इटावा फाइल्स लेखक: बृजलाल



हाल ही में आई पुस्तक 'इटावा फाइल्स' अपराध और राजनीतिक गठजोड़ के संबंध में महत्वपूर्ण बात करती हुई नजर आती है। यह खास इसलिए है कि इसके लेखक आई. पी. एस. अधिकारी रहे हैं और उन्होंने पुलिस सेवा में सैंतीस साल बिताए हैं। इस किताब में दी गई जानकारी किसी फिक्शन का हिस्सा नहीं है। यह उस व्यक्ति द्वारा दी गई जानकारी है, जो उस व्यवस्था के महत्वपूर्ण अंग रहे हैं। इस पुस्तक में लेखक ने 18 दिसंबर, 1989 को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के रूप इटावा में अपनी नियुक्ति के बाद से वहां अपने चौरासी दिन के कार्यकाल का ब्योरा दिया है। इन चौरासी दिनों में इंटर स्टेट गैंग के कुख्यात इनामी डकैत भूरा यादव के मारे जाने के बाद पैदा हुई परेशानी और ऐसी कई घटनाओं के साक्षी रहे हैं ये दिन मुख्यमंत्री से पहली मुलाकात से लेकर राम आसरे चौबे उर्फ फक्कड़ गैंग पर कार्रवाई करना । नैनीताल में ट्रेनिंग तथा 20वीं वाहिनी पी. ए. सी., आजमगढ़ में स्थानांतरण, सी. आई. डी. जांच के आधार पर विभागीय कार्रवाई जैसे अध्याय हैं। इन्हें पढ़कर पुलिस तंत्र के बारे में सीधी जानकारी मिलती है। इस लिहाज से देखा जाए तो यह पुस्तक 'आई ओपनर' का काम करती है।


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