देश, समाज एवं संस्कारों के निर्माण में शिक्षक की अहम भूमिका - डा.ओमप्रकाश शास्त्री

 



नेमवि में शिक्षक/कर्मचारी सम्मान समारोह सम्पन्न
ललितपुर। नेहरू महाविद्यालय के संस्कृत भवन सभागार में शिक्षक दिवस के उपलक्ष में शिक्षक सम्मान समारोह आयोजित किया गया। समारोह का शुभारंभ प्रबंधक प्रदीप चौबे, उप प्रबंधक हरदयाल सिंह लोधी, प्राचार्य डा.अवधेश अग्रवाल, संस्कृत विभागाध्यक्ष डा.ओम प्रकाश शास्त्री ने संयुक्त रूप से सरस्वती पूजन दीप प्रज्ज्वलन एवं डा.राधाकृष्णनजी के चित्र पर माल्यार्पण कर किया। सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए प्रबंधक प्रदीप चौबे ने कहा कि शिक्षक का कार्य त्याग एवं साधना से जुड़ा है अध्यापक उसे ही बनना चाहिए जो जीवन भर अध्यापन और अपने विद्यार्थियों के जीवन को बनाने में प्राथमिकता देता हूं इस तरह के अध्यापकों का समाज में सम्मान होता है उन्होंने कहा कि अध्यापन से पवित्र कोई दूसरा कार्य नहीं है इसलिए शिक्षक को पूरी सत्य निष्ठा एवं परिश्रम से नियमित रूप से विद्यार्थी में ज्ञान एवं संस्कारों की स्थापना का कार्य करना चाहिए। उप प्रबंधक हरदयाल सिंह लोधी एडवोकेट ने कहा कि देश की आजादी के 75 वें साल पर अमृत महोत्सव शिक्षक दिवस समारोह मनाया जा रहा है। शिक्षक देश, समाज के निर्माण और मर्गदर्शन करने की भूमिका निर्वहन करते है। प्राचार्य डा.अवधेश अग्रवाल ने कहा कि शिक्षको ंके कारण ही राष्ट्र,समाज को प्रकाश मिलता है जैसे की दीपक की ज्योति स्वंय जलकर प्रत्येक घरों में ज्योति से प्रकाश देता है। शिक्षक सम्पूर्ण राष्ट्र का नायक होता है। यह गुरु-शिष्य  परम्परा भारत की है और कहीं नही हो सकता। शिष्य कितना भी ऊंचा पद धारण कर ले लेकिन अपने शिक्षक के सामने सदैव नत हो नमन करता। शिक्षक सेवा से निवृत्त होकर भी सदैव शिक्षक की भूमिका मे जाना जाता है। संस्कृत विभागाध्यक्ष डा.ओमप्रकाश शास्त्री ने कहा कि डा.राधाकृष्णन एक सफल शिक्षक,दार्शनिक और राजनेता थे। वे भारत की उस परम्परा के वाहक थे जिन्होने पश्चिम के दार्शनिक आधिपत्य को चुनौती दी। वे शिक्षको के लिये एक प्रेरणा स्रोत है। भारतीय परम्परा मे शिक्षक केवल शास्त्र ज्ञान ही नहीं देता था बल्कि गुरुकुल में छात्र के चरित्र का निर्माण भी करता था। इतिहास विभागाध्यक्ष, डॉ पंकज शर्मा ने कहा कि आज आवश्यक है की शिक्षक को जिस कार्य के लिये वेतन मिलता है उसे पूरी ईमानदारी एवं निष्ठा से करे। किसी भी राष्ट्र की प्रगति में शिक्षा और शिक्षक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। भारत देश तपस्वियों एवं साधको की भूमि है। यहां का शिक्षक पूरे विश्व को सन्देश देता है या विश्व शिक्षा का वाहक है। इस अवसर पर और महाविद्यालय के प्राचार्य डा.अवधेश अग्रवाल, डा.ओमप्रकाश शास्त्री, डा.आशा साहू, डा.पंकज शर्मा, डा.अनिल सूर्यवंशी, डा.संजीव कुमार, डा.सूबेदार यादव, डा.सुधाकर उपाध्याय, डा.रामकुमार रिछारिया, डा.सुभाष जैन, डा.ओ.पी.चौधरी, डा.रिचाराज सक्सेना, डा. दीपक पाठक, डा.राजेश तिवारी, कविता पैजवार, श्वेता आनंद, प्रीति सिरौटिया, डा.जितेन्द्र राजपूत, डा.हरीश चंद्र दीक्षित, डा.अरिमर्दन सिंह, डा.लक्ष्मीकान्त मिश्रा, डा.अवनीश त्रिपाठी, डा.बलराम द्विवेदी, डा.जगत कौशिक, धीरेन्द्र तिवारी, डा.संतोष कुमार सिंह, इं. विपिन कुमार शुक्ला, डा.राजीव निरंजन, डा.अमित सोनी, इं. सौरभ श्रीवास्तव, मदनलाल, डा. सुनील कुमार शुक्ला, मनीष वर्मा, डा.शैलेन्द्र सिंह चौहान, डा.विनीत अग्निहोत्री, डा.ऊषा तिवारी, डा.वर्षा साहू, डा.विनोद कुमार, डा.जगवीर सिंह, डा.रोहित वर्मा, डा.पराग कुमार, डा.अनूप दीक्षित, संदीप श्रीवास्तव, डा.अभिलाषा साहू एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों विवेक पाराशर, फहीम बख्श, धु्रव किलेदार, राजीव गोस्वामी, रमेश प्रसाद, हरीप्रसाद, आशीष शर्मा, रामसहाय सिरौठिया, जयंत चौबे, दीपक रावत, अंकित चौबे, चुन्नीलाल, हरदयाल, भगवती प्रसाद, लक्ष्मी सोनी, श्रीपत सिंह, भरत सिंह, संजय शर्मा, अनिल कुमार, कमलेश प्रजापति, सुरेश कामता प्रसाद, राकेश प्रजापति, मिलन, अभिषेक शर्मा, रवि कुमार, रामसेवक, गजेन्द्र, रजनीश, राहुल को श्रेष्ठतम कार्य करने के लिये अंगवस्त्र एवं श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया गया। समारोह का संचालन डा.दीपक पाठक ने किया एवं डा.ओमप्रकाश शास्त्री ने आभार व्यक्त किया।

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