खसरे के खतरे से बचाती हैं होम्योपैथी होम्योपैथी की मीठी गोलियाँ

लखनऊ। खसरा जिसे मीजल्स के नाम से भी जाना जाता है बच्चों की एक गंभीर संक्रामक बीमारी है यदि इसका समय से उपचार न किया जाये तो यह जानलेवा भी हो सकता है। यह जानकारी केन्द्रीय होम्योपैथीपरिषद के पूर्व सदस्य एवं वरिष्ठ चिकित्सक डॉ अनुरूद्ध वर्मा ने दी है। उन्होंने बताया कि वैसे तो खसरा किसी भी मौसम में हो सकता है परंतु इस बदलते मौसम में इसके होने की संभावना ज्यादा रहती है इसलिएइस मौसम में ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। वैसे तो टीकाकरण से इस पर कुछ रोक तो अवश्य लगी है परंतु अभी भी बड़ी संख्या में बच्चे एवँ बड़े इससे ग्रसित हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि खसरा किसी भी उम्र में और किसी को भी हो सकता है परंतु बच्चों में इसके संक्रमण की संभावना ज्यादा रहती है। उन्होंने बताया कि खसरा रूबेला वायरस के कारण होता है जो श्वसन मार्ग से शरीर मे प्रवेश कर जाता है और तेजी के साथ फैलने लगता है। युवाओं, कुपोषित बच्चों, टीके से बंचित बच्चो एवँ घनी आबादी वाले क्षेत्रों में इसके फैलने की संभावना अधिक रहती है। उन्होंने बताया कि खसरे में तीन से चार दिन पहले से बुखार के साथ जुखाम होना, नाक से पानी आना, आँख लाल होना, छीकें आना, सिरदर्द, मिचली, जोड़ों में दर्द आदि के लक्षण होते हैं। तीन चार दिन बाद बुखार तो कम हो जाता है परंतु लाल दानों का माथे पर निकलना जो पूरे शरीर पर फैल जाते हैं। उन्होंने बताया कि खसरे के कारण बच्चों में कान का बहना ,निमोनिया,दस्त, विटामिन ए की कमी, इंसेफेलाइटिस, ब्रोंकाइटिस, लाइरेन्जिटिस, सांस लेने में परेशानी, चिड़चिड़ापन, कमजोरी जैसे गंभीर विकार उत्पन्न होने की संभावना रहती है। उन्होंने बताया कि बच्चों को खसरे का टीका समय से लगवाना चाहिये तथा खसरे से प्रभावित लोगों से अलग रखना चाहिए । उन्होंने बताया कि खसरे से बचाव एवं उपचार के लिए होम्योपैथी में प्रभावी दवाइयाँ उपलब्ध हैं परंतु उनका प्रयोग प्रशिक्षित चिकित्सक की सलाह पर ही करना चाहिए। उन्होंने बताया कि खसरे की रोकथाम, बचाव एवं उपचार आदि के संबंध में हेल्प लाइन नंबर 9415075558 पर सम्पर्क किया जा सकता है।

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सबसे बड़ा वेद कौन-सा है ?

कर्नाटक में विगत दिनों हुयी जघन्य जैन आचार्य हत्या पर,देश के नेताओं से आव्हान,