आओ कहीं मिलते हैं
आओ कहीं मिलते हैं
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बादल जब गरजते है
जवान दिल धड़कते हैं
बारिस जब पुर जोर हो
प्रेम भाव मचलते हैं
शीत हवा का शौर हो
मस्ताने दिल जलते हैं
सागर में उठा उफां हो
पक्षी हरकत करते हैं
धूल भरा तुफान हो
आशिक बहुत डरते हैं
नीला जब आसमां हो
बागों में फूल खिलते हैं
रास्ते गर सुनसान हों
हम राही ढ़ूढ़ते हैं
नाजनीन का साथ हो
राग मल्हार बजते हैं
मनसीरत को खोज है
आओ कहीं मिलते हैं
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)