अमृतामयी देवी ‘‘अम्मा’’
कार्तिका नक्षत्र में 1953 की सुबह केरल में पश्चिमी समुद्र तट पर अलप्पाड़ ग्राम में एक मछुहारा परिवार में जन्मी बिटिया सुधामणी आज सम्पूर्ण विश्व को सुधा पान करा रही हैं। सुधा, अमृत का ही पर्यायवाची है अतः आज सारा विश्व उनको माता अमृतानंदमयी के नाम से जानता है। प्राणी मात्र को जीवन अमृत सर्वप्रथम अपनी माँ से मिलता है, जिससे हर अबोध शिशु, बालक किशोर बन, यौवन को प्राप्त करता है। अतः माता अमृतानंदमयी को सम्पूर्ण विश्व ‘अम्मा’ के नाम से भी जानता है। अम्मा हर आने वाले को अपने आलिंगन में लेती हैं, उसे दुलार व ममता देती हैं। इसलिये अम्मा को आलिंगन संत या भ्नहहपदह ैंपदज के नाम से जाना भी जाता है।
दर्शन देना, आलिंगन में लेना उतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना अपने पास आने वालों की वेदना कम करना, उनको संतोष, शांति व उन्हें सद्पथ पर ला सुख देना व उनके कल्याण के कार्य करना है। विगत 50 से अधिक वर्षों से अम्मा सम्पूर्ण विश्व में सेवा, करुणा, सहायता, शिक्षा, तकनीकी कौशल, आध्यात्मिक उन्नति, सकारात्मक चिंतन, नव अनुसंधान, नैतिक उत्थान, चरित्र निर्माण, स्वच्छ जीवन, शांति, करुणा, प्रेम का रसास्वादन व समाज उत्थान के अनगिनत कार्य कर रही हैं। इन स्वर्णिम पृष्ठों में 24 अगस्त 2022 को एक और मणिमय पृष्ठ जुड़ गया जिस दिन देश के यशस्वी, लोकप्रिय, सेवाभावी, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली के निकट फरीदाबाद में अमृता हास्पिटल का जन-जन को लोकर्पण किया। अम्मा की व आश्रम के पावनजनों की दिव्य उपस्थिति में लोकार्पित हुये अमृता हॉस्पिटल से एन.सी.आर. में सेवा, स्वास्थ्य रक्षा व दिव्य जीवन का नया अध्याय जुड़ेगा।
135 एकड़ के विशाल क्षेत्रफल में निर्मित अमृता हॉस्पिटल में 1 करोड़ वर्ग फुट एरिया में निर्माण कार्य हुआ है, जो एशिया में सबसे बड़ा है। अमृता हास्पिटल में लगभग 10 हजार लोग रोजगार प्राप्त करेंगे यानि कि 1 लाख लोगों के भरण पोषण का महान कार्य अम्मा की कृपा से संभव होगा। अमृता हॉस्पिटल में चिकित्सा के 81 विभाग हैं जो सम्पूर्ण मानवता को श्रेष्ठ व सस्ती चिकित्सा देंगे यहां बने मेडीकल कालेज व नर्सिंग कॉलेज से देश के श्रेष्ठ डाक्टर न नर्सें प्रशिक्षण पा निकलेंगे, जो अन्य स्थानों से शिक्षित विद्यार्थियों से काफी अलग होंगे। क्योंकि इन्हें प्रशिक्षण के समय दैनिक पढ़ाई में भी संस्कार, सेवा, करुणा व समर्पण का पाठ भी पढ़ाया जायेगा। अम्मा व अम्मा के विशाल आध्यात्मिक परिवार के सदस्य हर विद्यार्थी को प्रेरणा स्रोत के रूप में मिलते हैं, जो सन्यासी बनकर भी सेवा, करुणा व प्रेम को समर्पित रहते हैं। इस अस्पताल में 