साधौ एक ज्योति सब माही!

&साधौ एक ज्योति सब माही!& !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! श्री कोटवा धाम में मकर संक्रांति के पावन पर्व पर सतनामी साधु-संतों महंतो की अपार भीड़ रही है ।सभी दर्शनार्थियों ने पवित्र* अघरन सरोवर *मे स्नान कर समर्थ सांई जगजीवन साहब के समाधि का दर्शन कर इच्छित फल की कामना की। श्री कोटवा धाम स्थित प्रथम पावा कमोली धाम सतनाम आश्रम श्री कोटवा धाम में आए हुए, सभी भक्तों का मकर संक्रांति के इस पावन पर्व पर सब के मंगलमय जीवन की कामना करते हुए बाबा कमलेश दास जी ने कहा कि, आदिकाल से ही मकर संक्रांति का पर्व का धार्मिक दृष्टिकोण से महत्व रहा है यही कारण है कि इस पावन पावन पर सूर्य दक्षिणायन से बदलकर उत्तरायण हो जाता है। श्री दास जी ने सतनामी भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि संसार में जितने भी प्राणी हैं ,सबके अंदर परम पिता परमात्मा पारब्रह्म की ज्योति समाई हुई है ।अतः संसार में जितने भी जीव है वह सब समान है ।सब के अंतर्गत में परमात्मा का बास है ।सभी प्राणियों के अंदर शरीर के आकार में अवश्य भिन्नता पाई जाती है ।किंतु जीवात्मा में कोई नहीं भिन्नता पाई जाती है।जीवात्मा ही परमात्मा का अंश है। जो समस्त विश्व में फैला हुआ है।आदि काल से ही हमारे यहां जो भी अवतार हुए हैं वह विभिन्न योनियों में हए हैं ।जिसमें कछ,मत्स्य बाराह अवतार धारण कर परमपिता परमेश्वर ने धर्म की रक्षा की है। संसार के सभी जीवो में मनुष्य अन्य जीवो के अपेक्षा सर्वश्रेष्ठ प्राणी है ।अतः मनुष्य को अन्य जीवो की भी सदैव रक्षा करनी चाहिए ।मनुष्य का अहिंसा ही परम धर्म है। श्री दास जी ने कहा कि, इस संसार में जो भी व्यक्ति जीवों की हत्या करता है। उसका बदला अवश्य चुकाना पड़ता है। यही कारण है कि, मांसाहारीओं को भी अपना बदला अवश्य चकाना पड़ता है। इस संसार में काम क्रोध मद लोभ में फंसकर श्री ब्रह्मा विष्णु महेश भी अपने किए हुए कर्मों का बदला चुकाना पड़ा है। स्वयं श्री कृष्ण भी अपने कर्मों का बदला इसी पृथ्वी पर स्वयं चुकाया था। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण बहेलिया द्वारा बाण से उनकी हत्या किया जाना है। अतः मनुष्य के लिए आवश्यक है कि वह अपने काम क्रोध मद लोभ को त्याग कर सभी जीवो की रक्षा करनी चाहिए। श्री दास जी ने कहा कि मानव जीवन अनमोल है ।यह जीवन बार-बार नहीं मिलना है ।गृहस्थ जीवन ही सर्वोपरि है। अतः अपने परिवार की जिम्मेदारियों का पालन करते हुए ,जब भी समय मिले सतनाम का सुमिरन भजन ध्यान अवश्य करना चाहिए। संत जगजीवन दास साहेब ने समाज को उपदेशित करते हुए कहा है कि, सतनाम के सुमिरन भजन ध्यान करने से निश्चय ही मनुष्य आवागमन के बंधन से मुक्त हो जाता है ।सतनाम ही मोक्ष प्राप्त करने का सहज मार्ग है। "सत्यनाम सुमिरो मन सतनाम है सार"।। "जगजीवनदास सतनाम बिन, कोई ना उतरे पार।"।

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