विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की प्रदेश के सर्वागींण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका है-योगेन्द्र उपाध्याय

एच.पी. सिंह
लखनऊ,दिनांक 10.10.2023, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, उ0प्र0 द्वारा प्रथम राज्य स्तरीय विज्ञान मॉडल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। परिषद द्वारा इस कार्यक्रम का आयोजन अब प्रतिवर्ष किया जायेगा। प्रदेश के सभी जनपदों से आये विद्यार्थियों द्वारा आर्टिफिशयल इंटेलीजेंश, रोबोटिक्स, मशीन लर्निंग, आई0ओ0टी0, एक्वाफोनिक्स, सेंसर तकनीक जैसे नवीनतम विषयों पर आधारित मॉडल्स का प्रदर्शन किया। प्रदेश के किसान, शिल्पकार, मजदूर, नवप्रवर्तकों द्वारा जन समस्याओं के समाधान पर आधारित नवाचार (वर्किंग मॉडल) का भी प्रदर्शन हुआ। परिषद द्वारा अटल विहारी बाजपेयी, सांइटिफिक कन्वेन्शन सेन्टर, लखनऊ में प्रथम बार राज्य स्तरीय विज्ञान मॉडल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में श्री योगेन्द्र उपाध्याय, मंत्री, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, उच्च शिक्षा तथा आई. टी. एवं इलेक्ट्रॉनिक्स, उ. प्र. सरकार द्वारा पुरस्कार वितरण किया गया एवं प्रतिभागियों को प्रोत्साहित किया गया।कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री नरेन्द्र भूषण, आई.ए.एस., प्रमुख सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, उ. प्र. शासन एवं महानिदेशक, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, उ0प्र0 द्वारा की गयी। राज्य स्तरीय प्रतियोगिता से पूर्व प्रदेश के समस्त 75 जनपदों में इसका आयोजन किया गया तथा जनपद स्तर के विजेताओं द्वारा मण्डल स्तरीय प्रतियोगिता में प्रतिभागिता की गयी। प्रदेश के सभी 18 मण्डलों राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर यह प्रतियोगिता आयोजित की गयी।
विद्यार्थियों के अतिरिक्त परिषद द्वारा ग्रास रूट नवप्रर्वतकों के चिन्हींकरण एवं उनके प्रोत्साहन के उद्देश्य से परिषद द्वारा प्रदेश के विभिन्न जनपदों में नवप्रवर्तन जनजागरूकता कार्यक्रम एवं नवप्रवर्तन प्रदर्शनी का आयोजन कराया गया। परिषद द्वारा ग्रास रूट लेवल के नवप्रवर्तकों का चिन्हीकरण, मार्गदर्शन तथा तकनीकी सहायता प्रदान किये जाने का कार्य किया जाता है। नवप्रवर्तक प्रायः ऐसे वर्ग से आते हैं जिनका शैक्षिक स्तर बहुत अच्छा नहीं होता है। अधिकांशतः नवप्रवर्तक अभावों और विपरीत परिस्थितियों से निपटने के लिए अथवा अपने काम को किसी सरल तरीके से करने के लिए कोई नवीनतम आविष्कार को जन्म देते हैं और यह अन्वेषण नवप्रवर्तन कहलाता है। असंगठित क्षेत्र के अधिकतर नवप्रवर्तक किसान, मैकेनिक, मजदूर या शिल्पकार होते है। परिषद द्वारा नवप्रवर्तकों का मार्गदर्शन एवं तकनीकी सहायता के साथ-साथ यह भी प्रयास किया जाता है कि कुछ नवप्रवर्तकों के मॉडल/प्रोटोटाइप व्यवसायिक दृष्टिकोण से विकसित हो सकें। नवप्रवर्तकों के 33 मॉडलों का प्रदर्शन राज्य स्तरीय प्रदर्शनी में किया गया।इंजीनियरिंग कॉलेज/मेडिकल कॉलेज इत्यादि के प्रोफेसर्स द्वारा निर्णयाक मण्डल के रूप में मॉडल्स का मूल्याकंन किया गया। विज्ञान मॉडल प्रतियोगिता में विद्यार्थियों एवं नवप्रवर्तक विजेताओं में कक्षा-9 व 11 के विद्यार्थियों द्वारा प्रदर्शित मॉडल्स के विजेताओं का विवरण संलग्न है तथा विद्यार्थियों को पुरस्कार के रूप में प्रथम पुरस्कार रू.25,000.00, द्वितीय पुरस्कार रू.20,000.00, तृतीय पुरस्कार रू.15,000.00 एवं 05 सांत्वना पुरस्कार रू.5,000.00 की धनराशि एवं स्मृतिचिन्ह व प्रमाण-पत्र से सम्मानित किया गया।
इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों द्वारा प्रदर्शित मॉडल्स के विजेता का विवरण संलग्न है तथा विजेता को पुरस्कार के रूप में रू.25,000.00 की धनराशि एवं स्मृतिचिन्ह व प्रमाण-पत्र से सम्मानित किया गया। नवप्रवर्तकों द्वारा प्रदर्शित मॉडल्स के विजेताओं का विवरण संलग्न है तथा विजेताओं को प्रथम पुरस्कार रू.10,000.00, द्वितीय पुरस्कार रू.8,000.00, तृतीय पुरस्कार रू.5,000.00 एवं 03 सांत्वना पुरस्कार रू.3,000.00 की धनराशि एवं स्मृतिचिन्ह व प्रमाणपत्र से सम्मानित किया गया।