भारत में संचार माध्यमों का सर्वप्रथम अविष्कार हुआ था-मनोजकांत,सह क्षेत्र प्रचार प्रमुख
उत्तर प्रदेश पर्यटन भवन लखनऊ के प्रेक्षागृह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूरब भाग के प्रचार विभाग द्वारा सोशल मीडिया मीट 2022 का कार्यक्रम आयोजित किया गया कार्यक्रम का शुभारंभ भारत माता आद्य पत्रकार देवर्षि नारद के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम के प्रथम सत्र सोशल मीडिया का सामाजिक दायित्व एवं चुनौतियां विषय पर राष्ट्रीय स्वंसेवक संघ के सह क्षेत्र प्रचार प्रमुख मनोजकांत ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत में संचार माध्यमों का सर्वप्रथम अविष्कार हुआ था. देवऋषि नारदजी को आद्य पत्रकार माना जाता है. उन्होने जो सूत्र निर्धारित किए वह आज भी प्रासंगिक हैं. इसके अंतर्गत सोशल मीडिया भी शामिल है। मुख्य वक्ता संघ के सह क्षेत्र प्रचार प्रमुख डॉ मनोजकांत ने कहा कि मीडिया या सोशल मीडिया को लेकर अनेक प्रश्न उभरते हैं. इसके कई प्रकार हैं. वर्तमान समय में इसका विस्तृत स्वरूप है. न्यूज चैनल से आगे बढ़कर अब सोशल मीडिया भी संचार माध्यमो में जुड़ गया हैं. इसे लेकर व्यापक स्वरूप दिखाई देता हैं.
इस पर विमर्श की आवश्यकता हैं। प्रो मनोज अग्रवाल ने कहा संचार तथ्य एवंसत्य पर आधारित होना चाहिए. हम मानुष हैं. इसलिए तथ्यों में मानव कल्याण का भाव भी होना चाहिए. भारतीय संस्कृति में आदर्श जीवन मूल्यों को बहुत महत्त्व दिया गया. तथ्यों में जीवन मूल्यों की झलक भी होनी चाहिए.माँ और मदर शब्द भावना के आधर पर अलग है. अनुवाद की द्रष्टि से यह सही है. लेकिन इन शब्दों में अलग अलग संस्कृति का बोध है. माँ शब्द में भारतीय जीवन मूल्यों का बोध है. इसी प्रकार वरिष्ठ पत्रकार एवं सोशल मीडिया इनफ्लुअंसर शिल्पी सेन ने ग्राम स्वराज और नेशन और राष्ट्र में अन्तर है बताया. भारत के राष्ट्र में शास्वत संस्कृति का समावेश है.
वरिष्ठ पत्रकार एवं विश्लेषक हषर्वर्धन त्रिपाठी ने कहा कि न्युज और व्यूज पर विमर्श आवश्यक है. उन्होने उदाहरण एक न्युज का उदाहरण दिया. न्युज यह थी कि एक बालक को हांथ में रक्षा सूत्र कलावा बांधने के कारण फुटबाल खेलने से रोक दिया गया. बालक ने कलावा हटाने से मना कर दिया. यह न्युज है. इसका व्यूज यह कि एक तरफ संकुचित मत के लोग है. वह अपने विचार दूसरों पर थोपना चाहते है. दूसरी तरफ प्रलोभन को ठुकरा कर अपनी अस्था पर विश्वास पर रखने वाले लोग भी हैं. संविधान में अधिकारों के साथ कर्तव्यों का भी उल्लेख है. हम सभी लोगों को अधिकारों के साथ कर्तव्य के प्रति भी सजग रहना चाहिए.
इससे श्रेष्ठ समाज का निर्माण होता हैं. मीडिया को इसमें भूमिका निभानी चाहिए. मीडिया और समाज, मीडिया और राष्ट्र आदि की अवधारणा पर विचार करना चाहिए. फिल्म मनोरंजन का माध्यम है. लेकिन इसका भी विकृत रूप दिखाई दे रहा है.भारतीय संस्कृति के प्रतीकों अमर्यादित रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है. सबरी माला मन्दिर पर निर्णय हुआ. लेकिन इसमें पीड़ित का कोई पता नहीं है. जिन्होंने यह मुद्दा उठाया उन्हें यहां की पूजा से कोई मतलब ही नहीं था.
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे क्षेत्र प्रचार प्रमुख नरेंद्र सिंह ने कहा कि मीडिया की भूमिका शिक्षण, भारतीय जीवन मूल्यों, राष्ट्रीय चिंतन से प्रेरित होनी चाहिए. इससे समाज राष्ट्र और मानवता का कल्याण होगा. साँस्कृतिक शब्दावली होती है. उसका ज्ञान होना चाहिए. कार्यक्रम में राष्ट्रीय कवि कमलेश मृदु, प्रांत प्रचार प्रमुख डॉ अशोक दुबे , विभाग कार्यवाह अमितेश, ब्रजेश, भाग संघ चालक प्रभात, सोशल मीडिया यूजर्स मिडिया के छात्र व शिक्षक उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन भाग प्रचार प्रमुख बालभाष्कर एवं डॉ सौरभ मालवीय जी ने किया. धन्यवाद ज्ञापन भाग कार्यवाह ज्योति प्रकाश ने किया। कार्यक्रम का समापन वंदे मातरम् गीत से हुआ।