श्रीकृष्ण स्तुति
भए प्रकट कन्हैया रास रचईया जनमन अति हर्षाए।
जसुमति प्यारे नन्द दुलारे सुरमुनि मंगल गाए।।
चंदन तन साजे मुख तेज विराजे नैनन ज्योत सुहाई।
नूपुर पग बाजे कटिबंधन राजे पावन छवि मन भाई।।
प्रभु अवतारी मुनिमन हारी केहि विधि करहुं बखाना।
सब आय मनावे मंगल गावे प्रभु आए सोई जाना।।
माया को जाने को पहचाने लीला पार न पाई।
यमुना जो बाढ़ी विपदा गाढ़ी चरनन दिये छुवाई।।
कलिकंस विदारे गिरिवर धारे मीरा के श्रीकंता।
माता जब आई दीन्ह दिखाई मुख में ब्रम्ह अनन्ता।।
राधा बड़भागी प्रभु अनुरागी मधुवन रास रचाए।
त्रैलोक तिहारे ब्रम्ह सकारे वन वन गाय चराए।।
हम अज्ञानी अति अभिमानी पूजन अर्चन कौन करे।
विपदा जब आई दीन्ह दुहाई शरण तिहारी आन परे।।
करुणा सुखसागर गिरिधर नागर दीनबंधु सुखकारी।
बबुआ मनभावन मन अतिपावन लीजे शरण बिहारी।।
ओम अग्रवाल (बबुआ), मुंबई