कॉपएक्सिल युवा उद्यमियों को मूल्य-वर्धन उत्पादों के निर्यात में सहायक सहकारी समितियाँ ग्रामीण विकास में विशेष रूप से कृषि के लिए परिवर्तन का एक साधन बन सकती हैं

लखनऊ, दिनांकः 25 मार्च, 2021 सहकारी समितियाँ ग्रामीण विकास में विशेष रूप से कृषि के लिए एक साधन बन सकती हैं, केन्द्रीय कृषि राज्यमंत्री श्री पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा कि अब तक इन संस्थाओं को युवाओं की अभिरुचि को समझना शेष है और उन्हें इस मॉडल के प्रति आकर्षित किये जाने की आवश्यकता थी। “सहकारी क्षेत्र में युवाओं के लिए कई आर्थिक अवसर उपलब्ध हैं, लेकिन कई प्रत्यक्ष रूप से सामने नहीं आ रहे हैं। उनके लिए सहकारिता बुजुर्गों द्वारा संचालित कोई पुराने जमाने की अवधारणा है। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उन्हें सहकारिता का एक अंग बनाएं जो देश की आर्थिक वृद्धि को अग्रसर करने में बड़ी क्षमता रखते हैं।” श्री रूपाला जी ने सहकारी क्षेत्र निर्यात संवर्धन परिषद (कॉपएक्सिल) की प्रथम सामान्य निकाय बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि “सहकारी समितियाँ ग्रामीण विकास में विशेष रूप से कृषि के लिए परिवर्तन का एक साधन बन सकती हैं।“ यह जानकारी क्षेत्रीय निदेशक, राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम, क्षेत्रीय कार्यालय, लखनऊ श्री सुधॉंशु शर्मा ने देते हुए बताया कि सर्वप्रथम कॉपएक्सिल की स्थापना राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) के नेतृत्व में की गई है, जो केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अंतर्गत एक सहकारिता केंद्रित वित्तीय संगठन है जो अपने मूल्यवर्धन उत्पादों के निर्यात में सहकारी समितियों का मार्गदर्शन करता है। भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (एनसीयूआई) के अध्यक्ष श्री दिलीप संघानी ने कहा कि सहकारिता को एक आंदोलन के रूप में लिया जाना चाहिए जिससे कि स्थानीय लोगों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाकर आत्मनिर्भर भारत के स्वप्न को पूरा किया जा सके। श्री रूपाला जी ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की परिकल्पना अनुसार,वर्ष 2024-25 तक भारत की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहकारिताएं महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। “हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने वर्ष 2024-25 तक, 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है ।इस लक्ष्य को प्राप्त करने में सभी प्रकार की सहकारिताओं की बड़ी भूमिका है।” उन्होंने कहा कि हमारे किसानों ने यह बार-बार प्रमाणित किया है, विशेषकर वैश्विक महामारी के दौरान, कि जीडीपी में उनका योगदान सबसे बेहतर रहता है। मंत्री जी ने बेहतर तकनीक, निवेश, वित्त तथा बाजार की बेहतर पहुँच के माध्यम से छोटे तथा सीमांत किसानों को सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा स्थापित कृषि उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के सहयोग पर विचार करने पर एनसीडीसी से अनुरोध किया। “उन्होंने कहा कि हमें हमारी सरकार द्वारा 10,000 एफपीओ की स्थापना के संदर्भ का अवलोकन करना चाहिए । सहकारिताओं के रूप में गठित एफपीओ को भी, कॉपएक्सिल द्वारा सुविधा प्रदान की जाएगी । श्री संुधांशु शर्मा ने बताया कि श्री संजय अग्रवाल, कृषि सचिव ने आगे कहा कि अक्टूबर 2019 में आयोजित सर्वप्रथम भारतीय अंतर्राष्ट्रीय सहकारी व्यापार मेले से हुए लाभों का सहकारिताओं के किसानों हेतु पूर्णतः सदुपयोग किया जाना चाहिए । उन्होंने निर्यात में सभी प्रकार की सहकारिताओं को शामिल करने के लिए एक व्यापक-आधारित दृष्टिकोण का सुझाव दिया। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, लगभग 94 प्रतिशत किसान एक या उससे अधिक सहकारिताओं के सदस्य हैं । आई.आई.सी.टी.