सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया




लखनऊ,सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, लखनऊ एवं इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ़ एनवायर्नमेंटल बॉटनिस्ट्स (आईएसईबी), लखनऊ द्वारा आज दिनांक 6 जून 2022 को विश्व पर्यावरण दिवस समारोह आयोजित किया गया इस अवसर पर प्रो. रेनी एम. बोर्जेस, सेंटर फॉर इकोलॉजिकल साइंसेज, भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थी। 

इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि . रेनी एम. बोर्जेस ने अपने व्याख्यान में  कहा कि जलवायु परिवर्तन निरंतर विश्व के पर्यारण पर प्रभाव डाल रहा है। यह प्रभाव इतने व्यापक है कि एक स्थान पर होने वाले घटना का हजारों किमी दूर भी प्रभाव नजर आने लगे हैं। इतना ही नहीं पर्यावरणीय प्रभाव स्थानीय स्तरों पर पारिस्थितिक तंत्रों एवं उनकी सेवाओं को भी प्रभावित कर रहे हैं। कीटों से प्राप्त होने वाले लाभ इनमें से एक हैं। मानवीय गतिविधियां एवं जलवायु परिवर्तन कीटों की आबादियों एवं उनकी गतिविधियों को प्रभावित कर रहे हैं जिनमें उनके द्वारा किए जाने वाली परागण की गतिविधि भी सम्मिलित हैं। पौधों का परागण एक महत्वपूर्ण गतिविधि है जो न सिर्फ उसके जीवन चक्र को प्रभावित करती है अपितु सीधे सीधे फलों के निर्माण एवं गुणवत्ता पर असर डालती है ऐसे में उसके प्रभावित होने का असर पौधों की उपज विशेषकर भोजन हेतु उपयोग किए जाने वाले पौधों पर पड़ने से मानव जाती के लिए भोजन का संकट भी उत्पन्न कर सकती है। विभिन्न पौधों के परागण हेतु अलग अलग कीटों की आवश्यकता होती है लेकिन अक्सर इस जानकारी के अभाव में मधुमक्खी का प्रयोग किए जाने जैसी गतिविधियों से भी प्रकृतिक कीटों की आबादी कम होने लगी है ऐसे में आवश्यक है कि विभिन्न पौधों के लिए आवश्यक विशेष कीटों पर अनुसंधान कर जानकारी प्राप्त की जाय साथ् ही उनके संरक्षण हेतु कदम उठाय जाएँ इतना ही नहीं प्राकृतिक परागण कर्ता  कीटों एवं अन्य कीटों की आबादी में संतुलन भी बनाया जाना आवश्यक है।

इसके पहले कार्यक्रम की शुरुआत में, संस्थान के निदेशक  एवं इन्टरनेशनल सोसायटी ऑफ एनवायरननमेंटल बोटनिस्ट  के प्रेसिडेंट प्रो. एस के बारिक ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते पर्यावरण दिवस के महत्व पर चर्चा की और इस वर्ष की थीम 'ओनली वन अर्थ' पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह आवश्यक है कि हमने जो प्राप्त किया उसका उल्लास मनाएँ, जो उपलब्ध है उसे सहेजें एवं जो खो गया उसको पुनः प्राप्त करने की कोशिश करें। उन्होंने आगे कहा कि प्रकृति के साथ मिलकर स्वच्छ, हरित और जीवन को सक्षम बनाने के लिए हमें नीतियों और विकल्पों में परिवर्तन करना होगा। हमारे व्यक्तिगत उपभोग विकल्पों में सामूहिक परिवर्तन भविष्य में एक बेहतर पर्यावरण को बनाये रखने में कारगर होगा । प्रो बारिक ने संस्थान एवं इन्टरनेशनल सोसायटी ऑफ एनवायरननमेंटल बोटनिस्ट के द्वारा किये जा रहे अनुसंधान कार्यो की में जानकारी देते हुए बताया कि हम ऐसे पौधों की पहचान पर कार्य कर रहे  है जो अलग अलग प्रदूषकों के लिए सहनशील हैं ताकि इनको ऐसी जगहों पर लगाया जा सके जहां उन प्रदूषकों की अधिकता है। इस कार्य के लिए इन पौधों के लिए आवश्यक जलवायु का अभी अध्ययन आवश्यक है ताकि स्थान विशेष के लिए उपयुक्त पौधों की सही जानकारी प्राप्त की जा सके। 

इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ़ एनवायर्नमेंटल बॉटनिस्ट्स (आईएसईबी) के सचिव डॉ. आर डी त्रिपाठी ने मुख्य अतिथि का स्वागत करते हुए कहा कि एनबीआरआई एवं आईएसईबी विगत दो दशकों से पर्यावरण सुरक्षा एवं जलवायु परिवर्तन पर शोध कार्य कर रहा है | एनबीआरआई द्वारा जल एवं वायु प्रदूषण को कम करने वाले कई पौधे खोजे जा चुके है जिनका उपयोग वर्तमान में नदियों और वायु को शुद्ध करने में किया जा रहा है | संस्थान के साथ मिल कर आईएसईबी द्वारा जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण सुधार के लिए विभिन्न परियोजनाएं पर अनुसंधान एवं विकास कार्य किया जा रहा हैं।

कार्यक्रम के अंत में संस्थान के मुख्य वैज्ञानिक एवं सहसचिव, इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ़ एनवायर्नमेंटल बॉटनिस्ट्स डॉ. विवेक पाण्डेय द्वारा उपस्थित अतिथियों, गणमान्य अतिथियों, एवं अन्य जन समुदाय को धन्यवाद दिया गया।

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