अखिल भारतीय साहित्यकार सम्मेलन सम्पन्न

लखनऊ। आर्य लेखक परिषद व डी ए वी डिग्री कॉलेज लखनऊ के तत्वावधान में दो दिवसीय अखिल भारतीय साहित्यकार सम्मेलन किया गया। जिसमे आधा दर्जन से अधिक प्रदेशों से आए हुए कवियों ने अपनी रचना पढ़ी तथा 30 वरिष्ठ कवियों को आर्यावर्त साहित्य साधना सम्मान देकर सम्मानित किया गया। लगभग 3 दर्जन कवियों, पत्रकारों, साहित्यकारों, समाज सेवियों को भी प्रज्ञा सम्मान देकर सम्मानित किया गया। डी ए वी डिग्री कॉलेज के शताब्दी वर्ष एवं महर्षि दयानंद जन्म द्विशताब्दी वर्ष पर चले दो दिवसीय कार्यक्रम सात सत्रों में सम्पन्न हुआ। प्रत्येक सत्र में अलग-अलग विद्वान, अध्यक्ष एवं मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि, संचालक, अति विशिष्ट, वक्ता रहे एवं विषय प्रवर्तक अखिलेश आर्येदुं, प्रो.सत्यकाम आर्य रहे। कार्यक्रम का उद्घाटन पद्मश्री विद्या बिंदु सिंह (पूर्व उपनिदेशक) हिंदी संस्थान उत्तर प्रदेश रहीं। जिसमें अनंगपाल सिंह अनंग की पुस्तकें "वेदों की बात", "अनंग दर्शन" तथा दुर्गा प्रसाद वर्मा 'दुर्गेश' की पुस्तक "माटी का चूल्हा" का विमोचन हुआ। विद्वानों द्वारा देवनागरी लिपि की वैज्ञानिकता और उसका राष्ट्रीय एकता में योगदान, वर्तमान हिंदी तथा इसकी उपभाषाओं के लेखन की दशा एवं दिशा, वैदिक संस्कारों की उपादेयता एवं प्रासंगिकता, हिंदी साहित्यकारों व पत्रकारों का समाज के प्रति दायित्व विषयों पर लगभग दो दर्जन विद्वानों ने गहन प्रकाश डाला । जिसमें प्रमुख रुप से अचार्य डॉ. रूपचंद्र दीपक (वैदिक गवेशक एवं प्रभारी आर्य लेखक परिषद उत्तर प्रदेश) तथा प्रो. सत्य काम आर्य (वैदिक विद्वान एवं विश्लेषक) अरुण कुमार पासवान दिल्ली, डॉ.परमानंद तिवारी शहडोल, रविंद्र भूषण तमिलनाडु, वेद प्रकाश, आ.संतोष वेदालंकार, स्वामी वेदामृतानंद सरस्वती, अनंगपाल सिंह भदौरिया 'अनंग' ग्वालियर, डॉ.संतलाल, नंदलालमणि त्रिपाठी पीतांबर गोरखपुर, श्रवण कुमार पांडेय पथिक फतेहपुर, अवध किशोर त्रिपाठी सौमित्रौ कानपुर, रामपाल त्रिपाठी चित्रकूट, डॉ. रमेश कटारिया पारस, डॉ. रामलाल द्विवेदी प्राणेश चित्रकूट, देवीप्रसाद गुप्ता हमीरपुर आदि प्रमुख रहे।
कवि सम्मेलन की अध्यक्षता अरविंद श्रीवास्तव असीम दतिया मध्य प्रदेश तथा मुख्य अतिथि जम्मू कश्मीर से पधारी अनिला सिंह चाड़क तथा विशिष्ट अतिथि डॉ. किंकर पाल सिंह ग्वालियर एवं विशिष्ट अतिथि मनमोहन तिवारी तथा संचालक डॉ रसिक किशोर सिंह नीरज रहे। सम्मेलन में सभी कवियों ने अपनी प्रतिनिधि रचनाएं प्रस्तुत करते हुए राष्ट्रीय एकता एवं महर्षि दयानंद सार्वभौम वैदिक दर्शन पर आधारित रचनाएं छंद, गीत, मुक्तक, कविता, गजल आदि प्रस्तुत कर कार्यक्रम को ऊंचाई प्रदान की। कार्यक्रम का प्रारंभ डॉ. रसिक किशोर सिंह नीरज के गीत "कोई गीत सुनाओ कवि तुम। अंतर प्रेम जगाओ कवि तुम। सोई हुई मनुजता क्यों है? खोई हुई अनुजता क्यों है? मानव मन में कटुता क्यों है? सबका ज्ञान कराओ कवि तुम, कोई गीत सुनाओ कवि तुम। नीरज निज अनुराग लुटा कर, सबके मन बस जाओ कवि तुम।।" सुनाकर कवि सम्मेलन में समां बांधकर श्रृंग तक पहुंचाया जो देर रात्रि तक चला। कर्नल अनिल अहूजा की वंदना भजन से कार्यक्रम को आगे बढ़ाया। सभागार में उपस्थित जन समुदाय की सभी कवियों की रचनाओं ने खूब वाहवाही लूटी। काव्य पाठ करने वाले कवियों में प्रमुख रूप से विजय चित्तौरी, डॉ. संतोष कुमार विश्वकर्मा, दुर्गा शंकर वर्मा 'दुर्गेश', शशांक अग्निहोत्री, सूर्य प्रसाद शर्मा निशिहर, अरुण कुमार पासवान, अनंगपाल सिंह अनंग, राम लखन शर्मा, डॉ. किंकर पाल सिंह जादौन, सुरेंद्र पाल सिंह कुशवाह, डॉ. संजय तिवारी, राम प्रताप शुक्ला, रूपचंद्र दीपक, रघुनाथ पांडेय, अवध किशोर त्रिपाठी 'सौमित्र', श्रवण कुमार पांडेय 'पथिक', रामलाल द्विवेदी, प्राणेश, राम पाल त्रिपाठी, महाराणा प्रताप सिंह राही, सुभाष ऋतुज, सत्यपाल सिंह 'सजग', आकाश प्रभाकर, रामरतन यादव 'रतन', बाला प्रसाद यादव बालकवि, विनोद कुमार हंसौड़ा बिहार, डॉ. रसिक किशोर सिंह नीरज, परमहंस मौर्य, अनिला सिंह चाड़क, डॉ. रमेश कटारिया, डॉ. परमानंद तिवारी, देवीदीन अविनाशी, चंद्रप्रकाश ब्यथित, दीनदयाल सोनी, विष्णु कुमार शर्मा, रामकरण साहू, डॉ अशोक कुमार विश्वकर्मा आदि।कार्यक्रम में लखनऊ के गणमान्य व्यक्ति व वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार भारी संख्या में उपस्थित रहे। अंत में डीएवी डिग्री कॉलेज के प्रबंधक पं. मनमोहन तिवारी जी ने सभी सम्मानित कवियों व अतिथियों का स्वागत एवं आभार व्यक्त किया।

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