श्रीदिगंबर जैन गोलालारीय समाज का क्षमावाणी कार्यक्रम हुआ सम्पन्न


कार्यक्रम का शुभारंभ वीर बंदना के साथ पुण्यार्जक नौहरकलां परिवार ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया
भजन सामान्य ज्ञान और नारी शक्ति के लिए मेहंदी प्रतियोगिता का हुआ आयोजन
ललितपुर। श्रीसकल दिगंबर जैन समाज की ही उपशाखा दिगंबर जैन गोलालारीय समाज द्वारा रविवार को स्थानीय गोलालारीय भवन आजादपुरा में सामूहिक क्षमावाणी कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस आयोजन में संरक्षक मंडल के साथ-साथ संस्था के अध्यक्ष और समस्त पदाधिकारी गण और समाज के सभी गणमान्य बंधुओं के साथ महिलाएं बच्चों के साथ उपस्थित रहे। इस दौरान कई धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन हुए एवं पुरस्कार वितरण किया गया। जैन धर्म के दशलक्षण महापर्व के बाद क्षमावाणी पर्व मनाया जाता है। जिसके अंतर्गत सकल दिगंबर जैन समाज क्षमावाणी पर्व आयोजित होने के बाद गत रविवार को आजादपुरा स्थित दिगंबर जैन गोलालारीय भवन में समाज द्वारा क्षमावाणी पर्व का आयोजन किया गया था। इस दौरान संस्था के संरक्षक मंडल के साथ गोलालारीय समाज के अध्यक्ष अनिल जैन नरियल, मंत्री राकेश जैन डब्लू और कोषाध्यक्ष कुलदीप जैन नौहरकलां के साथ संस्था के सभी पदाधिकारी एवं सदस्य और समाज के सभी गणमान्य लोग सपरिवार मौजूद रहे। क्षमावाणी कार्यक्रम का शुभारंभ वीर वंदना के साथ दीप प्रज्वलन के पुण्य अर्जक कीर्तिशेष सेठ चंपालाल नौहरकलां के सुपुत्र सेठ प्रसन्न कुमार जैन द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया। इस दौरान कमेटी की तरफ से बच्चों की प्रतियोगिता के रूप में भजन एवं सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता रखी गई थी। इसके साथ ही महिलाओं के लिए मेहंदी प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया था। सभी प्रतियोगियों के लिए गिफ्ट देकर उनकी हौसला अफजाई की गई एवं प्रतियोगिता में भाग लेने वाले सभी प्रति प्रतियोगियों को आचार्य 108 विद्यासागर महराजजी द्वारा रचित उनकी अनमोल कृति मूक माटी नामक महाकाव्य सप्रेम भेंट की गई। इस दौरान एक गोष्ठी का भी आयोजन हुआ जिसमें वक्ताओं ने इस बात पर अपने विचार प्रकट किए कि किस तरह जैन धर्म में अनमोल परम्परा क्षमा मागने की है जो बर्ष भर की गलतियों मन मुटाव आपसी मत भेद वाद विवाद को एक पल में उत्तम क्षमा कहते ही समाप्त हो जाते है और लोग एक दूसरे को गले लगाने के लिये मजबूर हो जाते है। जरूरत अपने अहंकार को छोड़कर उत्तम क्षमा कहने की है और ये केवल हिम्मत वाला वीर व धार्मिक मानसिक वाला वक्तित्व ही कर पाता है इसे वीरों का आभूषण कहा जाता है। इस पर भी विचार हुआ कि संस्था के साथ साथ समाज को किस तरह बुलंदियों पर ले जाया जाए और इसके लिए एक कार्य योजना का भी निर्धारण किया गया। इस दौरान कैलाश जैन, सुभाष जैन, महेश जैन, सुरेश बढेरा, प्रकाशचंद जखौरा, जिनेश जखौरा, अजय साइकिल, अरबिंद बरोदा, सुनील गुन्देरा, अंकित जैन बंटी एड., संजय सिलगन, संजय पवैया, सन्देश एड., देवेन्द्र बिरधा, मुकेश नौहर, मनीष, सुनील नौहर, मनीष बंडा, सौरभ देवरान, आलोक राख, आशीष, पत्रकार शैलेश जैन पिन्टू, गौरव, सुनील कैलवारा आदि ने अपना योगदान दिया।

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