64 आधुनिक ऑपरेशन थियेटर हैं जिनमें विश्व की आधुनिकतम तकनीक से रोगी का ऑपरेशन होता है। इस अस्पताल में 2600 बैड हैं जो कम से कम लागत में रोगियों को स्वास्थ्य का वरदान देंगे। यदि आपकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है तो आपकी चिकित्सा मुफ्त या कम राशि में भी हो जायेगी। इस अस्पताल में एक विशिष्ट विभाग ‘‘माँ व बच्चे का है’’ अम्मा जानती हैं कि स्वास्थ माँ व स्वस्थ बालक, श्रेष्ठ परिवार, राष्ट्र के निर्माण व प्रगति में योगदान देंगे। इसीलिये यहाँ पीडियाट्रिक विभाग सर्व सुविधायुक्त व श्रेष्ठतम है। इस अस्पताल में 534 गहन चिकित्सा (प्ब्न्) के ठमक होंगे जिनकी 24 घंटे डिजिटल रूप से निगरानी रखी जायेगी। यहां का कैंसर चिकित्सा विभाग देश में सबसे बड़ा है जो जानलेवा बीमारी से लोगों को मुक्ति दिलायेगा। विगत 22 वर्षों से अम्मा के आशीर्वाद से संस्थापित व संचालित अमृता हॉस्पीटल व अमृत मेडीकल कॉलेज कोचीन, जिसमें 1600 बैड हैं व जिसने अब तक 25000 से अधिक श्रेष्ठ डाक्टर इस देश को दिये हैं, कार्यरत हैं। अमृत हॉस्पिटल कोचीन के एडवांस सेंटर फार रोबोटिक सर्जरी द्वारा विगत 6 वर्षों में 2200 से अधिक सफल सर्जरी की गयी है।
अम्मा के शिक्षा के प्रांगण देखना अपने आप में सुखद व अलौकिक अनुभूति देता है। प्रकृति के सुंदर प्रांगण में पहाड़ियों व हरितिमा के मध्य निर्मित ये संस्थान अमृतपुरी, बैंगलोर, चैन्नई, कोयम्बटूर, कोचीन, मैसूर व अब फरीदाबाद में स्थित हैं। इनमें 250 विभिन्न कोर्स विद्यार्थियों को पढ़ाये जाते हैं। अमृता यूनिवर्सिटी देश की श्रेष्ठ 5 विश्वविद्यालयों में एक हैं। छ।।ब् से इसको ।़़ की रेंकिंग प्राप्त है। एैलोपैथिक डाक्टर, आर्युवेदिक डाक्टर, डैंटिस्ट, इंजीनियर, सी.ए. कला संकाय, वाणिज्य संकाय, विधि प्रशिक्षण या कहें विश्व में शिक्षा के जितने भी भाग, उपभाग हैं सभी का प्रशिक्षण अम्मा के विश्व विद्यालय में दिया जाता है। देश भर के हर प्रांत के हर वर्ग के विद्यार्थी व विश्वभर के विभिन्न देशों के प्रशिक्षाणार्थी यहां अध्ययन रत हैं। इनमें एक गुण कॉमन है कि ये नैतिक व आध्यात्मिक रूप से भी अपने व्यक्तित्व का विकास कर रहे हैं। इनमें से सभी हर वर्ष कम से कम दो बार अम्मा के आलिंगन का सुख, उनका समीप्य व सहचर्य पाते हैं। अम्मा का आलिंगन पाना अम्मा के निकट बैठना या उनसे बात करना ही आपमें रूपांतरण लाता है। आपकी वेदना, चिंता, हताशा, भय, तनाव, क्रोध, काम शमित होने लगते हैं, आपके अंदर विश्वास के दीप प्रज्ज्वलित होने प्रारंभ होते हें व आपका व्यक्तित्व श्रेष्ठ गुणों से भरने लगता है। आशा, विश्वास, उत्साह, उर्जा, चेतना, आनंद की स्वर्णिम रश्मियाँ आपके अंदर प्रगट होने लगती हैं, जो आपको वांछित सफलता दिलाने में सहायक हैं। आज सारा विश्व सफलता की ओर बढ़ना चाहता है। यह कार्य अम्मा के सहचर्य में सहज संभव है, वह भी पूर्ण नैतिकता व सद्गुणों के विकास के साथ-साथ यानि की मणि कंचन संयोग।
