उम्र भर तिजारत हुई धन कमाने सखावत हुई इज्जत कमाने

 उम्र भर तिजारत हुई धन कमाने सखावत हुई इज्जत कमाने।

कम गर मीला कुछ तो बाकी बची उम्र लगी दिल को समझाने।

दुनियादारी का पुरा कर सब कुछ होड में लगते हम आखिररत कमाने। 

चलती है जिंदगी ऐसी ही सदयों से इन्सान नहीं बदला,बदलते है ज़माने।

आशफाक खोपेकर

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