लोक चौपाल में ज्योति पर्व और लोक जीवन पर चर्चा



घर लौटे राजा राम सखि मंगल गावो री...


लखनऊ। लोक संस्कृति शोध संस्थान की मासिक लोक चौपाल में इस बार ज्योति पर्व और लोक जीवन विषय पर पर चर्चा हुई। रविवार को आनलाइन आयोजित लोक चौपाल में चौधरी के रूप में संगीत विदुषी प्रोफेसर कमला श्रीवास्तव, लोक विदुषी डा. विद्या विन्दु सिंह सम्मिलित हुए। कलाकारों ने दीपोत्सव से जुड़े गीत-संगीत प्रस्तुत किये।

कार्यक्रम का शुभारम्भ प्रो. कमला श्रीवास्तव ने कहवां से जोत आइल कहवां समाइल हो कहवां भइल उजियार दीवाली हो गीत से किया। वरिष्ठ साहित्यकार डा. विद्याविन्दु सिंह ने कार्तिक माह के लोक पर्वों की श्रृंखला पर चर्चा करते हुए इसे लोक जीवन की संजीवनी बताया। साहित्यकार डा. सुरभि सिंह ने अवध क्षेत्र की दीपावली की चर्चा करते हुए इसकी विशिष्टतायें बताईं। कहा कि बाहर रहने वाले लोग भी त्योहार मनाने घरों की ओर लौट आते हैं इसलिए यह पर्व उत्साह और मिलन का प्रतीक है।

लोक गायिका कल्पना सक्सेना ने भवा है जगर मगर उजियार घर घर मा दीया जरे हैं सुनाया। गायिका चित्रा जायसवाल ने प्रभु राम की अयोध्या वापसी का प्रसंग और दीवाली के महात्म्य की चर्चा करते हुए चलो चलो री सखी दरसन कर लें रघुनन्दन रथ चढ़ि आवत हैं की मनोहर प्रस्तुति दी। प्रो. विनीता सिंह ने आया दीवाली पर्व दीपक चमक रहे, सरिता अग्रवाल ने राम आ रहे हैं श्रीराम आ रहे हैं सियालछिमन के साथ हनुमान आ रहे हैं तथा छन छन करती अन धन भरती मैया लक्ष्मी पधारो हमार अंगना सुनाया। रेखा अग्रवाल ने जगमग दीयना जराओ, सुषमा अग्रवाल ने ऐसे हैं मेरे राम, सुधा द्विवेदी ने कविता कुम्हार मिट्टी को चाक पर रखकर आकार देता, लोक गायिका अंजलि सिंह ने जगमग दीयना जराओ कि आई है अमावस की रतिया, इन्दू सारस्वत घर लौटे राजा राम आज सखि मंगल गावो री,मंजू श्रीवास्तव ने हम तो दीयना जरइबे हजार हो सुनाया। लोक संस्कृति शोध संस्थान की सचिव सुधा द्विवेदी ने चौपाल में सम्मिलित लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया।

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