सादगी पूर्वक मनायी गयी भगवान परशुरामजी की जयन्ती

सर्व ब्राह्मण महामंडल जन कल्याण ट्रस्ट ने किया पूजन-अर्चन
ललितपुर। ब्राह्मण कुल के आराध्य देव भगवान परशुराम की जयन्ती पूरे जनपद में सादगी पूर्ण तरीके से मनाई गयी। इलाइट क्षेत्र में सर्व ब्राह्मण महामंडल जन कल्याण ट्रस्ट के तत्वाधान में भगवान परशुराम की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर श्रृद्धा से जयन्ती मनायी गयी। इस दौरान विधि-विधान से पूजन अर्चन किया गया। तदोपरान्त उपस्थित जनों ने समस्त मानवजाति के कल्याण को लेकर कामनायें की। गौरतलब है कि भगवान परशुराम जयंती शुक्रवार को पूरे जिले में सादगी से मनाई गयी। हिन्दू पंचांग के अनुसार हर साल वैशाख माह शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया के दिन परशुराम जयंती बड़ी धूम-धाम के साथ मनायी जाती है। हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान परशुराम जगत के पालनहार विष्णुजी के अवतार हैं। इस दिन विधि-विधान से भगवान परशुराम जी की पूजा की जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान परशुराम ने 21 बार पृथ्वी से क्षत्रियों का संहार कर अपनी प्रतिज्ञा पूरी की थी। भगवान परशुराम ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका के पुत्र थे। उनका जन्म ब्राह्मण कुल में हुआ था। उनके जन्म के समय आकाश मंडल में छह ग्रहों का उच्च योग बना हुआ था। तब उनके पिता और सप्त ऋषि में सम्मिलित ऋषि जमदग्नि को पता चल गया था कि उनका बालक बेहद पराक्रमी होगा। मुनि ने आश्रम की चमत्कारी कामधेनु गाय के दूध से समस्त सैनिकों की भूख शांत की। कामधेनु गाय के चमत्कार से प्रभावित होकर उसके मन में लालच पैदा हो गया। इसके बाद जमदग्रि मुनि से कामधेनु गाय को उसने बलपूर्वक छीन लिया। जब यह बात परशुराम को पता चली तो उन्होंने सहस्त्रार्जुन का वध कर दिया। सहस्त्रार्जुन के पुत्रों ने बदला लेने के लिए परशुराम के पिता का वध कर दिया और पिता के वियोग में भगवान परशुराम की माता चिता पर सती हो गयीं। पिता के शरीर पर 21 घाव को देखकर परशुराम ने प्रतिज्ञा ली कि वह इस धरती से समस्त क्षत्रिय वंशों का संहार कर देंगे। इसके बाद पूरे 21 बार उन्होंने पृथ्वी से क्षत्रियों का संहार कर अपनी प्रतिज्ञा पूरी की। इस दौरान पं.रामेश्वर प्रसाद सडैया, प्रदीप चौबे, पं.भगवत नारायण बाजपेई, पं.कमलापत रिछारिया, पं.रविकान्त दीक्षित एड., पं.संतोष चौबे, पं.धर्मेंद्र रावत, पं.शशिकान्त दीक्षित, पं.गोलू चौबे, पं.सौरभ अग्निहोत्री, पं.सक्षम दीक्षित, पं.बबलेश तिवारी उपस्थित रहे। परशुराम और गणपति महाराज के बीच हुआ युद्ध भगवान परशुराम को क्रोध भी अधिक आता था। उनते क्रोध से स्वयं गणपति महाराज भी नहीं बच पाए थे। एकबार जब परशुराम भगवान शिव के दर्शन करने के लिए कैलाश पहुंचे, तो गणेश जी ने उन्हें उनसे मिलने नहीं दिया। इस बात से क्रोधित होकर उन्होंने अपने शस्त्र से भगवान गणेश जी का एक दांत तोड़ डाला। इस कारण से भगवान गणेशजी एकदंत कहलाने लगे।

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