अम्मा द्वारा विगत 50 वर्षों में इतने सेवा कार्य हुये हैं जो असंभव से प्रतीत होते हैं। उनकी एक झलक देखिए-
अम्मा ने अब तक लगभग 4 करोड़ लोगों को अपने गले लगाया है कितना अद्भुत लगता है सुनना, हममें से किसी ने भी 1000 से अधिक लोगों को सारा जीवन मिलाकर गले नहीं लगाया होगा। अम्मा 4 करोड़ लोगों को गले लगा, उनकी वेदना, पीड़ा कम कर चुकी हैं। अम्मा हर दर्शनार्थी को उसकी भाषा में आशीर्वाद देती हैं व सभी को प्रसाद भी देती हैं।
अम्मा के द्वारा संचालित सेवा कार्यों से प्रतिवर्ष 1 करोड़ लोगों को भोजन कराया जाता है। अम्मा ने अब तक 3 लाख लोगों को आवास दिये हैं। 47 लाख से अधिक लोगों को फ्री चिकित्सा प्रदान की गयी, शिक्षा के क्षेत्र में 55 हजार से अधिक छात्रवृत्तियां दी गयीं, 50 हजार से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में स्ववलंवी बनाया गया है, ये सभी अपना व अपनों का भरण पोषण कर जीवन में आनंद कर रही हैं। 2 लाख से अधिक महिलाओं को विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के अवसर मिले हैं। 1 लाख से अधिक बुजुर्गों को पेंशन अम्मा द्वारा दी जाती है। विश्व भर में आयी आपदाओं के समय 1000 करेड़ रुपये से अधिक की राशि राहत कार्यों हेतु अम्मा द्वारा प्रदन की गयी है। प्रकृति संवर्धन के क्षेत्र में 10 लाख से अधिक वृक्षों का रोपण व संवर्धन अम्मा की प्रेरणा से हुआ। गांवों में अम्मा की प्रेरणा से 13500 से अधिक ‘महिला स्वयं सहायता ग्रुप’ कार्य कर रहे हैं जो आत्मनिर्भर होकर सफलता, विश्वास व समृद्धि की नयी कहानी लिख रहे हैं।
अम्मा के सेवा कार्य भारत के अलावा अफ्रीका, मिडिल ईस्ट, एशिया,यूरोप, नार्थ अमेरिका, साउथ अमेरिका व आस्ट्रेलिया में या कहें सम्पूर्ण विश्व में चल रहे हर क्षेत्र में अम्मा सेवा कार्य कर रही हैं।
विश्व की हर विपदा के समय अम्मा के निर्देशन में सेवा कार्य हुये हैं। 2001 का गुजरात का भूकंप या 2004 को महाविनाशकारी सुनामी 2005 में अमेरिका में हरीकेन कटरीना तूफान, 2005, 2006, व 2008 में मुंबई, गुजरात, बिहार में बाढ़ के प्रलय में राहत कार्य, 2009 में पश्चिमी बंगाल में आयला तूफान, 2009 में कर्नाटक व आंध्र प्रदेश में बाढ़ को समय राहत कार्य, 2010 हैती में भूकम्प राहतकार्य, 2011 में जापान में भूकंप व सुनामी में राहत कार्य, 2012 में एल.पी.