आत्मनिर्भर भारत के प्रणेता -भारतरत्न श्रद्धेय अटल जी - मृत्युंजय दीक्षित
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेयी एक कुशल राजनीतिज्ञ, सहृदय व्यक्तित्व के धनी, भावपूर्ण कवि और प्रख्यात पत्रकार थे जिनके मन में सदैव देश ही सर्वोपरि रहता था। आज भारत जिस तेज गति से मिसाइलों के परीक्षणों के द्वारा अपनी सुरक्षा को अभेद्य बना रहा है और भारत के शत्रु इसकी बढ़ती सैन्य शक्ति व आत्मनिर्भर हो रही रक्षा प्रणाली से भयभीत हो रहे हैं वह अटल जी की ही सरकार का प्रारंभ किया हुआ कार्य है जिसे मोदी जी पूरा कर रहे हैं ।
अटल जी के प्रधानमंत्रित्व काल में जिन परियोजनाओं पर काम किया गया वही अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के शासनकाल में धरातल पर उतर रही हैं। इनमे से अधिकांश बीच में आई सरकार ने ठन्डे बस्ते में डाल दी थीं।अटल जी का एक सपना अयोध्या में भव्य राम मंदिर के रूप में पूरा हो रहा है,दूसरी ओर जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद -370 और 35- ए का समापन हो चुका है ।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के शासनकाल में आगे बढ़ते कार्यों में सर्वत्र अटल जी की ही छाप है।
अटलजी का जन्म 25 दिसम्बर 1926 को शिंदे की छावनी (मध्य प्रदेश )में प्राइमरी स्कूल अध्यापक स्वर्गीय पंडित कृष्ण बिहारी बाजपेयी के घर पर हुआ।उनकी माता का नाम श्रीमती कृष्णा देवी था जो कि धर्मपरायण महिला थीं। अटल जी का पूरा परिवार संघ के प्रति निष्ठावान था। वह आठ वर्ष की आयु में ही संघ के संपर्क में आ गये और विद्यार्थी जीवन में ही संघ से प्रेरित होकर मन में ठान लिया था कि वे देश के लिये जियेंगे और देश लिये ही मरेंगे। अटल जी की शिक्षा दीक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज और कानपुर के डी ए वी कालेज में सम्पन्न हुई। स्नातक और उसके उपरांत राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर की परीक्षाएं अटल जी ने प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की ।इसके बाद अपने पिता के साथ ही एल एल बी किया । छात्र जीवन में छात्र राजनीति में सक्रिय रहकर वे विक्टोरिया कॉलेज छात्र संघ के महामंत्री ,ग्वालियर छात्र संघ के अध्यक्ष एवं आर्य कुमार सभा के महामंत्री बने।
अटल जी को मां सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त था जिससे वे छात्र जीवन में ही वाद विवाद और काव्य पाठ आदि में भाग लेकर लोकप्रिय हो गए थे ।वह लम्बे समय तक राष्ट्रधर्म ,पांचजन्य और वीर अर्जुन तथा स्वदेश जैसे समाचार पत्र पत्रिकाओं के संपादक रहे।उन्होंने 1946 में ही अपना जीवन संघ को समर्पित कर दिया था उन्होंने काफी समय तक पूर्णकालिक प्रचारक के रूप में कार्य किया।अटल जी कहा करते थे कि भारत का प्रत्येक कण स्वर्ग से भी अधिक पवित्र है तथा महान तीर्थ है। उनका कहना था कि हमारे एकमात्र देवी देवता हमारे देशवासी हैं। उनकी पूजा अर्चना ही सच्ची मानवता है।हमारे राष्ट्रीय जीवन का मूल स्रोत हमारा धर्म है।निष्काम कर्मयोगी अटल जी भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में से एक थे।
अटल जी का राजनैतिक जीवन संघर्ष पूर्ण रहा। श्रीमती इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल को उखाड़ फेकने में अटल जी ने महती भूमिका निभाई। अटल जी व संघ ने आपातकाल के विरुद्ध अनथक संघर्ष किया जिसके परिणामस्वरूप ही मोरारजी देसाई के नेतृत्व में जनता पार्टी की सरकार बनी जिसमें अटल जी विदेश मंत्री बने ।वह देश के ऐसे पहले विदेश मंत्री थे जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिंदी में भाषण दिया।
