बुंदेलखंड के मिजाज एकमात्र ऐसे शायर जिन पर देश के पांच विश्वविद्यालयों में हो रहा शोध


गजल व शायरी के माध्यम से बनाई राष्ट्रीय स्तर पर पहचान, एक पीएचडी हो चुकी है अवार्ड

सागर के शायर अशोक मिजाज ने अपनी शायरी और गजलों के माध्यम से राष्ट्रीय स्तर पर सागर का गौरव बढ़ाया है। वे बुंदेलखंड के पहले और एक मात्र ऐसे शायर हैं जिनके ऊपर देश के 4 अलग अलग विश्वविद्यालयों में शोध

कार्य जारी है और एक विश्वविद्यालय से उन पर किये गये शोध पर पीएचडी अवार्ड की जा चुकी है। मिजाज के गजल संग्रह और शायरी ने पूरे देश में एक अलग प्रशंसक वर्ग तैयार किया। उन्होंने समंदरों का मिजाज गजल नामा, मैं आशिक हूं, मैं मिजाज भी, मैं इकाई हूं मैं समाज भी, सिग्नेचर, आवाज किसी किसी पर गजल मेहरबान होती है। अशोक मिजाज की चुनिंदा गजलें समंदर आज भी चुप है। सिसकियों की सदा, श्री राम कहानी, जैसी रचनाओं का लेखन किया है। मिजाज को एक दर्जन से अधिक प्रादेशिक व राष्ट्रीय स्तर के

सम्मान भी मिले हैं। हिंदी अध्ययन शाला, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से रिसर्च स्कॉलर जय हिंद सिंह वर्मा को अशोक मिजाज की गजलें संवेदना और शिल्प विषय पर पीएचडी अवार्ड की गई है। टीकमगढ़ निवासी रिसर्च स्कॉलर जयहिंद सिंह वर्मा ने डॉक्टर प्रेमलता चुटैल के मार्गदर्शन में विक्रम विश्वविद्यालय से 300 पेज का शोध ग्रंथ तैयार किया है जिस पर उन्हें ये डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान की गई है। इसके अलावा भी 4 और विश्वविद्यालयों में अशोक मिज़ाज की ग़ज़लों पर शोधकार्य जारी है जिसमें जम्मू कश्मीर सेंट्रल यूनिवर्सिटी में शोधार्थी आरती देवी, औरंगाबाद यूनिवर्सिटी में शोधार्थी वागी नाथ वाखले, और पटना विश्वविद्यालय बिहार में शोधार्थी दिलीप कुमार और उर्दू में मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी हैदराबाद में इम्तियाज मिस्बाही शोध कार्य कर रहे हैं।

हिंदी और उर्दू गजल पर समान रूप से प्रतिष्ठित सागर के वरिष्ठ शायर अशोक मिज़ाज को हिंदी और उर्दू गज़ल के लिए कई बड़े पुरस्कार मिल चुके हैं जिनमें प्रमुख रूप से मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी का ताज भोपाली पुरस्कार, बिजनौर उत्तर प्रदेश से निश्तर खानकाही गजल अवार्ड, दुष्यंत पुरस्कार, बिहार, संकल्प साहित्य शिरोमणि पुरस्कार, राउरकेला उड़ीसा, साहित्य सृजन सम्मान, नागपुर महाराष्ट्र, नई गजल सम्मान, शिवपुरी, स्वर्ण पत्र पुरस्कार, खगड़िया, विहार एवं स्थानीय दाजी सम्मान, ज्वाला प्रसाद ज्योतिषी सम्मान सहित अन्य कई पुरस्कार एवं सम्मान शामिल हैं। उनकी अब तक उर्दू में चार और हिंदी में आठ गजल संग्रह वाणी प्रकाशन दिल्ली और भारतीय ज्ञानपीठ दिल्ली जैसे प्रकाशनों से आ चुके हैं। देश भर के पत्र पत्रिकाओं और अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय मुशायरा और कवि सम्मेलनों में उनकी अनवरत उपस्थित उन्हें सक्रिय और जीवंत बनाये रखती है। वर्तमान में वो स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से मैनेजर के पद से सेवानिवृत्त होकर सागर 7 ही स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं।"



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