योग केवल शारीरिक मुद्रा नहीं है बल्कि संपूर्ण शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य प्राप्त करने का एक तरीका है

लखनऊ, 30 मई "योग केवल शारीरिक आसन नहीं है, बल्कि स्वस्थ और सुखी जीवन की एक संपूर्ण प्रणाली है। आज अधिकांश देशों में लोग संपूर्ण स्वास्थ्य और सुख के लिए इसका अभ्यास कर रहे हैं। यहां तक कि 40 मुस्लिम देशों ने भी योग को पूर्णता की एक विधि के रूप में अपनाया है।" यह विचार पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित और विवेकानंद योग अनुसंधान केंद्र के प्रमुख डॉ एच आर नागेंद्र ने कही। डॉ एच आर नागेंद्र अंतरराष्ट्रीय योग ई कॉन्क्लेव में बोल रहे थे। डॉ. एच.आर. नरेंद्र ने कहा कि हमारे प्रधान मंत्री ने योग को इतना लोकप्रिय बनाया और उनके प्रयासों से संयुक्त राष्ट्र ने हर साल 21 जून को दुनिया भर में मनाए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि आयुष मंत्रालय कोविड-19 सहित सभी वायरस और इसके संक्रमण से अपने शरीर को बचाने के लिए हर उस व्यक्ति के लिए नया योग प्रोटोकॉल तैयार कर रहा है, जो अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाना चाहता है। उन्होंने कहा कि योग मानव को बीमारियों से बचाने में सक्षम है और हम इसके वैज्ञानिक प्रमाण देने की कोशिश कर रहे हैं। आर्ट ऑफ लिविंग की शिक्षिका और महिला सशक्तिकरण प्रकोष्ठ की प्रभारी सुश्री भानुमति नरसिम्हन ने कहा कि योग हमारे युवाओं के लिए बहुत आवश्यक है क्योंकि वे आधुनिक समय की चुनौतियों को स्वीकार करने में सक्षम हैं। उन्होंने कहा कि उनमें समाज की बेहतरी के लिए काम करने की ऊर्जा, जोश और उत्साह है। लखनऊ में सिटी मोंटेसरी स्कूलों के संस्थापक डॉ. जगदीश गांधी ने कहा कि योग हमें एकजुट होने में मदद करता है और मूल रूप से हम सभी पंथ, भाषा और धर्म से ऊपर एक ही हैं। योग न केवल आत्मा को परमात्मा से मिलाने की विधि है, बल्कि मानव जाति को एक करने की विधि है। योगाचार्य डॉ आनंद बालयोगी भवनानी ने नाद योग और प्रणव के बारे में बताया और स्पष्ट किया कि कैसे वे आध्यात्मिक रूप से खुद को ऊपर उठाने में हमारी मदद कर सकते हैं। योगाचार्य सुबोध तिवारी ने कहा कि योग पूर्ण मानव बनाने की एक विधि है। डॉ सरिता नाइक ने बताया कि कैसे योगाभ्यास गर्भवती महिलाओं को कोविड-19 सहित विभिन्न प्रकार के जोखिमों के समय मदद कर सकता है। एमडीएनआईवाई नई दिल्ली के निदेशक डॉ ईश्वर बासवरेड्डी ने कहा कि योग सीमित से अनंत, व्यक्तिगत से सार्वभौमिक और बाहरी से आंतरिक तक की यात्रा है। यह हमारी अन्तरात्मा के आंतरिक स्वरूप को अनुभव करने की एक विधि है। डॉ विश्वास मांडलिक ने कहा कि योग केवल शारीरिक स्वास्थ्य का ही मामला नहीं है, यह हमें संपूर्ण व्यक्तित्व - मन, शरीर, बुद्धि और आत्मा के विकास में मदद करता है। इस अवसर पर बोलने वाले अन्य लोगों में अर्जेंटीना से स्वामिनी दुर्गा, यूएसए से पीटर रोजिना, अपरिणय श्याम दास और लखनऊ विश्वविद्यालय के डॉ. सत्येंद्र मिश्रा शामिल थे। कार्यक्रम का संचालन सिंगापुर की नीतू सोमानी ने किया, जबकि संयोजक हिमांशु पाण्डेय ने सभी अतिथियों का गर्मजोशी से स्वागत किया। इंडियन आइडल फेम के कलाकार रविकांत त्रिपाठी ने खूबसूरत भजन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की।

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सबसे बड़ा वेद कौन-सा है ?

कर्नाटक में विगत दिनों हुयी जघन्य जैन आचार्य हत्या पर,देश के नेताओं से आव्हान,