मेरे लिए : वर्ष 2020 का लेखा जोखा अनुभव


मेरे लिए : वर्ष 2020 का लेखा जोखा अनुभव

आज वर्ष 2020 की विदाई हो चुकी है और अंग्रेजी सभ्यता व संस्कृति के अनुसार नव वर्ष का आगमन। सभी को वर्ष 2021 की हार्दिक शुभकामनाएं🌹। निश्चित तौर पर वैश्विक दृष्टि से गत साल इतिहास के पन्नों में कोविड - 19 महामारी के कारण याद किया जायेगा। लेकिन बीता हुआ साल मेरे लिए एक नई ऊर्जा व सौगात ही लाया।
जनवरी 28 को मैं Bihar Slet 2020 का कॉम्पटेटिव एग्जाम देने पटना गई थी। पेपर भी काफी उम्दा हुए थे किन्तु खबर मिली कि आयोजित परीक्षा रद्द हो गई। वर्ष के प्रथम माह की शुरुआत कैरियर के लिए बेकार साबित हुईं। खेर कोई बात नहीं। पटना स्टेशन के पास हनुमान मंदिर में जाकर श्री राम के सेवक हनुमान जी संकट निवारण के दर्शन की। पटना एयर - पोर्ट और चिड़ियाघर भी घूम ली क्योंकि वापस की टिकट शाम 8 बजे की थी। फरवरी का महीना बच्चे की स्कूल और कॉलेज आने - जाने में यूं ही बीत गया। अधिक भाग - दौड़ के कारण मार्च महीने में अस्तपताल पहुंच गई। तीन दिन बाद घर वापस लौट कर आई और इसी महीने में मेरी स्थायी नौकरी से सम्बधित बंगाल SACT की verification भी हुई। अप्रैल और मई महीने में ऑनलाइन की कक्षाएं लेने में व्यस्त रही और साथ ही घर के सारे काम काज़ भी निपटाते हुए परिवार का खयाल रखना व एहतियात बरतते हुए। जून का महीना बहुत ही अच्छा रहा। इस महीने में दीवाली जैसी घर की साफ़ सफ़ाई की और बिना किसी के मदद लिए 700 sq फीट फ्लैट का रंग रोंगन कार्य को अंजाम दे दिया। इसी महीने के अंत में SACT की गुड न्यूज भी आई यानी कि 60 वर्ष के लिए कोलकाता के मटिया बुर्ज कॉलेज में पक्की नौकरी की नियुक्ति। आर्थिक रूप से चिंता कम हुईं।
इन उपर्युक्त महीनों में मन में एक टीस बनी रही। वह मन को जड़ बना रही थी वो क्या है ना कि मेरी ऊर्जा जो मेरे भीतर से आती है, वह कहीं लुप्त हो गई थी। काम सैकड़ों पड़े थे मेरे पास करने के लिए। पर उस काम को अंजाम देने की हिम्मत और लगन कहीं ठहर गई थी। इसी उधेड़बुन में जुलाई का महीना भी बीत गया। मन को रमाने के लिए छोटी बहन के ससुराल चली गई। टूटा मन वहां भी जुटा नहीं। पुनः अपने फ्लैट वापस लौट आईं। फोन के वॉट्स अप पर वेबनार के आमंत्रण आते रहे लेकिन जुड़ने का मन ही नहीं हो रहा था। अगस्त के महीने में करीब 20 Webnair के मैसेजेस को देख कर मैने उसे डिलीट कर दिया। मन कहीं से भी साथ नहीं दे रहा था। गहन अंधकार में डूबी थी। सुना था कि अच्छे इंसान जब मर जाते हैं ( मां के अचानक स्वर्ग सिधार जाने के कारण मैं पूरी तरह से टूट चुकी थी ) तो उसकी आत्मा का पुनर्जन्म होता है। बस आंखें और कान उसी आत्मा को दिन रात खोज रही थी। तारीख 27 - 28 का Webnair था। अचानक मुझे अन्दर से एक शक्ति प्रेरित की कि मुझे इस Webnair से जुड़ना चाहिए। मैं लिंक के द्वारा भारतीय भाषा परिषद द्वारा आयोजित उस Webnair से जुड़ गई। फिर मैं डॉ संदीप अवस्थी सर द्वारा ऊर्जावान कथनों से काफी हद तक प्रभावित हुईं। उन्होंने उस Webnair में मुझे शोध सार पढ़ने का एक सुनहरा मौका प्रदान किया। मैं इसके लिए सर को कोटि कोटि नमन करती हूं और उन्होंने जैसा कहा कि इसके आगे भी अंतर राष्ट्रीय स्तर पर Webnair होंगे और लिंक भेज देंगे। उन्होंने अपना वादा पूरा करते हुए मुझे दो अन्तर राष्ट्रीय स्तर का Webnair संचालन करने हेतु मार्ग प्रशस्त किया और साथ ही अपना पूरा सहयोग व उत्साह देते रहे।
