प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से श्री ज्ञानेंद्र शर्मा को सम्मानित किया

शतरंग टाइम्स पत्रिका के ज्ञानेंद्र शर्मा एकाग्र विशेषांक का लोकार्पण राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी सहित वरिष्ठ पत्रकारों ने किया
बुंदेलखंड सांस्कृतिक एवं सामाजिक सहयोग परिषद, लखनऊ की ओर से एम के तिवारी,कैलाश जैन, बी के लिटोरिया,देवकीनंदन शांत, डा अजय सिंह कुशवाहा ने अभिनंदन किया
लखनऊ, प्रेस क्लब लखनऊ में उत्तर प्रदेश की हिंदी पत्रकारिता के पुरोधा श्री ज्ञानेंद्र शर्मा का जन्म उत्सव तथा सम्मान समारोह का आयोजन जर्नलिस्ट्स गिल्ट की ओर से वरिष्ठ पत्रकार सुरेश बहादुर सिंह के संयोजन में संपन्न हुआ। समारोह में कार्यक्रम के मुख्य आकर्षण श्री ज्ञानेंद्र शर्मा थे। इस अवसर पर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से श्री ज्ञानेंद्र शर्मा को सम्मानित करते हुए कहा कि जब मैं विश्वविद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर रहा था उस दौर से शर्मा जी की लेखनी से प्रभावित और प्रेरित होता रहा हूं। आज मुझे सौभाग्य मिला है श्री ज्ञानेश शर्मा जी का सम्मान कर स्वयं को सम्मानित महसूस कर रहा हूं ।समारोह के क्रम में वरिष्ठ पत्रकार श्री सुरेंद्र अग्निहोत्री के अतिथि संपादन में प्रकाशित शतरंग टाइम्स पत्रिका के ज्ञानेंद्र शर्मा एकाग्र विशेषांक का लोकार्पण राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी सहित वरिष्ठ पत्रकारों ने किया।कार्यक्रम के अगले चरण मे ज्ञानेंद्र जी का जन्मदिन केक काटकर बड़े धूमधाम से मनाया गया। अमरेंद्र प्रताप सिंह के निर्देशन में बनी डाकूमैंटरी का प्रदर्शन भी किया गया।
समारोह में राज्यसभा सांसद श्री प्रमोद तिवारी ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा आयु कुछ नहीं, एक नम्बर है। 1980 में हाईकोर्ट में प्रैक्टिस कर रहा था। लखनऊ में आया तो ज्ञानेन्द्र शर्मा जी पहले पत्रकार थे जिनले हमारी मुलाकात आपातकाल के दौरान हुई थी।जो आज तक जारी है और जीवन पर्यन्त जारी रहेगी।जब मैं मंत्री बना तो सूचना मंत्रालय विभाग संभाला. हमको कोई अनुभव नहीं था.लेकिन उस समय ज्ञानेन्द्र शर्मा ने पूरा सहयोग किया। मैं इनका पूर्ण रूपेण भरोसा करता था।सरकार के सामने बड़ी चुनौती थी। प्रिण्ड मीडिया का वर्चस्व था। सरकार का पक्ष सूचनामंत्री को करना पड़ता था। हमारे लिये ज्ञानेन्द्र शर्मा की राय बहुत काम आती थी। इनका का सुझाव था शाम को अखबारों के आफिस चले जाया करिये संपादक के साथ रिपोर्टर से भी मुलाकात होगी कभी कभी इन लोगों को चाय वगैरह की व्यवस्था कर दिया करिये।मैं इनके सुझाव पर कानपुर, वाराणसी, आगरा, लखनऊ के अखबारों के रिपोर्टरों से मिलता रहा। उसका हमें लाभ मिला।
