धरती की आवाज सुनो



धरती की आवाज सुनो

कहे धरा मत छीनो मुझसे

मेरा हार सिंगार सुनो

धरती की आवाज सुनो,

काट – काट कर मेरे तन को

मन को घायल कर डाला

अब तो रहम करो आंचल पर

मेरी करुण पुकार सुनो

धरती की आवाज सुनो,

मेरा मस्तक मेरे बाजू

मेरी कटि जंघा मेरी

अंग – अंग मेरा तेरे हित

हित साधन को कुचल डाला

धरती की आवाज सुनो,

अति उपभोग करोगे तो तुम

क्या सौपोगे नस्लों को

रीता मेरा दामन होगा

आओ जरा विचार करो

धरती की आवाज सुनो,

मेरी हरी – भरी काया को

मत बदरंग बनाओ तुम

बाग – बगीचे पेड़ लगाओ

धरती मॉ को बचाओ तुम

धरती की आवाज सुनो,

मेरे  आंचल की छाया मे

मिलेगा प्यार – दुलार तुम्हे

युगों–युगों से कहती आयी हूं

जीवन  का    सार  सुनो

धरती की आवाज सुनो.




                                                          -पूर्णिमा बाजपेयी त्रिपाठी



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