शलभासन

पाचन तंत्र को प्रभावित करने वाला प्रमुख आसान है शलभासन। दुनिया के सबसे बड़े खब्बुओं में से एक है टिड्डी। कीट प्रजाति का यह प्राणी सचमुच में एक भोजन प्रतियोगी है। अपने सामने आए हर भोजन को मोहनभोग समझकर चट कर जाता है। श्रम समूह और शाक(भोजन) इनका जीवनोद्देश्य है। जिसे सफलतापूर्वक निभाता हुआ शलभ अपनी जीवन यात्रा को पूरा करता है। पूरी तरह अपरिग्रह का पालन करता हुआ, अपने हिस्से की पाकर खाकर पचाकर पूरी तरह संतुष्ट तनाव रहित उन्मुक्त। पेट और पीठ की मांसपेशियां लंबी दौड़ ऊंची उड़ान में सक्षम, जननांग प्रजनन को वरिष्ठ एवं आतुर। भोग और बिलास को योग से जोड़कर दृश्यमान हुआ शलभासन संपूर्ण रुप से एक गृहस्थ आसन है। जो तनाव रहित अवसाद मुक्त गृहस्थ एवं सामूहिक जीवन को सहज संपादित करता है। मुख्यतः नितंब से लेकर पीठ तक और जांघों एवं जननांगों से लेकर पेट तक की मांसपेशियां इस आसन के प्रभाव क्षेत्र में आती हैं।इस आसन का केंद्र आमाशय है। इसलिए इस आसन की सिद्धि आमाशय संबंधी अनेकानेक गड़बड़ियों को दूर करने में कारगर सिद्ध होगी। क्योंकि शलभ अपने भोजन यात्रा के साथ-साथ प्रजनन कर्म को भी बखूबी निभाते हुए चलते हैं इसलिए यह आसन प्रजनन संबंधी दोषों के उपचार में भी महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। यह आसन स्त्री पुरुष दोनों के लिए बराबर बराबर लाभकारी है तभी तो यह प्रमुख गृहस्थ आसन है। पुरुषों के इंग्विनल हार्निया एवं स्त्रियों के प्रोलेप्स आफ युटेरस को नियंत्रित करने में भी यह आसन लाभदायक है। अवसाद और तनाव से मुक्त होने के लिए भी यह आसन अत्यंत उपयोगी है। यह आसन पेट के बल लेट कर छाती और ठुड्डी को बिछावन पर सटाए हुए, हाथों को शरीर के दोनों पार्शवों में पीछे की तरफ फर्श पर रख कर नितंब और पैरों को ऊपर की तरफ उठाया जाता है। मध्यम गति से स्वांस प्रश्वास लेते हुए 2 मिनट तक इस मुद्रा में बने रहना इस आसन को पूर्णता प्रदान करेगा। ध्यान रहे इस आसन को करते समय शलभ की शक्तियों का आवाहन और प्रभावित अंगों पर ध्यान केंद्रित रहना चाहिए। नक्स वॉमिका, लाइकोपोडियम, इग्नेशिया, सीपिया, सल्फर, कार्बो वेज इत्यादि होम्योपैथिक औषधियां इस आसन के साथ अत्यंत प्रभावशाली सिद्ध होंगी। ('समग्र यौगिक सिद्धांत एवं होमियोपैथिक दृष्टिकोण') डॉ एम डी सिंह

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