उन्नत किस्मों की पहचान और शस्य तकनीकी का किया जा रहा मानकीकरण -डॉ0 संजय सिंह
उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक ने बताई उपलब्धियाँ तथा आगामी रणनीति
मिलेट्स से संबंधित 10 परियोजनाओं का किया जा रहा है क्रियान्वयन
एच पी सिंह
24 जुलाई 2024 लखनऊ
उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद (उपकार) द्वारा बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई। जिसमें महानिदेशक डॉ. संजय सिंह ने प्रेस प्रतिनिधियों को परिषद की हालिया उपलब्धियों और आगामी रणनितियों पर प्रकाश डाला। डॉ. सिंह ने विश्व बैंक पोषित सोडिक लैण्ड परियोजना और कृषि विविधीकरण परियोजना के प्रभावी परिणामों का उल्लेख किया, जो उपकार के माध्यम से संचालित की गई थीं। उन्होंने बाह्य संस्थाओं द्वारा वित्त पोषित आत्मा परियोजना, मैक्रोमोड परियोजना और आर.के.वी.वाई. की गतिविधियों पर भी चर्चा की। राज्य औद्यानिक मिशन परियोजनाओं के संचालन में उपकार के योगदान का भी जिक्र किया गया। उन्होंने बताया कि परिषद की स्थापना जून 1989 में द सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 के अंतर्गत की गई थी।
कृषि वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करने के लिए उत्तर प्रदेश कृषि वैज्ञानिक सम्मान योजना की जानकारी दी गई, जिसके तहत उत्कृष्ट कार्यों हेतु वैज्ञानिकों को सम्मानित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश कृषि नीति, कृषि विश्वविद्यालय मेरठ, और पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय मथुरा की स्थापना के प्रस्ताव भी तैयार किए गए हैं।
अनुसंधान के क्षेत्र में उपकार द्वारा किये जा रहे कार्यों पर प्रकाश डालते हुए डॉ. सिंह ने बताया कि प्रतिस्पर्धात्मक आधार पर क्षेत्र विशेष की शोध प्राथमिकताओं पर परियोजनाओं का सतत वित्त पोषण किया जा रहा है। उन्होंने काला नमक चावल की दो नवीन प्रजातियों का विकास और विभिन्न कृषि यंत्रों के विकास की जानकारी दी, जो भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ और कृषि विश्वविद्यालय, कानपुर के सहयोग से किए गए हैं।
पेठा उद्योग के लिए पेठा कद्दू की उन्नत किस्मों का विकास, कछार क्षेत्र में उच्च उत्पादकता वाली सब्जियों की किस्मों का मूल्यांकन, और आम में अनियमित फलन प्रबंधन के कार्यों पर भी चर्चा की गई। इसके अलावा, बुंदेलखंड क्षेत्र में खरीफ प्याज की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए उन्नत किस्मों की पहचान और उनकी शस्य तकनीकी का मानकीकरण भी किया गया है।
उत्तर प्रदेश में मिलेट्स/पौष्टिक अनाज की खेती, प्रसंस्करण और उपभोग को बढ़ावा देने के लिए ‘उत्तर प्रदेश मिलेट्स पुनरोद्धार कार्यक्रम‘ के अंतर्गत मिलेट्स से संबंधित 10 परियोजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है। फसल मौसम सतर्कता समूह की साप्ताहिक/पाक्षिक बैठकों के माध्यम से किसानों को मौसम और कृषि संबंधित संस्तुतियां पहुंचाई जा रही हैं।
नई शिक्षा नीति 2020 के तहत कृषि शिक्षा में सुधार के लिए उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों पर भी चर्चा की गई, जिसमें एग्रीकल्चर इंक्यूबेशन सेंटर की स्थापना, छात्रों की प्रवेश संख्या में वृद्धि, शिक्षकों के रिक्त पदों को भरना, और नए कोर्स का संचालन शामिल है।