वरिष्ठ पत्रकार श्री शरद प्रधान ने नवभारत टाइम्स की पत्रकारीय यात्रा पर संस्मरण के साथ ज्ञानेन्द्र शर्मा से मुलाकात पर बहुत शुक्रिया - बड़ी मेहरबानी हमारी जिन्दगी में ज्ञानेन्द्र दी आप आये रचनाएं सुनाई। वरिष्ठ पत्रकार श्री गोविन्द पन्त राजू ने बताया कि जब वे नभाटा में रहे।1984-85 का समय जिसमें ज्ञानेन्द्र सीनियर रिपोर्टर थे। सभी साथियों को शाम को इकट्ठा करके वर्तमान विधायकों पूर्व विधायकों तथा प्रत्याशियों का का पूरा रिकार्ड इनके पास रजिस्टर में लिखा होता था। सभी को बताते थे। खबर लिखना भी सिखाते थे। वरिष्ठ पत्रकार श्री प्रद्युम्न तिवारी ने कहा कि ज्ञानेन्द्र जी कलम के धनी हैं। गहरी पड़ताल के बाद खबर लिखते थे। तकनीकी शब्दों का भरपूर ज्ञान है। आज के लोगों को इनसे सीखना चाहिये। पत्रकारी सरोकार सबसे पहले रिपोर्टर के लिये तथ्य और कथ्य की जानकारी जरूरी है। आज श्रेष्ठ पत्रकार का सम्मान किया गया। वरिष्ठ पत्रकार श्री हेमंत तिवारी ने कहा कि वर्तमान में गूगल से सब मिल जाता है। उस समय के गूगल ज्ञानेन्द्र शर्मा जी थे। गूगल फंस जाता है लेकिन शर्मा जी कभी नहीं फंसे।लखनऊ के किस अखबार में कौन सी खबर टाप पर है तथा कौन सी खबर छूी है तथा नभाटा में कौन सी खबर किस रिपोर्टर की लीड कर रही है पूरा विवरण लिखे होते थे। वरिष्ठ पत्रकार श्री सुरेन्द्र दुबे ने कहा कि मेरे आफिस के ऊपर इनका आफिस था। इनसे मिलने की हमारी इच्छा थी लेकिन मैं इन्हें पहचानता नहीं था ।एक दिन हिम्मत करके इनके आफिस गया दरवाजा खोलकर देखा. वापस आ गया। राजेन्द्र द्विवेदी जी को बताया कि वहां टाइपिस्ट बैठा है उन्होंने कहा वही हैं ज्ञानेन्द्र शर्मा।ये प्रूफ रीडिंग भी करते थे, कहते थे इससे तुकान्त याद हो जाते हैं।। मतलब की बात सुनते थे। रिपोर्टर से कहते थे कि नेता या मंत्री के पास जाओ तो कम से कम 10 दिन की खबर पढ़ कर जाओ। उस समय दलाल पत्रकार कम थे। वरिष्ठ पत्रकार श्री रवीन्द्र सिंह ने बताया कि नभाटा के प्रधान संपादक राजेन्द्र माथुर जी ने छांट-छांट कर टीम का चयन किया था।समाचार को ज्ञानेन्द्र जी धारदार बना देते थे। मृदुभाषी हैं। कभी नाराज नहीं होते हैं। लिखने में दूसरे साथियों से भी कहते कि लिखना सच। आज के कार्यक्रम के हीरो तथा हिन्दी पत्रकारिता के प्रज्ञ पुरूष ज्ञानेन्द्र शर्मा ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि1965 में 120 रु. प्रति मास पर भर्ती हुआ था। पत्रकारिता का मोड़ भोपाल 1967 में समाचार भारती में ब्यूरो प्रमुख/ मैनेजर का दायित्व निभाया। लखनऊ आने पर पिरेस क्लब में करीब 20 दिन रहा। स्व.रामकुमार का जिक्र किया । जो इनकी सेवा में खाना भी बना देते थे।