महिला अस्पताल में दलालों का बोलवाला


तीमारदारों से अधिक दलालों की भीड़ आती है नजर

रिफर होने वाले मरीजों को भेजा जा रहा निजी अस्पताल में

ललितपुर। उत्तर प्रदेश शासन भले ही गरीबों को सस्ता और बेहतर उपचार देने की कवायदें कर रहा है। लेकिन जमीनी स्तर पर हकीकत कुछ और नजर आ रही है। जिला महिला अस्पताल में इन दिनों दलालों की सक्रियता इतनी अधिक बढ़ गयी है कि मानों तीमारदार से अधिक दलालों की भीड़ नजर आती है। चौबीसों घण्टे दलालों के पहले में रहने वाले महिला अस्पताल से प्रसव को गंभीर बताकर रिफर कर दिया जाता है और रिफर मरीज को दलालों के समक्ष लाकर बुढ़वार रोड स्थित एक निजी अस्पताल में भेजा जा रहा है। दलालों को मिलने वाली मोटी रकम का एक बड़ा हिस्सा महिला अस्पताल के प्राईवेट/संविदा कर्मियों तक पहुंचने की भी चर्चायें आम है।

गौरतलब है कि महिला अस्पताल में ललितपुर के सुदूर ग्रामीण अंचलों व आसपास से लगे मध्य प्रदेश के जनपदों से प्रसूताओं का आना होता है। लेकिन प्रसूताओं के प्रसव में किसी न किसी प्रकार की गंभीरता बताते हुये उन्हें जिला महिला अस्पताल तत्काल रिफर कर दिया जाता है। यह वाक्या ओटी से शुरू होकर दलालों के समक्ष पहुंचता है। दलाल प्रसूता के साथ आये तीमारदारों को ललितपुर में ही सुरक्षित प्रसव कराने का झांसा देकर बुढ़वार रोड स्थित एक अस्पताल में भेज देते हैं, जहां से बनने वाले मोटी रकम के बिल में से ऐसे पले हुये दलालों व चिकित्सालय के प्राईवेट/संविदा कर्मियों को भी हिस्सा पहुंच रहा है। इतना ही नहीं महिला अस्पताल में जानकारी करें तो पायेंगे कि प्रसूता महिलाओं को जैसे ही रिफर किया जाता है कि वैसे ही दलालों के जरिए महिला अस्पताल के मुख्य गेट पर एम्ब्यूलेंस स्टार्ट अवस्था में खड़ी कर दी जाती है। इससे पहले कि तीमारदार प्रसूता को लेकर कुछ सोच सके, उससे पहले ही एम्ब्यूलेंस प्रसूता को लेकर बुढ़वार रोड स्थित नर्सिंग होम में पहुंच जाती हैं। जहां कम से कम दाम में बेहतर उपचार कराये जाने और सुरक्षित प्रसव का हवाला देकर प्रसूता को एडमिट कर लिया जाता है, लेकिन प्रसव उपरान्त तीमारदारों को भारी भरकम राशि का बिल थमा दिया जाता है, जिससे हलकान होकर मजबूरन तीमारदार उक्त बिल को भरकर प्रसूता को अस्पताल के अनैतिक बंधन से मुक्त कराते हैं। बीते माह की ग्यारह तारीख को एक प्रसूता को तीमारदारों द्वारा बिल की भारी रकम ना चुका पाने के चलते विवाद इतना अधिक बढ़ गया था कि मामला थाने तक जा पहुंचा था, लेकिन उक्त नर्सिंग होम के गहरे प्रभाव के चलते मामला रफा-दफा कर दिया गया था। 

चौबीसों घण्टों सक्रिय रहते है दलाल

मामले को लेकर जब पड़ताल की गयी तो नाम ना छापने या किसी अन्य को बताने की शर्त पर अस्पताल के एक कर्मचारी ने बताया कि यहां से रिफर किये जाने वाले मरीजों को ले जाने के लिए एक निजी नर्सिंग होम का मैनेजर व दलाल बने कर्मचारी और कर्मियों के रिश्तेदार चौबीसों घण्टे अस्पताल परिसर में रेकी करते है, जैसे ही अस्पताल के कुछ मिले हुये कर्मियों द्वारा सिंगनल मिलता है तो दलाल सक्रिय होकर उक्त प्रसूता को उक्त नर्सिंग होम में ले जाते हैं।

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