पाकिस्तान हुआ बदहाल घर में नहीं दाने, भारत को चला हड़काने
मृत्युंजय दीक्षित
दुनियाभर के आतंकवादियों की शरणस्थली बना पाकिस्तान, भारत की कूटनीति के आगे पूरी तरह से पस्त हो चुका है लेकिन बड़बोलेपन से बाज नहीं आ रहा।आज पाकिस्तान की हालत यह हो गई है कि रेलों का संचालन बंद होने के कगार पर है, बिजली संकट इतना गहरा गया है कि बाजारों और मैरिज हालों को जल्द बंद कराने के निर्देश जारी किये गये हैं। पाकिस्तान सरकार ने बिजली की खपत को कम करने और सरकारी खजाने पर वित्तीय भार को कम करने के लिए कई योजनाओं की घोषणा की है लेकिन ये उपाय ऐसे हैं कि जिन्हें सुनकर हर कोई हंस रहा है। इस बीच पाकिस्तान के रक्षामंत्री ख्वाजा आसिफ ने जनसंख्या नियंत्रण को लेकर अलग ही तर्क दिया है जो खूब वायरल हो रहा है।इन तर्कों से यह पता चल रहा है कि मदरसों में आतंकियों को पढ़ाने वाले व पालने वाले पाकिस्तानियों के विचार किस हद तक नीचे जा चुके हैं जिन पर केवल अपना माथा पकड़ा जा सकता है।पाकिस्तानके मंत्रियो की हालत इतनी दयनीय हो गई है आज जब भी कोइ मंत्री विदेशी दौरे पर जाता है तो उसे प्रायः चोर-चोर तक कहा जा रहा है।
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ का कहना है कि पाकिस्तान में जहां बाजार 8 बजे बंद किये जा रहे हैं वहां पर बच्चों की तादाद कम है। वहां बच्चे कम पैदा होते हैं। ख्वाजा का यह तर्क सुनकर वहां लोग अपना माथा पकड़ रहे हैं और कह रहे हैं कि भला यह कौन सा तर्क हुआ। पाक के रक्षा मंत्री का कहना है कि अगर इस उपाय को लागू किया गया तो फिर देश 62 अरब रुपए बचा लेना ही एक जुलाई से ऐसी फैक्ट्रियां जहां पर इलेक्ट्रिक फैन बनाए जाते हैं उन्हें भी बंद कर दिया जाएगा।ख्वाजा का कहना है कि अकुशल पंखे लगभग 120-130 वॉट बिजली का उपयोग करते हैं दुनियाभर में ऐसे पंखे उपलब्ध हैं जो 60 -80 वाट का उपयोग करते हैं ऐसे में सरकार ऐसे ही पंखे पर ही फोकस करेगी।
पाकिस्तान में आटा 64 रूपए किलो पार हो चुका है और जनता की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि वह किसी भी हालत में शाहबाज शरीफ की सरकार से मुक्ति पाना चाह रही है।पाकिस्तान में अन्य खाद्य सामग्रियों के दामों में भी वृद्धि होने से परेशानी बढ़ गई है।सरकार ने सब्सिडी के दुरुपयोग को कम करने के लिए तत्काल प्रभाव से यूटिलिटी स्टोर्स कारपोरेशन के माध्यम से बिक्री किए जाने वाले आटे, चीनी और घी की कीमतों में 25 से 62 प्रतिशत की वृद्धि की है जिसके कारण जनता त्राहिमाम कर रही है। नई दरों के तहत चीनी की कीमत 70 रुपए से बढ़कर 80 रूपये प्रति किलोग्राम हो गई है। वनस्पति घी की कीमत बढ़कर 375 रूपये प्रति किलोग्राम हो गई है।
कुल मिलाकर वहां की वित्तीय स्थिति गहरे संकट में है, सरकार और सेना के अधिकारी भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे हैं जिनकी ऐशो आराम के किस्से चर्चा में हैं।पूर्व सेना प्रमुख बाजवा के सेक्स स्कैंडल व उनकी अरबों की संपत्ति की पाकिस्तानी मीडिया में खूब चर्चा हो रही है। शाहबाज सरकार और सेना की मिलीभगत से होने वाले घोटालों और स्कैंडलों के नित नए खुलासे हो रहे हैं।आर्थिक बदहाली और भुखमरी के कगार पर बैठा पाकिस्तान हर मंच पर कश्मीर का राग अलाप कर भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर व अधिकारियों की कड़ी फटकार सुन रहा है लेकिन फिर भी सुधर नहीं रहा है।
पाकिस्तान ने सोचा था कि जब तालिबान अफगानिस्तान पर नियंत्रण कर लेगा तब वह भारत की ओर रुख करेगा लेकिन अब परिस्थितियां तेजी से बदल रही हैं और तालिबान का रुख पाकिस्तान की ओर मुड़ गया है।
