नवरात्र के पांचवें दिन मंदिरों में रही भक्तों की भारी भीड़


दुुर्गा पूजन में स्वच्छता व शुद्धता का रखे विशेष ध्यान : महंत कृष्णगिरी महाराज


ललितपुर। नवरात्र के पांचवें दिन सोमवार को देवी भक्तों ने श्रद्धापूर्वक मां के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा अर्चना की। देवी मंदिरों में सुबह से लेकर देर रात तक दर्शनार्थियों की लंबी-लंबी कतारें लगी रहीं। गोविन्द सागर बांध की तलहटी स्थित श्री श्री 1008 सर्वेश्वर धाम मंदिर में दिन भर मेला लगा रहा। गोविन्द सागर बांध की तलहटी स्थित श्रीश्री 1008 सर्वेश्वर धाम मंदिर में विगत सात वर्षों से श्री सिद्धदात्री नवदुर्गा समिति के द्वारा माँ  दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर नौ दिन पंडाल में  पूरे दिन मां के जयकारे गूंजते है। नवरात्री के चलते शहर का पूरा वातावरण देवी भक्ति से ओतप्रोत रहा। जहां आस्था का प्रश्न हो वहां पर श्रद्धालु किसी भी तरह से कोई समझौता नहीं करते। अगर उन्हें मंदिरों में पूजा करने जाना है तो वह पूजा करने जाएंगे भले ही किसी भी तरह से कोई भी व्यवधान आए मगर वह व्यवधान को भी पार कर अपनी आस्था सिद्ध करने के लिए भगवान के दरवाजे पर पहुंची जाते हैं। श्रद्धालु खासकर महिलाओं बच्चियों में भारी उत्साह देखने को मिल रहा है। महिलाओं ने देवी गीत गए और मां को फल, मिष्ठान आदि का भोग लगाया। माँ के पंडाल में देर रात तक भजन कीर्तन का सिलसिला जारी रहा। श्री श्री 1008 सर्वेश्वर धाम मंदिर के महंत कृष्णगिरी महाराज ने बताया कि दुुर्गा पूजन में स्वच्छता व शुद्धता का विशेष ध्यान रखना होता है। नौ दिन तक घट स्थापना के साथ दिव्य ज्वाला प्रज्जवलित करें और देेवी मां को जल अर्पण के साथ मंत्रोच्चार के साथ दुर्गा पाठ व स्तुति करें। इसके बाद पूजन के साथ आरती करना शुभ होता है। पहले दिन घी का भोग लगाने के साथ ही दान पुण्य करना चाहिए। दूसरे नवरात्र में शक्कर का भोग लगाते हैं। तीसरे नवरात्र में दूध का भोग लगाएं, चौथे नवरात्र में माल पुए का भोग लगाएं और दान पुण्य करें। इससे दुखों से मुक्ति मिलती है। पांचवे व छठवें नवरात्र के दिन केले व शहद का भोग लगाने से सुख व धन में लाभ माना जाता है। सातवें नवरात्र में गुड़ की बनी मिष्ठान का भोग लगाना चाहिए। आठवें नवरात्र के दिन नारियल का भोग लगाने से सुख समृद्घि की प्राप्ति होती है। नौवे नवरात्र में अनाजों का भोग लगाते हैं, जिससे सुख शांति मिलती है। गिरीश बाबा ने बताया कि दुर्गा मां को लाल रंग बहुत पसंद माना जाता है। इसलिए देवी उपासना के साथ ही श्रद्घालु लाल रंग की चुनरी एवं अन्य वस्तुओं में भी लाल रंग का अधिक से अधिक प्रयोग करना बताया गया है। सुबह व शाम को आरती के साथ ही दुर्गा सप्तसती का पाठ करना चाहिए। ब्रह्मचर्य का पालन करें एवं व्रत रखने के दौरान जमीन पर सोना चाहिए। अष्टमी और नवमीं के दिन विधि विधान के साथ पूजन करने और जवारों के दर्शन के साथ ही व्रत तोड़ेें, तब पूर्ण व्रत सफल माना जाता है। इस दौरान महंत कृष्णगिरी महाराज, गिरीश बाबा, डॉ पुष्पेंद्र नायक, जगदीश गोस्वामी, डॉ कटारे, आकाश चौधरी, चिराग गोस्वामी, आदित्य , प्रदीप कुमार, प्रदीप, सुधीर अवस्थी, धर्मेंद्र सिंह, संजय गुप्ता, मौसम गुप्ता, गौरव शर्मा, पत्रकार अशोक सेन, अमित लखेरा, देवेंद्र साहू, पंकज रैकवार, अमित प्रजापति आदि शामिल है।

जगह-जगह सजे माता के दरबार

नवरात्रि शुरू होते ही मातारानी के दरबार जगह-जगह सज गए है। भक्तों ने टेंट लगाकर वाटर प्रूफ पंडाल बनाए हैं जिनमें माता रानी की मूर्ति को विराजमान किया है। वहां पर भी भक्तों का मेला लगा हुआ है। शहर में कई जगहों पर मां के भक्तों ने टेंट लगाकर वाटर प्रुफ पंडाल बनाए हैं। जिनमें माता रानी की मूर्ति खूब सज रहीं है। तथा पर बड़े-बड़े पंडाल लगाकर माता रानी की मूर्तियों को विराजमान किया गया है तो वही ग्रामीण क्षेत्रों में भी माता रानी का जलवा देखने को मिल रहा है।

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सबसे बड़ा वेद कौन-सा है ?

कर्नाटक में विगत दिनों हुयी जघन्य जैन आचार्य हत्या पर,देश के नेताओं से आव्हान,