उत्तर प्रदेश सरकार के स्वामित्व की हवाई पट्टियों व वहां पर स्थित अन्य परिसम्पत्तियों के उपयोग के लिए नीति का निर्धारण



निजी संस्थाओं द्वारा उड्डयन क्षेत्र में प्रशिक्षण व अन्य गतिविधियां की जा सकेंगी संचालित

 लखनऊ: 06 सितम्बर, 2021

उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने स्वामित्व की हवाई पट्टियों व वहां पर स्थित अन्य परिसम्पत्तियों को निजी संस्थाओं द्वारा उड्डयन क्षेत्र में प्रशिक्षण व अन्य गतिविधियां संचालित करने के लिए अनुमति दिए जाने के संबंध में नीति का निर्धारण कर दिया है। इसका 16 अगस्त, 2021 को मंत्रि परिषद की बैठक में अनुमोदन भी ले लिया गया है।
नागरिक उड्डयन विभाग द्वारा चयनित संगठनों (फ्लाइंग क्लब/एकेडमी) को अकबरपुर (अम्बेडकरनगर), अन्धऊ (गाजीपुर), श्रावस्ती, फर्रूखाबाद धनीपुर (अलीगढ़), अमहट (सुल्तानपुर), म्योरपुर (सोनभद्र), सैफई (इटावा), पलिया (खीरी), झॉसी, रसूलाबाद (कानपुर देहात), आजमगढ़ व चित्रकूट जनपदों में स्थित कुल 13 हवाई पट्टियों तथा उन पर निर्मित परिसम्पत्तियों (हैंगर, भवन आदि) को उड्डयन क्षेत्र में प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करने हेतु अनुमति प्रदान कर दी गयी है।
नागरिक उड्डयन विभाग ने इस संबंध में चयनित संगठनांे को नीति के तहत सुविधायें उपलब्ध कराई हैं, जिसमें चिन्हित हवाई पट्टी के उपयोग की अनुमति दी गयी है। इसमें एक हवाई पट्टी पर अधिकतम चार संगठनों को ही उपयोग की अनुमति होगी, इसी प्रकार यदि चिन्हित हवाई पट्टी पर हैंगर उपलब्ध है, तो अतिरिक्त शुल्क के भुगतान पर उपयोग की अनुमति मिलेगी।
अगर चिन्हित हवाई पट्टी पर कोई अन्य भवन एवं सुविधाएं उपलब्ध हैं, तो अतिरिक्त शुल्क के भुगतान पर उनके उपयोग की अनुमति होगी।
प्रशिक्षण सुविधाएं सृजित करने हेतु उपलब्धता के आधार पर अतिरिक्त शुल्क का भुगतान करना होगा इसके लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर की स्थापना हेतु न्यूनतम आवश्यक भूमि के उपयोग की अनुमति होगी।
प्रशिक्षण कार्यक्रम की आवश्यकतानुसार नाईट लैण्डिंग हेतु सैफई हवाई पट्टी का उपयोग किए जाने की अनुमति मिलेगी। जिसके लिए अतिरिक्त शुल्क का भुगतान करना पड़ेगा। जिसका निर्धारण निदेशक नागरिक उड्डयन द्वारा किया जायेगा।
प्रशिक्षण कार्यक्रमों के अतिरिक्त हवाई पट्टियॉ राजकीय विमानों तथा चार्टर ऑपरेशन्स के लिए भी यथा-आवश्यकता उपयोग में लाई जा सकेंगी। संगठन को अपने उद्देश्यों के लिए हवाई पट्टी के उपयोग की अनुमति 10 वर्षों के लिए अस्थाई तौर पर दी जाएगी और राज्य सरकार अपने विवेक पर 06 माह के नोटिस पर किसी भी समय इस अनुमति को वापस लेने के लिए स्वतन्त्र होगी, जिस पर संगठन द्वारा कोई आपत्ति नहीं की जाएगी और न ही राज्य सरकार द्वारा इसके लिए कोई भुगतान या प्रतिपूर्ति की जाएगी।

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