ऑनलाईन के साथ-साथ ऑनटाईम होना ज़रूरी है- डॉ. अनिल खरया

कैरियर मंत्रा-
-समय प्रबंधन से आत्मविश्वास बढ़ता है।
- ऑनलाइन भी ज्ञान अर्जन के लिये पर्याप्त सामग्री है। विवेकपूर्ण ढंग से अपने कौशल विकास के लिये उपयोग करें।
- वर्चुअल कक्षा में अटेंटिव रहें। परीक्षा एवं प्लेसमेंट साक्षात्कार हेतु स्वयं को तैयार करते रहें।
समय का महत्व उस किसान से जानें जिसके फसल की बुवाई में देरी हो गयी है या फसल तो तैयार है परंतु समय नियोजन में त्रुटि एवं बेसमय बरसात आ जाने से पूरी फसल बर्बाद हो गयी है। समय का महत्व उस बेरोज़गार से जानें जिसकी बस या ट्रेन छूट गयी है और वह समय पर नहीं पहुँच पाया है। हम जानते हैं कि समय ही एक ऐसी चीज़ है जो राजा-रंक-फ़क़ीर-व्यापारी सबको समान मिला है। कौन उस समय का उपयोग कैसे करता है उसपर उसका एवं उसके परिवार का भविष्य निर्भर करेगा। कोरोना महामारी के इस काल में पिछले लगभग डेढ़ साल से पूरा समाज संघर्ष कर रहा है। कुछ लोग इस समय को हाथ पर हाथ रखें यूँ ही गुज़ार देना चाहते हैं। कुछ अपनी क्षमताओं के विकास में इस समय का सदुपयोग करते जा रहे हैं। ज्ञात हो होती जैसा समय होता है उसके अनुरूप स्वयं को ढाल लेना और जीवन को आगे बढ़ाना एक सकारात्मक मनुष्य की विशेषता होती है। सूचना प्रौद्योगिकी में अनुसंधान एवं विकास ने विश्व समुदाय को सशक्त तो बनाया है परंतु साथ ही साथ कई अन्य ऐसी विकृतियों का भी सृजन किया है जिससे युवाओं का महत्वपूर्ण समय नष्ट हो रहा है। हम सब ऑनलाईन तो हैं पर ऑन टाईम नहीं हो पा रहे हैं। यह पेंडेमिक टाईम भी हमारे लिये एक अवसर के रूप में है जिससे हम कई प्रकार से अपना कौशल विकास कर सकते हैं। स्नातक या स्नातकोत्तर की शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात पलेसमेंट पा लेने की चाहत तो प्रत्येक युवा की प्रबल होती है। परंतु क्या हमने साक्षात्कार की तैयारी ठीक से की है? यह एक बहुत बड़ा प्रश्न खड़ा होता है। लगभग डेढ़ वर्षों से कॉलेज-स्कूल का मुँह ना देख पाने वाले ये युवा क्या अपने खोये हुये समय की चिंता करते हैं ? वर्चुअल माध्यम की पढ़ाई में हम कितने समर्पित और अनुशासित रहे ये हमसे बेहतर कौन जानता है? शिक्षा का अर्थ केवल कोर्स कंटेंट दे देना या लेक्चर ले लेने से नहीं होता है। कोर्स कंटेंट के साथ शिक्षक के प्रेजेंटेशन स्किल, हाव भाव आदि से भी बहुत सारी सीख मिलती है और व्यक्तित्व विकास होता है। कई ऐसी समस्यायें भी होती हैं जिनको हम ऑनलाईन पूछ नहीं पाते और ना ही ठीक से समझा पाते। इस पेंडेमिक काल में विद्यार्थियों के भीतर कई तरह के अनुत्तरित प्रश्न दबे हैं। कई विद्यार्थियों ने इंटरनेट की सुविधा ना होने के कारण शिक्षा से अछूते रहे। कई अटेंडेंस मात्र के लिये ऑनलाईन रहे। कई बाद में जुड़े जब लेक्चर समाप्त होने वाला था। कईयों का अटेंडेंस किसी और ने बोल दिया। चिंतनीय और विचारणीय है कि वर्तमान युवाओं के जीवन में शिक्षा और समय का कितना महत्व बचा है। हम अपने भविष्य को लेकर कितने चिंतित हैं? हमारे जीवन का लक्ष्य क्या है? ऐसे कई प्रश्न आज के परिप्रेक्ष्य में प्रासंगिक हैं। माध्यम कोई भी हो परंतु सिंसियारिटी, रेगुलारिटी एवं समय प्रबंधन अत्यंत आवश्यक है। समय से अधिक बलशाली कोई नहीं है। अत: समय प्रबंधन पर विशेष ध्यान रहे। पेंडेमिक टाईम के लॉकडाऊन समय का सही उपयोग अपने स्किल्स को इंप्रूव करने के लिये करें। आपदा को अवसर के रूप में बदलने की शक्ति का आभास करें। नये नावाचारों, उद्यमिता विकास के नये आयामों को ढूँढें। पेंडेमिक के बाद देश-समाज-विश्व की व्यवस्थायें-आवश्यकतायें कैसी होंगी उसका अभी से आकलन कर स्वयं को तैयार रखें। फ़ोकस बहुत ज़रूरी है फोकट ना रहें। मूल्यवान समय का विवेकपूर्ण उपयोग कर स्वयं को शक्तिशाली बनायें। ध्यान रहे ऑनलाईन रहते-रहते कहीं ऑनटाईम होना ना भूल जायें। ( लेखक डॉ अनिल खरया मॉडर्न ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूशन्स में प्रोफ़ेसर एवं चेयरमैन की भूमिका में कार्यरत हैं)

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