अटल जी तीन बार देश के प्रधानमंत्री बने।पहले 13 दिन, फिर 13 माह व फिर पूरे सत्र के लिए । अटल जी की सरकार में कई ऐतिहासिक कदम उठाये गये थे जिनकी गूंज आज भी सुनायी दे रही है।अटल जी सरकार ने वैश्विक दबाव को नजरअंदाज करते हुए परमाणु परीक्षण किये जिसके करण कई देशों ने भारत पर प्रतिबंध भी लगाये लेकिन वह किसी दबाव में नहीं झुके।अटल जी ने पाकिस्तान के साथ मैत्री को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लाहौर से बस यात्रा भी की लेकिन इसके बदले में भारत को पाकिस्तान के विश्वासघात का सामना करना पड़ा लेकिन कारगिल की पहाड़ियों पर भारतीय सेना ने अपना पराक्रम दिखाया और अटल सरकार की नेतृत्व क्षमता उजागर हुयी। तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने पर अटल जी सरकार में कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर काम शुरू हुए। सौ वर्ष पुराना कावेरी विवाद सुलझाया गया। स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना प्रारंभ हुई।
अटल जी को अपने राजनीतिक जीवन में कई पुरस्कार प्राप्त हुए जिसमें 1992 में पद्म विभूषण,1994 में लोकमान्य तिलक पुरस्कार, 1994 में श्रेष्ठ सांसद पुरस्कार एवं भारतरत्न प्रमुख हैं । उन्हें कानपुर विश्वविद्यालय ने 1993 में डी लिट की मानद उपाधि भी प्रदान की। 2015 में बांग्लादेश की ओर से फ्रेंडस ऑफ बांग्लादेश लिबरेशन अवार्ड से सम्मानित किया गया।अटल जी एक ऐसे राजनेता थे जिनका सम्मान विरोधी का विचारधारा के लोग भी करते थे।
अटल जी ने अपने संसदीय क्षेत्र लखनऊ को अंतरराष्ट्रीय पटल पर स्थापित किया। अटल जी लखनऊ से पांच बार सांसद रहे जिसमें तीन बार प्रधानमंत्री बने। अटल जी लखनऊ में 1991, 1996, 1998 1999 और 2004 में सांसद बने। 1991 में उन्होंने कांग्रेस के रंजीत सिंह को हराया,19996 में उन्होंने सपा के राज बब्बर को, 1998 में सपा के मुजफ्फर अली को 1999 में कांग्रेस के डा कर्ण सिंह को और 2004 में सपा की मधु गुप्ता को दो लाख मतों के भारी अंतर से पराजित करने का रिकार्ड बना दिया। लखनऊ में अटल जी को पराजित करने के लिये विपक्ष ने हर चुनाव में नये तरीके आजमाए लेकिन हर बार उन्हें पराजय ही मिली।
अटल जी ने लखनऊ को एक माडल के रूप में विकसित किया।वह नये औेर पुराने शहर की बराबर चिंता किया करते थे।अटल जी को लखनऊ की तेजी से बढ़ रही आबादी का अनुमान था।इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने गोमती नगर रेलवे स्टेशन को चारबाग जैसी सुविधाओं के साथ बनाने का प्रस्ताव तैयार कराया। फैजाबाद रोड से अमौसी तक अमर शहीद पथ के निर्माण की कल्पना उन्हीं की देन है। लखनऊ- कानुपर हाईवे का चौड़ीकरण लखनऊ - हरदोई का चौड़ीकरण, दीन दयाल स्मृतिका, निशातगंज फ्लाईओवर ,कल्याण मंडप भी अटल जी की ही देन है। अटल जी ने ही साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर बनवाया तथा टिकैतराय तालाब और कुड़ियाघाट का जीर्णोद्धार कराया। अटल जी की ही पहल पर पुराने लखनऊ की संकरी गलियों में गहरे गड्ढों वाली पतली सीवर लाइन की बुनियाद पड़ी।बाद में पूरे शहर के सीवरेज सिस्टम की योजना बनी। लखनऊ मेट्रो की कल्पना भी उन्हीं के कार्यकाल में आयी थी। राजधानी लखनऊ अटल जी की राजनीतिक कर्मभूमि थी। अटल जी ने 25 अप्रैल 2007 को कपूरथला चौराहे पर भाजपा उम्मीदवारों के समर्थन में अंतिम बार एक चुनावी सभा को संबोधित किया था ।
अटल जी के जीवन में “सादा जीवन उच्च विचार” के मंत्र का वास्तविक स्वरूप दिखता है।