विगत दिनों अफगानिस्तान पर शासन कर रहे आतंकी संगठन तालिबान ने भारत पाक के 1971 के युद्ध की फोटो साझा करते हुए पाकिस्तान को धमकी दी है कि अगर हम पर हमला हुआ तो ऐसा ही अंजाम होगा।स्वाभाविक है कि ये पाकिस्तान को शर्मिंदगी के कड़वे घूंट पिलाने के लिए काफी था।तालिबानी नेता व अफगानिस्तान के उपप्रधानमंत्री अहमद यासिर ने टिवटर पर 1971 में भारतीय सेना के सामने पाकिस्तान के आत्मसमर्पण की ऐतिहासिक तस्वीर साझा करते हुए लिखा है कि पाक ने उन पर हमला किया तो उसे ऐसी ही शर्मनाक स्थिति का सामना करना पड़ेगा। अफगान तालिबान ने पाकिस्तान को किसी भी गलती का अंजाम भुगतने की सीधी चेतावनी दी है।स्मरणीय है कि 1971 में हुए भारत- पाक युद्ध में भारत को अभूतपूर्व विजय मिली थी और पाक सेना के 93 हजार सैनिकों ने हथियार समेत आत्मसमर्पण किया था जिसके बाद बांग्लादेश का जन्म हुआ था।
पाकिस्तान अपने इन हालातों के लिए खुद दोषी है, वह आज भी लगातार भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्त है तथा दुनियाभर के आतंकी वहां शरण ले रहे हैं।अपने जन्म के समय से ही पाकिस्तान को भारत ब्रिटेन सहित पश्चिमी देशों, खाड़ी देशों तथा आईएमएफ और चीन से समय समय पर आर्थिक सहायता मिलती रही है। कर्ज एवं अनुदान के रूप में मिली भारी भरकम राशि को यह देश आतंकवाद को पलने पोसने में खर्च करता रहा है । आश्चर्यजनक बाद ये है कि आतंकवाद के पोषक इस देश को आतंकवाद से लड़ने के नाम पर सबसे ज्यादा रकम मिली और वह भी अमेरिका जैसे देश से।
यदि पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय संस्थाओें एवं विदेशों से मिली इस भारी भरकम राशि का इस्तेमाल सही तरीके से किया होता तो शायद आज उसको यह दिन नहीं देखने पड़ते।अमेरिका में 11 सितंबर 2001 को हुए आतंकवादी हमले के बाद पाक के ऊपर डॉलर की बारिश होती रही।वर्ष 2002 से 2011 के बीच अमेरिकी कांग्रेस ने सैन्य एवं आर्थिक मद के नाम पर 18 अरब डॉलर की मंजूरी दी थी।पाकिस्तान के लोगों का कहना है कि अमेरिका की यह मदद आम लोगों तक नहीं पहुंची।यह सारी रकम पाकिस्तान का भ्रष्ट तंत्र लूट ले गया। इस समय पाकिस्तान पर अपने खर्च कम करने और विदेशी मुद्रा बढ़ाने का दबाव बना हुआ है।
पाकिस्तान की बदहाली के लिए वहां के सभी नेता जिम्मेदार हैं। 1947 में पाकिस्तान बनने के बाद वहां के नेता केवल और केवल भारत के प्रति ईर्ष्या रखते रहे और भारत के खिलाफ आतंकवाद को पनपाते रहे। पाकिस्तान ने कभी भी अपने पैरों पर खड़े होने एवं एक स्वतंत्र देश के रूप में विकसित होने की कोशिश नहीं की। उनकी सारी ऊर्जा भारत को नुकसान पहुंचाने में लगी रही।विदेशों से मिलने वाली आर्थिक सहायता, अनुदान एवं कर्ज ने उन्हें परजीवी बना दिया और परिणाम सामने हैं।पाकिस्तानी युवा बेरोजगार है । पाकिस्तानी पासपोर्ट की इज्जत भी खराब हो चुकी है।अभी रूस- यूक्रेन युद्ध के समय जब भारत सरकार अपने छात्रों को बाहर निकाल कर ला रही थी उस समय पाकिस्तानी छात्र और उनके परिवार उसी भारत की ओर ताक रहे थे जिसे वे दिन दूना रात चौगुना कोसते हैं।
आस्ट्रिया की राजधानी विएना में पत्रकार वार्ता में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद का केंद्र भारत के करीब में स्थित है इसलिए भारत का अनुभव दूसरों के लिए उपयोगी हो सकता है।उन्होंने आस्ट्रियाई नेताओं के साथ अंतरराष्ट्रीय शांति को आतंकवाद से उत्पन्न खतरे पर विस्तार से बात की है जिसमें सीमा पार से आतंकवाद, हिंसक चरमपंथ और कट्टरवाद शामिल है।उन्होंने कहा कि सीमा पार से आतंकवाद के प्रभावों को एक क्षेत्र में सीमित नहीं किया जा सकता खासकर तब जबकि ये मादक पदार्थों व गैरकानूनी हथियारों के व्यापार एवं अन्य तरह के अंतरराष्ट्रीय अपराधों से गहरे तक जुड़े हैं।
केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सशक्त सरकार बनने के बाद भारत सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए जो रणनीति बनाई है उसके परिणामस्वरुप आज पाकिस्तान को दुनियाभर से आर्थिक सहायता मिलना बंद हो चुकी है लेकिन पाकिस्तान के नेता आज भी कश्मीर –कश्मीर का ही राग अलाप रहे हैं और भारत के खिलाफ पूरी दुनिया में झूठ का एजेंडा चला रहे हैं जिसे भारत बखूबी बेनकाब भी कर रहा है।