वर्तमान समय मंे भारतीय राजनीति का स्वरूप बहुत ही अधिक विकृत व ओछी मानसिकता की प्रवृत्ति का परिचायक हो गया है। आजकल सरकार को डिगाने के लिये व सरकार की छवि को ध्वस्त करने के लिए भ्रम, अफवाहांें व आधी -अधूरी गलत जानकारियों को जनता के बीच परोसा जा रहा है और अपनी राजनीति को चमकाने लिए ख्ुालकर झूठ का सहारा लिया जा रहा है।
राजभवन से धर्मांतरण के विरूद्ध जारी अध्यादेष की अनुमति मिलने के बाद जैसी की प्रबल संभावना थी मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले दलों की ओर से विरोधी प्रतिक्रियों आना षुरू हो गयी हैं। समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेष यादव का कहना है कि यह कानून जनामनस के खिलाफ है और लव जेहाद के नाम पर लोगों को प्रताड़ित करने की बडी साजिष की जा रही है। उनका कहना है कि जब सरकार अंतरजातीय और अंतरधार्मिक विवाह के लिए पैसे देती है तो फिर इस कानून की जरूरत ही क्या है ? इस प्रकरण पर अभी तक षांत बैठी रही बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी अब विरोध दर्ज कराया है और सरकार से अध्यादेष पर पुनर्विचार करने की मांग की है। मायावती का तर्क है कि देष में कहीं भी जबरन व छल से धर्मांतरण को न तो खास मान्यता है न ही स्वीकार्यता। इस संबंध में कई कानून पहले से ही प्रभावी हंै। राजस्थान कांग्रेस के मुख्यमंत्री अषोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेष बघेल के बयानों से कांग्रेस का रवैया पहले से ही जगजाहिर हो चुका है। कई अन्य छोटे दल तथा आम आदमी पार्टी भी कानून के विरोध में आ गयी है। उप्र के एक संगठन रिहाई मंच जो कभी आतंकवादियोें की रिहाई की मांग भी करता रहा है का कहना है कि धर्मांतरण कानून संविधान विरोधी है। यह कानून एससी/एसटी और अल्पसंख्यक विरोधी है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि भाजपा के कई नेताओं ने लव जेहाद किया है। आगामी विधानमंडल सत्र में इस बार विधेयक का विरोध होना और गरमागरम बहस होना तय हो गया है। लेकिन विधानमंडल में विधायकांे के संख्याबल को देखते हुए यह अध्यादेष विधिवत कानून बन ही जायेगा लेकिन मुस्लिम तुष्टिकरण करने वाले और अराजकतावादी दल इस कानून का भी षाहीन बाग की तर्ज पर विरोध कर सकते हंै।
लेकिन मुस्लिम तुष्टिकरण और जातिवाद की राजनीति करने वाले दलों व संगठनांे के विरोध के बावजूद बरेली के दरगाह ए आला हजरत परिसर स्थित रजवी दारूल इफ्ता से इसके समर्थन में फतवा जारी कर कहा गया है कि लालच देकर या जबरन धर्म परिवर्तन कराना नाजायज है। फतवा पाने के लिए सुन्नी उलमा कौंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना इंतेजार अहमद कादरी ने दारूल इफ्ता में सवाल दाखिल किया था। उन्होेंने पूछा था कि लव जेहाद की षरीयत में क्या हैसियत है ? इसके जवाब में जबरन धर्म परिवर्तन कराने को नाजायज ठहराया गया है। इसी तरह षादी के लिए धर्म परिवर्तन करना जायज नहीं है। फतवे में लव जिहाद षब्दों को स्पष्ट किया गया है। कहा गया है कि लव एक अंग्रेजी षब्द है और जिहाद अरबी का। इसका एक दूसरे से कोई संबंध नहीं है। जो लोग इन्हें एक दूसरे से जोड़कर देखते हैं, वह गलत है। षरीयत की नजर मंे लव जिहाद षब्द की कोेई हैसियत नहीं है। भारतीय जनता पार्टी ने अभी से ही इन सभी का सामना करने की तैयारी करते हुए बयान जारी किया है कि धर्मांतरण के विरूद्ध बने नये कानून से समाज में संघर्ष थमेगा और षांति कायम करने तथा लोगों का सम्मान सुरक्षित रखने में सहायता मिलेगी। न्यायालय के स्तर तक आये कई प्रकरणोें की जांचों व रिर्पाेटों से यह तथ्य समाने आया है कि साजिष के तहत उत्पीडन के लिए लव जेहाद जैसे कुत्सित प्रयास प्रदेष सहित पूरे भारत भर में किये गये हंै। भाजपा की सभी सरकारें विषेषकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार महिलाओं के सम्मान गरिमा व उनकी सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
