जाने कहाँ गए वो दिन

धार्मिक सद्भाव न केवल हमारी विरासत का हिस्सा रहा है बल्कि संविधान का बुनियादी तत्व भी और ये ऐतिहासिक तस्वीर इस बात की गवाह है जब भारत सरकार रमजान महीने में रोजा इफ्तार के लिए एक टेबल पर मौजूद रही। तस्वीर में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, बाबा साहब आम्बेडकर, बल्लभ भाई पटेल,मौलाना अबुल कलाम आजाद,बाबू जगजीवन राम सहित तमाम महत्वपूर्ण व्यक्ति मौजूद रहे।यही भारत की असली पहचान है जो हमें साझी विरासत,सर्वधर्म समभाव और धर्मनिरपेक्षता के उसूलों को बचाये रखने के लिए ताकत प्रदान करती है।संविधान इन मूल्यों की वकालत ही नहीं करता बल्कि इसका मुहाफ़िज़ भी है। ये तस्वीर साफ तौर पर ये भी संदेश देती है कि भारत अपने बुनियादी उसूलों स्वतंत्रता, समता,बन्धुता और इंसाफ के रास्ते का अडिग हमराही है। आजादी की लड़ाई के दौरान ये मूल्य परवान चढ़े और संविधान सभा मे ये तय हुआ कि भारतीय राष्ट्र न केवल इसे बनाये रखेगा बल्कि इसे इसमें बाधा पहुंचाने वाली ताकतों से सख्ती से निपटेगा भी। पर आज कुछ लोग इस तस्वीर को खंडित करने के मंसूबे में लगे हुए हैं।आजादी की लड़ाई के दौरान उपजे मूल्य और हमारी सर्वधर्म समभाव की सदियों पुरानी रिवायत को नकार रहे हैं ये शुभ संकेत नही है।पूरी दुनिया को हमनें वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश दिया है आज उसपर प्रश्न चिन्ह लगता हुआ दिखलाई पड़ रहा है।हमे अपनी इस विरासत को बचाना होगा।ये तस्वीर महज एक तस्वीर नही है बल्कि अक्लियतों का भरोसा और हिंदुस्तानी तहज़ीब का आईना है और एक सुखद एहसास भी है कि हमनें राष्ट्र के रूप में सफर इस तरह शुरू किया था।
डॉ मोहम्मद आरिफ

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