परिषद द्वारा विभिन्न विषयों पर आयोजित की जाने वाली कृषि कांग्रेस, संगोष्ठी, कार्यशाला, वर्कशॉप और प्रशिक्षण कार्यक्रमों की भी जानकारी दी गई, जिनसे प्राप्त संस्तुतियों को क्रियान्वयन हेतु संबंधित विभागों को प्रेषित किया जाता है।
24 जुलाई 2024 लखनऊ
उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद (उपकार) द्वारा बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई। जिसमें महानिदेशक डॉ. संजय सिंह ने प्रेस प्रतिनिधियों को परिषद की हालिया उपलब्धियों और आगामी रणनितियों पर प्रकाश डाला। डॉ. सिंह ने विश्व बैंक पोषित सोडिक लैण्ड परियोजना और कृषि विविधीकरण परियोजना के प्रभावी परिणामों का उल्लेख किया, जो उपकार के माध्यम से संचालित की गई थीं। उन्होंने बाह्य संस्थाओं द्वारा वित्त पोषित आत्मा परियोजना, मैक्रोमोड परियोजना और आर.के.वी.वाई. की गतिविधियों पर भी चर्चा की। राज्य औद्यानिक मिशन परियोजनाओं के संचालन में उपकार के योगदान का भी जिक्र किया गया। उन्होंने बताया कि परिषद की स्थापना जून 1989 में द सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 के अंतर्गत की गई थी।
कृषि वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करने के लिए उत्तर प्रदेश कृषि वैज्ञानिक सम्मान योजना की जानकारी दी गई, जिसके तहत उत्कृष्ट कार्यों हेतु वैज्ञानिकों को सम्मानित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश कृषि नीति, कृषि विश्वविद्यालय मेरठ, और पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय मथुरा की स्थापना के प्रस्ताव भी तैयार किए गए हैं।
अनुसंधान के क्षेत्र में उपकार द्वारा किये जा रहे कार्यों पर प्रकाश डालते हुए डॉ. सिंह ने बताया कि प्रतिस्पर्धात्मक आधार पर क्षेत्र विशेष की शोध प्राथमिकताओं पर परियोजनाओं का सतत वित्त पोषण किया जा रहा है। उन्होंने काला नमक चावल की दो नवीन प्रजातियों का विकास और विभिन्न कृषि यंत्रों के विकास की जानकारी दी, जो भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ और कृषि विश्वविद्यालय, कानपुर के सहयोग से किए गए हैं।
पेठा उद्योग के लिए पेठा कद्दू की उन्नत किस्मों का विकास, कछार क्षेत्र में उच्च उत्पादकता वाली सब्जियों की किस्मों का मूल्यांकन, और आम में अनियमित फलन प्रबंधन के कार्यों पर भी चर्चा की गई। इसके अलावा, बुंदेलखंड क्षेत्र में खरीफ प्याज की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए उन्नत किस्मों की पहचान और उनकी शस्य तकनीकी का मानकीकरण भी किया गया है।
उत्तर प्रदेश में मिलेट्स/पौष्टिक अनाज की खेती, प्रसंस्करण और उपभोग को बढ़ावा देने के लिए ‘उत्तर प्रदेश मिलेट्स पुनरोद्धार कार्यक्रम‘ के अंतर्गत मिलेट्स से संबंधित 10 परियोजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है। फसल मौसम सतर्कता समूह की साप्ताहिक/पाक्षिक बैठकों के माध्यम से किसानों को मौसम और कृषि संबंधित संस्तुतियां पहुंचाई जा रही हैं।
नई शिक्षा नीति 2020 के तहत कृषि शिक्षा में सुधार के लिए उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों पर भी चर्चा की गई, जिसमें एग्रीकल्चर इंक्यूबेशन सेंटर की स्थापना, छात्रों की प्रवेश संख्या में वृद्धि, शिक्षकों के रिक्त पदों को भरना, और नए कोर्स का संचालन शामिल है।
परिषद द्वारा विभिन्न विषयों पर आयोजित की जाने वाली कृषि कांग्रेस, संगोष्ठी, कार्यशाला, वर्कशॉप और प्रशिक्षण कार्यक्रमों की भी जानकारी दी गई, जिनसे प्राप्त संस्तुतियों को क्रियान्वयन हेतु संबंधित विभागों को प्रेषित किया जाता है।