सितम्बर महीना Webnair में शोध सार पढ़ने और संचालन में बीता। कुछ कुछ अक्टूबर का महीना भी ऐसा ही रहा और कोलकाता की दुर्गा पूजा इस बार की थोड़ी फीकी ही सही एक दिन परिवार व बच्चे के साथ पूरी रात घूम कर आई। नवम्बर छठ पूजा, दीपावली में और कुछ किताबों को पढ़ने में बीता दिया मैने। दिसम्बर का महीना कुछ कविताएं लिखने में और कुछ पी एच डी की थीसिस लिखने में कैसे बीता - इसकी समझ आज और अभी मैं अनुभव कर रही हूं।
हां, डॉ संदीप अवस्थी सर के संपर्क मे आने से पूर्व मैं जड़ ही थी पी एच डी के थीसिस लिखने के मामले में - ऐसा मैं कह सकती हूं। उनकी उत्साह भरी प्रेरणा से मैं सक्रिय हुई हूं। वे एक सुलझे हुए अच्छे प्रवक्ता, संयोजक, लेखक, गुरु व मित्रवत व्यवहार और न जाने कितने प्रतिभा गुण संपन्न व्यक्तित्व के धनी हैं और उनके ये सारे गुण मुझे उनके संपर्क में आने को बाध्य किया। इससे मुझे लाभ ही हुआ। इसके पूर्व मेरा थोड़ा कटु अनुभव जरूर रहा है। इसलिए इसके प्रति मैं डॉ संदीप अवस्थी सर को सादर आभार व्यक्त करती हूं। एक और खास बात मैं कहना चाहती हूं सर के लिए - उन्होंने मुझे मुझसे मिलवाया यानी कि मेरा परिचय स्वयं मुझसे करवाया जिसे मैं कभी बचपन में देखती थी और मेरी मां की आंखों में कभी बसती थी। मैं भूल गई थी।बस जिंदगी को परिस्थिति वश जी रही थी। लेकिन अब के मकसद से रूबरू हो गई हूं और अब लगता है कि हर दिन जो सूर्य से ऊर्जा मिलती है उसका उपयोग जीवन की इन ऊंचाइयों को छू लेने या पा लेने में मुझे समर्पित कर देना है। आजीवन भर मैं कृतज्ञ बनी रहूंगी डॉ संदीप अवस्थी सर के प्रति। साथ ही मैं उम्मीद भी करती हूं कि आने वाले समय में इसी तरह उनका सानिध्य मेरे ऊपर सदा बना रहेगा और मैं भी उनसे जीवन भर जुड़ी रहूं।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न कवि कवयित्री तथा लेखक लेखिकाओं से परिचय का लाभ हुआ इसके अलावा नए विचारों को सुनने और जानने का मौका मिला।
वर्ष के इन्हीं अंत समय में अर्थात लगभग दो तीन महीनों में मैने आमजन, साहित्य डॉट कॉम, वाणी प्रकाशन, राजकमल प्रकाशन और आनंद प्रकाशन से 60 रिसर्च से संबंधित नई किताबों को मंगवाया और प्रायः सभी को पढ़ डाला। इसके साथ ही मैं NET से संबंधित कुछ पुस्तकें मंगवाए। किताब पढ़ने की रुचि बचपन से मां के कारण जागृत डर से हुईं। मेरी मां अधिक पढ़ी लिखी नही थीं लेकिन वे चाहती थी कि मैं पढ़ लिख कर कुछ बनूं। इसलिए उन्होंने मुझे कहा कि पढ़ो मैं आना कानी जैसा कि आम बच्चे बचपन में करते हैं, करती थी तो एक दिन मां ने कहा कि तुम पढ़ती लिखती नहीं हो ऐसा करो कि आज से घर के सारे काम तुम से करवाऊंगी। तब से मैं डर कर पढ़ने लगी। ये अब आदत बन गई थी कि कुछ ना कुछ पढ़ते रहो। किन्तु जीवन के इस मोड़ पर ऊर्जा की शिथिलता के साथ रुचि कम होती गई। किताबों से संपर्क होने के बावजूद भी दूर थी पर कुछ नए मित्र व डॉ संदीप अवस्थी जी के आकर्षक व्यक्तित्व का प्रतिफलन मेरे ऊपर रहा जिससे मैं पुनः मां के दिखाए हुए रास्ते पर चल पड़ी हूं। सादर अभिनन्दन व आभार इन मित्रों का इस तरह के सहयोग देने के लिए।
