छाता मेरा रक्षक
बाल कविता
रंग बिरंगा छाता मेरा,
मेरे मन बहुत भाता है।
पानी की रिमझिम बूंदों से,
मुझे तो ये बचाता है।
जब पानी के तेवर ज्यादा,
ये भी तेवर दिखाता है।
इस को पकड़ना पड़ता मुझको,
हवा चले तो उड़ उड़ जाता।
गर्मी की तपन में भी ये,
मेरा साथ ही देता।
मुझे बचाता रक्षा करता ,
मेरा ये प्यारा छाता।
पहले काला हुआ करता था,
पर यह अब रंगीन हुआ।
समय के साथ चलना,
इसको भी मंजूर हुआ।
जब बारिश हो या हो गर्मी,
मेरा छाता मेरे साथ मेरे हाथ।
श्रीमती संतोष तोषनीवाल