"हिंद की शान हिंदी"

"हिंद की शान हिंदी"
लेखक : विजयसिंह (बलिया उत्तरप्रदेश )
भारत का अभिमान है हिंदी,
हिंद की शान है हिंदी।
देवनागरी लिपि कहते हैं,
सांस्कृतिक पहचान है हिंदी।।
वर्णमाला के 52 वर्णो का,
ये समावेश, विहंगम है।
11 स्वर, 41 व्यंजन का,
ये अद्भुत सा संगम है।।
सबसे पुरातन संस्कृत भाषा,
जिसने हिंदी को जन्म दिया।
पाली, प्राकृतिक, अपभ्रंश, अवहट्ट,
ने देवनागरी का रूप लिया।।
अवधी, छत्तीसगढ़ी, बघेली,
ब्रज, हरियाणवी, कन्नौजी, बुंदेली ।
मेवाती, मेवाड़ी और जयपुरी,
मगही, मैथिली और
भोजपुरी।।
उपभाषाओं के मंथन होने से,
हिंदी का आविर्भाव हुआ।
जैसे हिमालय के गोमुख से,
गंगा का प्रादुर्भाव हुआ।।
जैसे युवती के सोलह श्रृंगार में,
आकर्षक श्रृंगार है बिंदी।
भाषाई उद्बोधन में भी,
अभूतपूर्व अवतार है हिंदी।।
राजभाषा हिंदी के गौरव को,
विश्व व्यापी पहचान दिलाएं।
हम सब मिल कर दीप जलाएं,
प्रकाश विश्व में फैलाएं।।
हिंदी पुनः सुसज्जित हो,
आर्यावर्त सुशोभित हो।
विजय! चेतना भाषा की,
सर्वविदित प्रतिष्ठित हो।।

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