Webnair के दौरान ही यशोभान सिंह तोमर जी को सुना और गुना। वे बहुत ही उत्तम कार्य देश के प्रति व जनता को जागरूक बनाने के लिए कर रहे हैं। सादर अभिनन्दन सर को। इसी दौरान मैं कुछ पत्रिकाओं के संपादकों से परिचित हुईं। वे सभी सरल, सहज व सज्जन इंसान हैं और बेहतरीन मददगार। सबका श्रेय मात्र डॉ संदीप अवस्थी सर को ही जाता है। उपेन्द्र कुमार मिश्र और अजय कुमार अग्रवाल - ये दोनों ही बहुत अच्छे पत्रिकाओं के संपादक हैं। ये मित्रवत व्यवहार करते हैं और बहुत सी जानकारी देते हैं हम जैसे शोधार्थियों को।
सबसे अधिक महत्व पूर्ण रहा है मेरे लिए मेरे एकमात्र बेटा आदित्य के साथ बिताया हुआ हर पल हर क्षण। कामकाजी महिला होने के कारण कुछ समय उसके साथ गुजारने के लिए तरसती थी उसे भरपूर आनंद ले कर जिया। मां के ममत्व को संजोया।
यह रही मेरी व्यक्तिगत अनुभव अपने प्रति। लेकिन देश के प्रति मेरा व्यक्तिगत अनुभव कुछ इस तरह है - कोविड 19 महामारी का आगमन चीन देश के बुहान शहर से शुरुआत होते हुए पूरे विश्व में फैलना और फैलाना एक गहरी राजनीति या मानव के गलत फैसले को माना या समझा जा सकता है। बहरहाल जो भी हो पूरे विश्व को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा। इसमें हमारा देश भारत भी अछूता नहीं रहा। इसमें कोई दो राय नहीं है। लेकिन एक अच्छी बात यह है कि पुनः भारत की संस्कृति का डंका पूरे विश्व में बजने लगा। प्रदूषण के प्रकोप से इधर कुछ लोग या स्कूली बच्चें मास्क का प्रयोग करते थे किन्तु अब यह हमारे दैनिक जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा बन चुका है। इसी तरह सेनिटाइजर का भी इस्तेमाल करना कुछ ही घंटों में। हम कह सकते हैं कि मानव जीवन अनमोल है इसे बचाना और सुरक्षित रखना हमारा पहला कर्तव्य है। अतः इसे आत्महत्या द्वारा अन्तर्द्वन्द की अवस्था में यूं ही नष्ट ना करें। लोग जानते हुए भी इससे भटक जाते हैं । उन्हें ईश्वर प्राप्त जीवन को कुछ पाने में कुछ बनाने में निछावर करना चाहिए ना कि ऐसे कुमार्ग को अपना कर - यह मेरा विचार धारणा है। बुजुर्ग भी तकनीकी की दुनिया में प्रवेश किए। कुछ नई चीजें सीखें जिनसे वे परहेज करते थे। परिवारों में प्रेम बढ़ा। घर की महिलाओं को घर में सम्मान मिला।
हम भारतवासी कोविद 19 महामारी की लड़ाई में एकजुट होकर नियमों व प्रतिबद्ध का पालन करते हुए धीरे धीरे दिनचर्या में गतिशील होकर आगे बढ़ रहे हैं।
वाकई में बीता हुआ साल 2020 मेरे लिए अविस्मरणीय यादगार है और यह वर्ष भी शुभ और अच्छा रहे मैं ऐसी कामना करती हूं। इतने प्रबुद्ध व्यक्तियों के संपर्क में आने के बाद मैने अपने लिए कुछ प्रकल्प तैयार की हूं जिसे साझा करते हुए अपार हर्ष अनुभव कर रही हूं :
1.पी एच डी की थीसिस को पूरा करना
2. NET क्लीयर करना
3. कुछ कविताओं एवं कहानियों के संग्रह को प्रकाशित करवाना
4. दो आलोचनात्मक पुस्तक पर लगभग काम कर चुकी हूं, उसे प्रकाशित करवाना।
मुझे बेहद खुशी हुई अपने व्यक्तिगत अनुभव को इस मंच पर साझा करके। धन्यवाद सभी को। एक बार फिर से नव वर्ष की ढेर सारी शुभकामनाएं सभी साथियों को।
          " जीवन अनमोल है
         बचाना संवारना निखारना
         नए वर्ष में जरूरी है "
इसी के साथ मैं अब अपनी लेखनी को विराम देती हूं।

अनीता कुमारी ठाकुर ' अनु '
कोलकाता पश्चिम बंगाल
Mb no 9038101318
originalthakur2020@gmail.com


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