जब चित्रकारों ने सुनाई कविताएं - श्याम शर्मा, प्रभाकर कोलते, आलोक कुशवाहा ने सुनाई खुद की लिखीं रचनाएं

लखनऊ कला रंग का समापन लखनऊ। चित्रकार कैनवास पर चित्रों की रचना करते हैं लेकिन वे कई बार शब्दों के भी चित्र बनाते हैं। लखनऊ कला रंग में शामिल हुए देश के विख्यात चित्रकारों ने तीसरे और आखिरी दिन बुधवार को अपनी कविताएं सुनाकर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। नादरंग द्वारा कला एवं शिल्प महाविद्यालय के सहयोग से आयोजित इस उत्सव में 'कला और कविता' सत्र का आयोजन किया गया था जिसमें शामिल चित्रकारों के अतिरिक्त कई प्रसिद्ध चित्रकारों की कविताओं का पाठ किया गया। प्रसिद्ध चित्रकार प्रभाकर कोलते ने इस मौके पर कोरोना पर लिखी अपनी कविता सुनाई। उन्होंने सुनाया-अगर वह हमारे लिए विषाणु है तो हम भी उसके लिए विषाणु से कम नहीं। उन्होंने अपनी कई मराठी कविताएं भी सुनाईं। इस मौके पर प्रसिद्ध चित्रकार श्याम शर्मा और लखनऊ कला एवं शिल्प महाविद्यालय के प्राचार्य आलोक कुमार कुशवाहा ने भी स्वरचित कविताएं सुनाई। लखनऊ कला रंग के संस्थापक निदेशक आलोक पराड़कर ने मकबूल फिदा हुसेन की कविताओं का पाठ किया। आयुषी कुशवाहा ने जगदीश स्वामीनाथन की कविताएं सुनाई। संचालन कला रंग की समन्वयक निकिता सरीन ने किया। प्रथम सत्र में कला महाविद्यालय- सफर और संभावनाएं विषयक चर्चा हुई जिसमें श्याम शर्मा, प्रभाकर कोलते, पांडेय राजीव नयन, आलोक कुमार ने विचार व्यक्त किए। समापन के अवसर पर श्याम शर्मा और प्रभाकर कोलते का सम्मान किया गया।

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