21 जुलाई, 2021 को शाम 05ः00 बजे ऑनलाइन गोष्ठी-‘‘सिन्धी भाषा के विकास में डॉ0 जयरामदास दौलतराम का योगदान‘‘ का आयोजन
उत्तर प्रदेश सिन्धी अकादमी द्वारा दिनाँक 21 जुलाई, 2021 को शाम 05ः00 बजे ऑनलाइन गोष्ठी-‘‘सिन्धी भाषा के विकास में डॉ0 जयरामदास दौलतराम का योगदान‘‘ का आयोजन सफलातापूर्वक किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता अकादमी उपाध्यक्ष श्री नानकचन्द लखमानी जी द्वारा की गयी।
कार्यक्रम अध्यक्ष श्री नानकचन्द लखमानी द्वारा अवगत कराया गया कि यह कार्यक्रम सिन्धी भाषा के प्रचार-प्रसार, संरक्षण तथा संवर्द्धन के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु कराया जा रहा है। सिन्धी भाषा की उन्नति को गति देने में यह अत्यन्त सहायक है। समाज के लिए श्री जयरामदास दौलतदाम जी सदैव ही प्रेरणा स्त्रोत रहंेगे। वे अखिल भारत सिन्धी बोलि ऐन साहित सभा (अखिल भारतीय सिंधी भाषा और साहित्य कांग्रेस) के संस्थापक सदस्यांे में से एक थे।
उनके द्वारा अवगत कराया गया कि अकादमी द्वारा ऑनलाइन सिन्धी संगोष्ठी, छात्र प्रतियोगिता, गायन, पुस्तक प्रकाशन आदि कार्यक्रम कराये जा रहे हैं। अकादमी द्वारा दिनाँक 25.07.2021 को आगरा में गोष्ठी कार्यक्रम कराया जाना प्रस्तावित है।
कार्यक्रम में श्री लीलाराम सचदेवा, श्री सीताराम खत्री, श्रीमती शालिनी राजपाल एवं श्री सुन्दरदास गोहराणी द्वारा अवगत कराया गया कि भारत के संविधान को बनाये जाने में श्री जयरामदास दौलतदाम जी द्वारा योगदान दिया गया। उनके ही अथक प्रयासों से 10 अप्रैल, 1967 को सिंधी भाषा को भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित किया गया। श्री जयरामदास दौलतराम द्वारा सिंधी भाषा को संविधान में सम्मिलित कराये जाने से संबंधित किये गये प्रयासों को विस्तृत रूप से वक्ताओं द्वारा श्रोताओं को अवगत कराया गया। उनके द्वारा पत्रकारिता क्षेत्र में भी काफी योगदान दिया गया है इसके साथ ही उनके द्वारा "सिंधु जी खोज" नामक पुस्तक भी लिखी गई है| स्वतंत्रता के बाद उन्हें बिहार का पहला भारतीय गवर्नर नियुक्त किया गया। सन् 1950 में वह असम के राज्यपाल नियुक्त किये गये। दिनाँक 01 मार्च, 1979 में उनका निधन हो गया। उनकी स्मृति मंे भारत सरकार द्वारा सन् 1985 में उनके नाम का डाक टिकट जारी किया गया। उक्त कार्यक्रम का संचालन श्रीमती हीरल कवलानी द्वारा किया गया।
अकादमी निदेशक श्री कल्लू प्रसाद द्विवेदी द्वारा कार्यक्रम में उपस्थित वक्ताओं तथा अन्य गणमान्य श्रोताओं को धन्यवाद ज्ञापित किया गया।