जीवन की मिठास हुनर को पहचानने एवं उसे निखारने में है" —प्रशंसा नीमा

जिस तरह भोजन में कुछ मीठा ना होने से भोजन पूर्ण नहीं होता और मीठा होने से मानो पूरे भोजन में मिठास घुल जाती है ठीक उसी तरह जीवन की मिठास भी व्यक्ति में हुनर और जुनून के होने से है। परंतु इस मिठास को घोलने के लिए सबसे पहली सीढ़ी हुनर पहचानने की है और उसे पहचानने के लिए स्वयं को जानना बहुत जरूरी है। इसका उदाहरण हम आज की वर्तमान स्थिति में बड़ी आसानी से देख सकते हैं। जैसे कि पहले लोग पूरी तरह अपने काम में इतना व्यस्त हो गए थे कि उन्हें उसके अतिरिक्त और कुछ भी दिखाई नहीं देता और ना ही उस दौड़ती-भागती जिंदगी के बीच वे अपने लिए समय निकाल पाते। पर जैसा कि कहा जाता है हर कठिन से कठिन समय बहुत कुछ सिखा जाता है या हम उससे कुछ ना कुछ जरूर सीख लेते हैं। यह लॉकडाउन का समय भी कुछ इसी तरह रहा है, इसने हम सभी को अपने आप को नज़दीक से जानने का और समझने का अवसर दिया है। "तो क्यों ना हर नई सोच के हुनर को हर कठिन परिस्थिति में एक अवसर बना लिया जाए"।अवसर जैसे छिपे हुनर को पहचानने का, नई सोच के निर्माण का, खुशियां बांटने का, दूसरों की सहायता करने का एवं सादे जीवन में नयी मिठास घोलने का।। हर व्यक्ति में कोई ना कोई हुनर ज़रूर होता है पर जब वह उसे पहचानने की पहली सीढ़ी ही पार नहीं कर पाएगा तो अगली सीढ़ी जो उसे निखारने की है उस पर कैसे पहुंचेगा? हमारी हर एक सोच हमें हर दिन अपने बीते दिनों से बेहतर बनाने की कोशिश करती है, इसलिए "हर दिन से कुछ ना कुछ सीखना बहुत जरूरी है और यही प्रक्रिया हुनर को निखारने की है"। हुनर किसी भी क्षेत्र में हो सकता है बस जरूरी है तो अपने अंदर जुनून और आत्मविश्वास का होना।जैसे हुनर अगर स्वादिष्ट भोजन बनाने में है, तो हुनर ऑफिस में प्रेजेंटेशन बताने में भी है । हुनर यदि कविताओं या लेख लिखने में हैं , तो हुनर उन कविताओं को बोलने की कला में भी है । हुनर यदि गायन वादन में है, तो हुनर गायन पर होने वाले नृत्य का भी है । हुनर यदि चित्रकला में आकृतियां बनाने में है, तो हुनर हाथों में लगी मेहंदी की कलाकृति में भी है । हुनर यदि घर को सजाने में है , तो हुनर नायिका के श्रंगार करने में भी है । हुनर यदि नयी सोच में है, तो हुनर सोच की प्रक्रिया को पूरा करने में भी है । हुनर को पहचानें और स्वयं को जानें ताकि जीवन में मिठास हमेशा बनी रहे।
( लेखिका ✍️ सुश्री प्रशंसा नेमा, मॉडर्न इंस्टीट्यूट ऑफ़ फ़ार्मास्यूटिकल्स साइंसेज़ में सहायक प्राध्यापिका के रूप में कार्यरत हैं)

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