विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास में शिक्षकों की अहम भूमिका : डा.संजीव शर्मा


ललितपुर। पांच सितंबर को शिक्षक दिवस मनाने की परंपरा 1962 से शुरू हुई थी। जब भारत के एक सबसे योग्य शिक्षक डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन देश के दूसरे राष्ट्रपति बने। 5 सितंबर को डाक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जन्म हुआ था। उन्होंने आग्रह किया की उनका जन्मदिन मनाने के बजाय इस दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाये ताकि देश के शिक्षकों को हम योग्य सम्मान दे सकें। उन्होंने एक बार कहा था की योग्य शिक्षक वही है जिसके अंदर एक विद्यार्थी जिंदा रहता है। एक अध्यापक से हमें यही उम्मीद रहती है की वह जो भी बोले सही, शुद्ध और सच बोले।एक शिक्षक एक शिल्पकार की तरह है जो अपने विद्यार्थियों को सही ज्ञान प्रदान करके उनको योग्य नागरिक बनाता है। इसलिए किसी भी देश को महान और गौरवशाली बनाने में शिक्षकों की अहम भूमिका होती हैं।विद्यार्थियों को हमेशा यह विश्वास दिलाकर की वे कुछ कर सकते है, वे कुछ बन सकते है शिक्षक एक बहुत महान काम करते हैं। शिक्षक अपने रचनात्मक विचारों द्वारा बच्चों का आचरण ऊँचा करते हैं।उनका यही लक्ष्य रहता है की वे अपने विचारों से अपने विद्यार्थियों के जीवन में बदलाव लाकर उन्हें ऊँचाइयों की और ले जायें। हमारी संस्कृति में भी माता-पिता से भी ऊंचा दर्जा गुरु को दिया जाता है। एक तरफ जहां माता-पिता बच्चे को जन्म देते हैं तो शिक्षक उनके जीवन को आकार देते हैं। शिक्षक हमेशा हमें गाइड करते है, प्रेरणा देते हैं और समाज में हमें एक अच्छा नागरिक बनाते हैं। शिक्षक हमारे जीवन की नींव होते हैं। वे एक स्टूडेंट के लिए दूसरी मां की तरह होते हैं। डाक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन का मानना था कि देश में सर्वश्रेष्ठ दिमाग वाले लोगों को ही शिक्षक बनना चाहिए। सर्वपल्ली डा. राधाकृष्णन का कहना था कि शिक्षक वह नहीं जो विद्यार्थी के दिमाग में तथ्यों को जबरन ठूंसे, बल्कि वास्तविक शिक्षक तो वह है जो उसे आने वाले कल की चुनौतियों के लिए तैयार करें। उन्हें भारत रत्न से भी नवाजा गया था। शिक्षक वास्तव में शिक्षा और विद्यार्थियों के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका को निभाते हैं। शिक्षक आमतौर पर उचित दृष्टि, ज्ञान और अनुभव वाले व्यक्ति बन जाते हैं। शिक्षकों का पेशा किसी भी अन्य पेशे से ज्यादा बड़ी जिम्मेदारियों वाला होता है। विद्यार्थियों और राष्ट्र की वृद्धि, विकास, और दोनों की भलाई पर शैक्षिक पेशा गहरा प्रभाव रखता है। मदन मोहन मालवीय के अनुसार (बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्थापक), एक बच्चा जो आदमी का पिता होता है, उसके मन को ढालना उसके शिक्षक पर बहुत अधिक निर्भर करता है। यदि वह देशभक्त है और देश के लिए समर्पित है और अपनी जिम्मेदारियों को समझता है, तो वह देशभक्त पुरुषों और महिलाओं की एक जाति को पैदा कर सकता है जो धार्मिकता से ऊपर देश को और सामुदायिक लाभ से ऊपर राष्ट्रीय लाभ को रखेंगे। शिक्षक की विद्यार्थियों, समाज और देश की शिक्षा में बहुत सारी महत्वपूर्ण भूमिकाएं हैं। लोग, समाज और देश का विकास एवं वृद्धि शिक्षा की गुणवत्ता पर निर्भर करता है, जो केवल अच्छे शिक्षक के द्वारा दी जाती है। देश में राजनेताओं, डॉक्टरों, इंजीनियरों, व्यापारियों, किसानों, कलाकारों, वैज्ञानिकों, आदि की जरुरत को पूरा करने के लिए अच्छी गुणवत्ता की शिक्षा बहुत आवश्यक है। समाज के लिए आवश्यक ज्ञान के लिए शिक्षक किताबों, लेखों, आदि के माध्यम से प्राप्त करने के लिए निरंतर कठिन परिश्रम करते हैं। वे अपने विद्यार्थियों को हमेशा दिशा-निर्देशित करते हैं और उन्हें अच्छे कैरियर के लिए रास्ता बताते हैं। भारत में ऐसे कई महान अध्यापक है जिन्होंने अपने आपको आने वाले शिक्षकों के लिए प्रेरणास्रोत के रुप में स्थापित किया है।एक आदर्श शिक्षक को निष्पक्ष और अपमान से प्रभावित हुए बिना हर समय विनम्र रहना चाहिए। विद्यालय में सभी विद्यार्थियों के लिए शिक्षक अभिभावकों की तरह होते हैं। वे छात्रों के स्वास्थ्य और एकाग्रता के स्तर को बनाए रखने के लिए अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास करते हैं। वे अपने विद्यार्थियों के मानसिक स्तर में सुधार करने के लिए पढ़ाई से अलग अतिरिक्त पाठ्यक्रम गतिविधियों में भाग लेने के लिए भी प्रोत्साहित करते हैं।


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