नभाटा में 1983 में संवाददाता के रूप में भरती हुआ। नियुक्ति उत्साहवर्धक रही। लिखने पढ़ने की आजादी रही। यह भी सीखा कि पत्रकारों को राजनेताओं/मंत्रियों से कैसे सम्बन्ध बना के रखना चाहिये। 1990 में 6-00 फोन बजा। आवाज आई तुम लोगों ने कैसे लिखा-चन्द्रशेखर प्रधानमंत्री बन गया। मैंने कहा एक दिन आप भी प्रधानमंत्री बनेंगे। वह थे मुलायम सिंह यादव जी
। वीरबहादुर का जिक्र किया। 1985 में इलाहाबाद के उप चुनाव का अंतिम दिन था। मैं नभाटा जा रहा था। वीरबहादुर जी मिल गये हमने उनले पूछा कि इलाहाबाद ले कौन उपचुनाव लड़ रहा है।वह हमको इलाहाबाद ले गये बिना किली तैयारी के। वहां चर्चा अमिताभ बच्चन की चल रही थी.लेकिन सुनील शास्त्री की उम्मीदवारी की घोषणा की गई।लोग उत्तेजित हो गये। पंडाल जला दिया गया । वापस आने पर मैंने उनसे कहा कि आपका समय खराब चल रहा है। आपकी कुर्सी जायेगी। सुनीलशास्त्री को मिलेगी कुर्सी । बीरबहादुर ने माना। कल्याण सिंह कम मिलते थे। लेकिन मेरे समाचारों की कटिंग रखते थे लोगों को दिखाते थे। मैंने कल्याणसिंह से कहा था कि मुलायम सिंह तो आपको शत्रु मानते हैं उनसे कैसे सम्बन्ध कायम करेंगे। कल्याणसिंह ने कहा हम कुछ नहीं कहेंगे आप अपने आप जो चाहें लिखें। उन्होने कहा था अपने सूत्रों पर भरोसा करिये उनका नाम भी कभी-कभी छाप दिया करिये । सत्तापक्ष, विपक्ष, न्याय, मीडिया जो कमजोर हो उसका साथ दीजिये। प्रेस जितनी कमी विपक्ष में ढूंढ़ता है ठीक नहीं है।प्रेस की स्वतन्त्रता हिन्दुस्तान में नहीं है जो आम लोगों का अभिव्यक्ति का अधिकार है उसी में प्रेस है लेकिन अब समय आ गया है कि अलग से कानून बने। सूत्रों को सुरक्षा मिले। प्रेस के लिये अलग समिति बने जिसकी सिफारिश सरकार माने।पत्रकार स्वयं आयोग बनायें।इलेक्ट्रानिक मीडिया व्यापारियों के हाथों में है। उसमें वह ताकत नहीं है जो प्रिन्टमीडिया में है।समारोह में कालपी विधायक विनोद चतुर्वेदी, हसीब सिद्दीकी, सुनीता ऐरन, सुमन गुप्ता, ज्ञानेन्द्र शुक्ला, अजय कुमार, विजय उपाध्याय, आदि ने ज्ञानेंद्र शर्मा के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। समारोह में प्रमोद गोस्वामी,वीरेन्द्र सक्सैना, राघवेंद्र सिंह, अजीत खरे,मनमोहन, साधूशरण पाठक,अखिलेश सिंहं मयंक, नासिर खान,राजू मिश्र राजेन्द्र सिंह,डा.सानंद सिंह सहित अनेक पत्रकार मौजूद थे। बुंदेलखंड सांस्कृतिक एवं सामाजिक सहयोग परिषद, लखनऊ की ओर से एम के तिवारी,कैलाश जैन, बी के लिटोरिया,देवकीनंदन शांत, डा अजय सिंह कुशवाहा ने अभिनंदन किया। संचालन प्रेमकान्त तिवारी ने किया ।अंत में सुरेन्द्र अग्निहोत्री ने आभार व्यक्त किया।

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