बसपा सुप्रीमो मायावती का बयान हैरान करता है वह अभी अपनी पार्टी की बुरी दुर्गति राज्यसभा चुनावों से लेकर उपचुुनावों और फिर बिहार तथा मध्य प्रदेष आदि के उपचुनावों में देख चुकी है। अगर वह अभी भी नहीं सुधरी तो आगामी 2022 में षून्य तक पहुंच जायेंगी। बसपा सुप्रीमो मायावती लव जेहादियों की बहुत चिंता कर रही हैं लेकिन उन दलित परिवरों की चिंता नहीं है जो इसके षिकार हुुए हंै। बहन मायावती को संभवतः इस प्रकार की घटनाओं की गंभीरता की जानकारी नहीं है कि लव जेहाद के सबसे अधिक षिकार दलित और गरीब पिछड़े पविारों के ही लोग हो रहे हंै। गांवों मंें ऐसे लोगों को कई विदेषी धन के बल पर चलने वाले संगठन बरगलाकर धर्म परिवत न करवाते हैं और लव जेहाद के लिए प्रषिक्षित करते हैं। दलित बहन - बेटियों की प्रताड़ना के मामले मंे तुष्टिकरण की राजनीति षोभा नहीं देती । आज तुष्टिकरण की सियासत के चलते सभी विरोधी दल संवेदनहीन हो गये हैं । इन दलो का पर्यटन भी सियासी हो गया है हाथरस चले जाते है लेकिन बुलंदषहर नहीं जाते। कानपुरः बलिया, मेरठ और वल्लभगढ़ की घटनाओं पर इन दलांे की घटनाआंेे पर कोई भी प्रतिक्रिया सामने नहंी आती। राजस्थान में बहन बेटियो पर अत्याचार होते हैं तो इन दलांेे की ओर से कोई टिवट नहीं आता।
सभी विरोधी दलांे की मानसिक विकृति की विचारधारा से सामाजिक समरसता का ताना बाना बिगड़ चुका है। यह पूरी तरह से सत्य है कि लव जेहाद व अनुचित धर्मांतरण का षिकार सबसे अधिक दलित वर्ग है। समान्य वर्ग की महिलएं भी लव जेहाद का ष्किार हो रही हैं। यह महिलाएं उत्पीडन का षिकार होने के बाद जिस दर्द को बरदाष्त करती हैं उसका अनुभव यह दल व नेता क्या जाने उन्हंे तो सिर्फ अपनी राजनीति को ही चमकाना हैं।यह सभी दल केवल और केवल देष में अराजकता का नंगा नाच ही देखना चाहते हैं।इन सभी दलांे को प्रदेष का दलित ,पिछड़ा समाज तथा साइलेंट मतदाता अपनी ताकत का एहसास अगले विधान सभा चुनावों में कराने जा रहा है। आज यह लोग लव जेहाद और धर्मांतरण जेसे षब्दों को काल्पनिक और बकवास बताकर कह रहे हैं कि यह अदालत मंे नहीं टिक पायेगा। लेकिन यह सभी दल कई और तथ्य ,तर्क अपनी अपनी विकृत राजनीति के कारण भूल गये हैं। सिंतबर 2009 में केरल की कैथोलिक बिषप काउंसिल ने कहा कि साढ़ेे चार हजार गैर मुस्लिम लड़कियों का लव जेहाद के माध्यम से धर्मपरिवर्तन कराया गया। 10 दिसंबर 2009 को केरल हाईकोर्ट ने लव जेहाद पर कानून बनाने की बात कही। जुलाई 2010 में केरल के तत्कालीन मुख्यमंत्री वी एस अच्युतनानंदन ने जो आरोप लगाया वह भाजपा संघ की ओर से नहंी लगाया गया। उन्हांेने कहा था कि गैर मुुस्लिम लड़कियो का धर्म परिवर्तन कराकर केरल को मुस्लिम बहुल राज्य बनाने की कोषिष की जा रही है। आज वह बात सही साबित हो रही है। पीएफआइर्, एसडीपीआई व लगभग सभी वामपंथी एनजीओ इस अभियान में जुटे हुए हैं। हालात बहुत ही भयावह हैं। लेकिन इस नये कानून का असर अब दिखलाई पड़ेगा। बरेली आदि जिलों में मुकदमें दर्ज होना षुरू हो गया है। यह कानून एक बेहद सराहनीय कानून है ,साहसिक कदम है। इसका स्वागत होना चाहिए, विरोध नहीं। इस कानून से सामाजिक समरसता बढेगी और कई परिवार बर्बाद होने से बचेंगे। यह अध्यादेष आज की परिस्थितियों में बेहद आवष्यक हो गया है। इसमें संविधान सम्मत धर्म रक्षण पर कहीं कोई आंच नहीं आ रही। यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करना चाहता है तो उसे इस बात की सूचना जिलाधिकारी को देनी होगी। ताकि यह सुनिष्चित हो सके कि कोई व्यक्ति लोभ ,लालच या किसी तरह के दबाब में आकर धर्म परिवर्तन नहीं कर रहा है। उप्र में लागू की जाने वाली धर्मांतरण की यह व्यवस्था सभी धर्म के लोगों को स्वीकार होनी चाहिए। धर्म परिवर्तन के विरोध का कोई औचित्य नहीं अब विरोध केवल फैषन बन गया है। इस कानून के माध्यम से महिला सषक्तीकरण का अभियान और मजबूत होगा । विरोधी द तो सरकार के मिषन षक्ति अभियान और रोमियो स्क्वायड का भी मजाक बना रहे हेंै। सरकार जब युवतियों की सुरक्षा के लिए इस प्रकर के कदम उठाती है तो यह दल सरकार केे कदमों कामजाक बनाते हंै और जब चुनावों में साइलेंट महिला मतदाता इनको अपना जवाब देते हैं तो ईवीएम का रोना रोने लग जाते हंै।