जी. टैंकर व फायरवर्कस फैक्ट्री में विस्फोट, 2013 में केरल में भूस्खलन व वोट एक्सीडेंट में सहायता, 2013 में उत्तराखंड में बाढ़ विभीषिका व फिलीपींस में सहातया 2014 में जम्मू कश्मीर में बाढ़ राहतकार्य, 2015 में नेपाल में भूस्खलन में सहायता, 2015 में ही चैन्ने में बाढ़ राहतकार्य, 2016 में पुट्टिंगल मंदिर में अग्निकांड में सहायता, 2017 में ओखी तूफान में राहत कार्य व प्यूरटो रीको में हरीकेन में राहतकार्य, 2018-2019 में कोलम बाढ़ विभीषिका में राहतकार्य, 2019 में पुलवामा आतंकवादी आक्रमण में राहतकार्य व विगत वर्षों के महाविनाशक करोना काल में सम्पूर्ण देश व विश्व में भोजन, खाद्य सामग्री, वस्त्र दान 2020 से 2022 तक। अम्मा द्वारा किये जा रहे राहत कार्यों की श्रृंखला के सतत प्रवाह से पूरे विश्व में अम्मा के दर्शनों की, उनको सुनने की प्रबल चाह है।
1993 से अब तक विश्वधर्म संसद शिकागो से लेकर न्यूयार्क, जेनेवा, वार्सिलोना, कोचीन, पेरिस, जयपुर, दिल्ली, संघाई, वेटिकनसिटी, अबुधाबी, लंदन व विश्व के महान आयोजनों को अम्मा ने अपनी अमृतमयी वाणी से संबोधित किया है। सबसे आनंद की बात यह है कि अम्मा अपनी मातृभाषा मलयालम में ही बोलती हैं व विश्व की हर भाषा में उसका अनुवाद उनके भक्तों द्वारा किया जाता है। पर अम्मा विश्व की हर भाषा समझती हैं व यदि कभी अनुवादक द्वारा कुछ अलग कहा जाता है तो अम्मा तुरंत सुधार करती हैं।
अम्मा को पूरे विश्व ने सम्मान देकर सिर आँखों पर बिठाया है। सम्मानों की भी बहुत लम्बी श्रृंखला है। विश्व के हर धर्म, जाति, वर्ग, संस्कार के व्यक्ति उनका सांनिध्य व उनका मार्गदर्शन चाहते हैं। भारत के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति से लेकर यू.एन.ओ. के प्रधान सभी ने अम्मा को सराहा है, अभिनंदन किया है व वंदन करते हैं।
बालिका सुधामणि से विश्ववंदनीय अम्मा बनने की अम्मा की जीवन यात्रा एक करुणामयी, प्रेरक पथप्रदर्शक गाथा है। अम्मा वैकंण्टकाच्छादित पथ पर पग-पग चलकर दृढ़ इच्छा शक्ति, साधना, त्याग, क्षमा, सेवा को अपनाकर यह पद पाया है। अम्मा को दुनियाँभर के लोग ईश्वर या उनका प्रतीक मानते हैं। अम्मा के व्यक्तित्व में सबसे अनुपम विशेषता यह है कि वे जड़ चेतन, गरीब, अमीर, क्रूर, दयावान, भला, बुरा सभी को प्रेम देती हैं व सभी को सद्पथ पर अपने साथ ले चलतीं हैं।
अम्मा की करुणा व सेवा की गंगा सदैव प्रवाहमान रहे व हम सब अम्मा के विश्ववंदनीय व्यक्तित्व से सेवा, ममता, करुणा का पथ अपना, विश्व कल्याण के पथ पर गतिमान रहें। अम्मा का प्रेरक उद्बोधन ‘लोकः सम्सत सुखिनो भवन्तु’ हेतु कार्य करें इसी भावना के साथ अम्मा के श्री चरणों में कोटिश नमन्। (बसंत कुंज, अम्मा के दिल्ली आश्रम में 16 अक्टूबर 2022 को अम्मा का 69 वां जन्मदिन मनाया जा रहा है)