ममता आपातकाल के दिनों की याद दिला रही हैं


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राजेश बादल

बंगाल विधानसभा में जीत के बाद ममता बनर्जी अलग अंदाज़ में हैं।वे अपने प्रदेश के पत्रकारों से कह रही हैं कि अगर उन्हें विज्ञापन चाहिए तो सरकार के पक्ष में लिखें। इतना ही नहीं, वे उनसे कहती हैं कि डी एम के दफ्तर में पॉजिटिव ख़बरों वाले अंक जमा करें। फिर उन्हें विज्ञापन मिलेंगे। याने यदि आप सरकार की आलोचना करते हैं तो सरकार से मदद की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए। बाक़ायदा प्रेस कॉन्फरेंस में ममता ने यह बात कही। उनका यह व्यवहार मुझे आपातकाल के दिनों की याद दिला रहा है। उन दिनों सरकार के पक्ष में ही लिखना होता था और ज़िला कलेक्टर कार्यालय में समाचारपत्र की प्रतियाँ जमा करनी होती थीं। उसके बाद ही सरकारी विज्ञापन मिला करते थे।ममता अपने प्रदेश में यही व्यवस्था लागू कर रही हैं। इसका अर्थ यह है कि आंचलिक स्तर पर जिला कलेक्टर ही पत्रकार को प्रमाणपत्र देगा। यह अनुचित है। उन्हें याद रखना चाहिए कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने भी आपातकाल के बाद अपनी भूल का अहसास किया था और माफ़ी माँगी थी।  इससे आगे पढ़िए मिस्टर मीडिया की यह ताज़ा कड़ी।

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