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री योगेन्द्र उपाध्याय, मंत्री, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, उच्च शिक्षा तथा आई. टी. एवं इलेक्ट्रॉनिक्स, उ. प्र. सरकार द्वारा स्वयं सभी मॉडल्स का अवलोकन किया गया। मा0 मंत्री जी द्वारा सभी प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए कहा गया कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की प्रदेश के सर्वागींण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका है। विभाग के द्वारा मेडिकल, कृषि, इंजीनियरिंग, बायोटेक्नोलॉजी, आई0टी0 इत्यादि सभी क्षेत्रों में विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से शोध के कार्यक्रम कराये जाते हैं जो किसी न किसी प्रकार से सीधे जन समस्याओं के समाधान एवं प्रदेश के विकास से जुड़े होते हैं। विद्यार्थियों द्वारा नवीनतम तकनीकों पर आधारित एवं जन समस्याओं के समाधान पर आधारित बनाये गये मॉडल उनके विज्ञान के प्रति रूचि को दर्शाते हैं। नवप्रवर्तकों द्वारा लगाये गये मॉडल को देखकर यह प्रतीत होता है कि प्रदेश के कम पढ़े लिखे/कृषक/मजदूर/शिल्पकार इत्यादि भी न केवल अपनी अपितु प्रदेश के अन्य आमजन की दिन प्रतिदिन की समस्याओं के समाधान के प्रति अत्यन्त जागरूक हैं। मा0 प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के 5 ट्रिलियन डॉलर की भारतीय इकोनॉमी तथा मा0 मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यथान जी के प्रदेश 1 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी के लक्ष्य को प्राप्त करने में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। मुझे आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि यही विद्यार्थी एक दिन स्टार्ट अप के रूप में अथवा सूक्ष्म व लघु उद्योगों की स्थापना कर प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगें। माननीय मंत्री जी द्वारा अवगत कराया गया कि प्रदेश में नवाचार को बढ़ावा देने के लिये स्टार्टअप्स को तकनीकी एवं आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। प्रोटोटाइप डेवलपमेन्ट के लिये रू.5.00 लाख की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। इक्यूबेशन सेन्टर्स में स्टार्टअप्स को इन्क्यूबेट कराते हुये उन्हें आर्थिक सहायता दी जाती है। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय प्रदशर्नियों में प्रतिभागिता हेतु नवप्रवर्तकों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। अन्त में उनके द्वारा सभी प्रतिभागियों एवं विजेताओं को हृदय से बधाई देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की गयी।कार्यक्रम अध्यक्ष श्री नरेन्द्र भूषण, आई.ए.एस., प्रमुख सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, उ. प्र. शासन एवं महानिदेशक, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, उ0प्र0 द्वारा अपने उद्बोधन में विद्यार्थियों को प्रेरित किया गया कि देश एवं प्रदेश के चौमुखी विकास हेतु बालपन से ही विद्यार्थियों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण उत्पन्न करने की आवश्यकता है। देश एवं समस्त विश्व में अपकमिंग वैज्ञानिक/तकनीकी क्षेत्रों यथा-आर्टीफीसियल इण्टेलीजेन्स, मशीन लर्निंग, ब्लॉक चेन, आई.ओ.टी., ड्रोन, थ्री डी प्रिंण्टिग, क्वाण्टम कम्प्यूटिंग, 5जी, 6जी टेक्नालॉजीज एवं स्पेस साइंस में रोजगार एवं स्वरोजगार के नवीन अवसर सृजित हो रहे हैं, इन क्षेत्रों में विकास की अपार सम्भावनायें हैं। भारत आज अन्य देशों में निर्मित टेक्नोलॉजी को एडाप्ट करने के स्थान पर स्वयं की टेक्नोलॉजीस डेवलेप कर रहा है। उदाहरण के रूप में डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर तथा स्पेस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भारत आज वैश्विक स्तर पर नये लीडर के रूप में उभर रहा है। उन्होंने विद्यार्थियों को यह भी बताया कि विभाग द्वारा स्पेस साइंस को प्रदेश के अधिकतम विद्यार्थियों तक पहुॅचाने के उद्देश्य से इसरो के साथ समन्वय स्थापित कर एक वृहत कार्यक्रम लखनऊ में आयोजित किया जायेगा तथा इसके उपरान्त इसे प्रदेश के अन्य जनपदों में भी कराया जायेगा।
कार्यक्रम का आयोजन श्री शिव प्रसाद, आई.ए.एस. विशेष सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, उ. प्र. शासन एवं सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, उ0प्र0 के पर्यवेक्षण में कराया गया। कार्यक्रम में परिषद के निदेशक, श्री अनिल यादव, निदेशक, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, उ0प्र0 एवं संयुक्त निदेशकगण डा0 हुमा मुस्तफा, डा0 डी0के0 श्रीवास्तव, श्रीमती पूजा यादव, डा0 राजेश कुमार गंगवार, श्री राधेलाल तथा वैज्ञानिकगण श्री सुमित कुमार श्रीवास्तव तथा डा0 एस0 रहमान द्वारा सक्रिय भागीदारी एवं सभी कर्मचारियों द्वारा यथा आवश्यक सहयोग प्रदान किया गया। कार्यक्रम में मॉडल्स के प्रतिभागियों के अतिरिक्त समस्त जनपदांे के जिला समन्वयकों, क्षेत्रीय वैज्ञानिक अधिकारियों एवं लखनऊ के विभिन्न विद्यालयों के लगभग 500 विद्यार्थियों/शिक्षकों द्वारा प्रतिभाग किया गया। अन्त में डॉ0 डी0के0 श्रीवास्तव, संयुक्त निदेशक, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, उ0प्र0 द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया।

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