एफ. का उद्देश्य सहकारिताओं को भारत के अंतर्गत तथा विदेश में सहकारिताओं के साथ व्यापार करते हुए मुख्य कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ाना था। इस तथ्य को ध्यान मे रखते हुए कि भारतीय कृषि समाज की रीढ़ बनी हुई है, जो लगभग 50 प्रतिशत जनसंख्या को आजीविका प्रदान करती है, मंत्री जी ने कहा कि कृषि क्षेत्र का भारत के निर्यात में 10 प्रतिशत से अधिक योगदान है । उन्होंने यह भी कहा कि हमारी कृषि निर्यात नीति 2018, कृषि निर्यात को दोगुना करने एवं भारतीय किसानों तथा कृषि उत्पादों को वैश्विक मूल्य श्रृंखला के साथ जोड़ने पर केंद्रित है। श्री रुपाला ने कहा कि एनसीडीसी ने दिनांक 16 मई 2019 को सभी राज्यों के हितधारकों के साथ राष्ट्रीय स्तरीय परामर्श का आयोजन किया है जिसका निष्कर्ष यह रहा कि उच्च मूल्य प्राप्त करने हेतु सहकारी समितियों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए अपने संस्थागत नेतृत्व के अंतर्गत एनसीडीसी को सहकारी क्षेत्रक निर्यात संवर्धन निकाय का गठन करना चाहिए। भारतीय अंतर्राष्ट्रीय सहकारी व्यापार मेले के आयोजन के अवसर पर श्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, तथा श्री पीयूष गोयल, केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री द्वारा दिनांक 2 जुलाई, 2019 को संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान एनसीडीसी द्वारा सहकारी क्षेत्रक निर्यात संवर्धन निकाय के गठन की औपचारिक घोषणा राष्ट्र की राजधानी में की गई थी। भारतीय सहकारिताओं हेतु निर्यात संवर्धन गतिविधि के रूप में, एनसीडीसी एवं अन्य द्वारा अक्टूबर, 2019 में पहली बार आई.आई.सी.टी.एफ.का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया। इस मेले में 35,000 से अधिक आगंतुकों का आगमन हुआ और 125 विदेशी खरीददारों ने प्रतिभाग किया। इसमें लगभग 1.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर के मूल्य वाले 75 व्यावसायिक समझौतों पर हस्ताक्षर किए। व्यापार मेले की भव्य सफलता ने कॉपएक्सिल के शुरुआती कार्यान्वयन की आवश्यकता पर जोर दिया। मंत्री जी ने आगे कहा कि बैठक में देश एवं विदेश के विभिन्न सहकारी समितियों के प्रतिनिधियों और अधिकारियों ने ऑफलाइन तथा ऑनलाइन सहभागिता की । श्रीमती संदीप कौर, विशेष सचिव (सहकारिता), उ0प्र0 शासन एवं श्री सुधॉंशु शर्मा, क्षेत्रीय निदेशक, राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम, क्षेत्रीय कार्यालय, लखनऊ ने सहभागिता की। श्री रूपाला ने यह सुझाव दिया कि कॉपएक्सिल के सामान्य निकाय, जिसमें सभी हितधारकों एपीडा, एमपीडा, इफ्फको, नैफेड, ट्राईफेड आदि का प्रतिनिधित्व है, के स्वयं के महासचिव एवं सचिवालय हों । निकाय के संवर्धक के रूप में, एनसीडीसी को अपने संसाधनों को कॉपएक्सिल को उपलब्ध कराना चाहिए। देश भर में सहकारिताओं को वित्तपोषण कर संवर्धित करने में, एनसीडीसी की भूमिका पर जोर देते हुए मंत्री जी ने कहा कि, एनसीडीसी ने अपने गठन से अब तक सहकारिताओं को 1.76 लाख करोड़ रूपये की वित्तीय सहायता प्रदान की है । एनसीडीसी ने सहकारिताओं की आवश्यकताओं के लिए हाल ही में अनेक नई पहलें जैसे युवा सहकार, सहकार मित्र, आयुष्मान सहकार एवं सहकार प्रज्ञा आदि प्रारंभ की हैं। मेरा सुझाव है कि सहकारिताओं की आवश्यकताओं को समझते हुए वित्तपोषण हेतु एनसीडीसी द्वारा निर्यात सहकार योजना निर्मित की जाए। मंत्री जी ने अपनी सलाह के साथ-साथ आशा व्यक्त की कि कॉपएक्सिल देश के निर्यात क्षेत्र में लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में कार्य करेगा । श्री संदीप नायक, प्रबंध निदेशक, एनसीडीसी ने सभी सहभागियों के समर्थन को स्वीकार करते हुए कहा कि परिषद अपने उत्पादों के निर्यात के लिए सहकारी समितियों हेतु समन्वयक की भूमिका निभाएगी । उन्होंने आगे कहा कि एनसीडीसी का युवा-लक्षित कार्यक्रम, युवा- सहकार इसका एक मुख्य संचालक होगा ।

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